04-Feb-2013 07:56 AM
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जम्मू कश्मीर में अचानक परमाणु हमले के संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों ने वहां के निवासियों की नींद उड़ा दी है। कश्मीर में न तो परमाणु रिएक्टर्स हैं और न ही यहां पर रेडिएशन का खतरा है। इसके बावजूद सरकार द्वारा परमाणु खतरे के प्रति लोगों को जागरुक किए जाने का क्या कारण है यह समझ से परे है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह नियमित वार्षिक सुरक्षा तैयारियों की कवायद है। इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। इस कवायद में जम्मू कश्मीर पुलिस के नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रतिक्रिया बल की ओर से लोगों को बताया जा रहा है कि परमाणु हमले की स्थिति में वे क्या कदम उठाएं। इस सिलसिले में आपदा प्रतिक्रिया बल ने एक स्थानीय अग्रेजी समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित करवाकर लोगों को दिशा-निर्देश दिए हैं कि यदि परमाणु बल का हमला होता है तो लोग अपने घरों में खराब न होने वाले खाद्य पदार्थों को रखने के लिए तहखाने बनाए। साथ ही तहखानों में रहने की व्यवस्था भी करें। नोटिस में यह कया गया है कि यदि तहखाने न बना पाए तो खुले स्थानों पर ऐसे बंकर बनाए जो युद्ध के समय बनाए जाते हैं। लोगों को यह भी सलाह दी गई हैं कि वे अपने पर्याप्त खाद्य पदार्थ रखे।
विज्ञापन में स्थानीय निवासियों से कहा गया है कि तहखाने में शौचालय की सुविधा भी रखें साथ ही उसमें पर्याप्त रोशनी का इंतजाम रखें। उनसे यह भी कहा गया है कि उनके पास बैटरी से चलने वाले रेडियो और टेलीविजन होने चाहिए ताकि वे नागरिक सुरक्षा विभाग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों को सुन सकें। बल के विज्ञापन के मुताबिक परमाणु हमले की स्थिति में यदि वे खुले में हों तो तुरंत जमीन पर लेट जाएं और इसी स्थिति में बने रहें। अपनी आंखों और चेहरे को हाथों से ढंक लें। साथ ही कानों का भी बचाव करें। नोटिस में कहा गया है कि अगर फ्लैश के 5 सेकंड के भीतर विस्फोट तरंगें न आएं तो यह समझिए कि आप विस्फोट स्थल से काफी दूर हैं और 150 रैड्स से ज्यादा का विकिरण नहीं होगा। प्रश्न यह है कि अचानक परमाणु हमले से बचने की जानकारी केवल जम्मू कश्मीर में क्यों दी जा रही है। यदि ऐसे किसी हमले की आशंका है तो उस हमले के विषय में सारे सीमावर्ती क्षेत्रों को आगाह किया जाना चाहिए। ताकि वे हमले से बचने का तरीका सीख सके। केवल कश्मीर को जागृत करने के पीछे क्या मकसद है यह समझ से परे है। इस अचानक चले अभियान के कारण कश्मीर के आम लोगों में दहशत है। हाल ही में सीमा पर घुसपैठ के दौरान दो भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान के सैनिकों ने भारत की सीमा में घुसकर मार दिया था और एक सैनिक का सर काटकर ले गए थे उसके बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में बहुत कड़वाहट आ गई है। दोनों देशों की सेनाओं को सतर्क रहने का आदेश मिला है। पाकिस्तान में सीमा के पास सेना की गतिविधियां बढ़ चुकी है। पाकिस्तानी सेना ने कई बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया है और वह आतंकवादियों को भारत में धकेलने के हर संभव प्रयास कर रही है। खबर है कि भारत-पाक सीमा पर तनाव बढऩे के बीच 2500 से अधिक आतंकवादी भारत में घुसपैठ की तैयारी में हैं। ये आतंकवादी पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकवादी शिविरों में हैं। खुफिया खबरों से संकेत मिलता है कि सीमा पार 42 आतंकवादी शिविर चल रहे हैं, जिनमें से 25 पाक अधिकृत कश्मीर में हैं और 17 पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 2500 से अधिक आतंकवादी प्रशिक्षण, हथियार और गोला बारूद के साथ तैयार हो रहे हैं ताकि वे भारत में घुसपैठ कर सकें। भारत-पाक सीमा के जरिए 2012 में कम से कम 90 पाकिस्तानी घुसपैठियों ने प्रवेश किया। कम से कम 125 आतंकवादी जम्मू कश्मीर में उस समय पकड़े गए, जब वे घुसपैठ कर भारत में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तानी घुसपैठियों की संख्या 2011 में जहां 63 थी, वहीं 2012 में 90 घुसपैठियों के प्रवेश से गृह मंत्रालय में खतरे की घंटी बजी और उसके बाद सुरक्षा एजेंसियों को सीमा पर चौकसी बढाने के लिए कहा गया। भारत-पाक सीमा से 2010 में 94 और 2009 में 69 पाकिस्तानी घुसपैठियों ने प्रवेश किया।
भारतीय खुफिया एजेंसिया पाकिस्तानी सेना द्वारा कश्मीर में युद्ध विराम के उल्लंघन के कारण जानने की भरसक कोशिश कर रहीं हैं। पाकिस्तान के आंतरिक हालात ऐसे नहीं है कि वह भारत के साथ युद्ध कर सके। लेकिन उसके बाद भी वह बार-बार उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। इसका मकसद समझ से परे हैं, लेकिन इतना तो तय है कि पाकिस्तान छोटे-छोटे परमाणु हथियार विकसित करने में जुटा हुआ है, जिनके जरिए वह सीमित क्षेत्र में तबाही मचाने का इरादा रखता है। पाकिस्तान के परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं और यह कभी भी आतंकवादियों के हाथ में जा सकते हैं। इसीलिए भारत में परमाणु हमले की तैयारी के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। लेकिन यह प्रशिक्षण केवल जम्मू कश्मीर के लोगों को क्यों दिया जा रहा है। यह यक्ष प्रश्न है। दूसरी तरफ गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी स्वीकार कर रहे हैं कि पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों में आतंकवादी कार्रवाई में भी तेजी आई है। दिसंबर माह में ही संयुक्त कार्रवाई के दौरान सुरक्षा बलों ने 14 आतंकवादियों का सफाया किया था, जिनमें से 8 विदेशी थे। इन सब घटनाओं के चलते अब यह तय हो गया है कि कश्मीर में जो सीमा पर हालात थे वे हालात तेजी से बदलने वाले हैं।