चंदे पर पलती पार्टियां
31-Aug-2017 08:44 AM 1234796
देश में सरकार ने एक तरफ भ्रष्टाचार और कालेधन के नाम पर नोटबंदी करके भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मटियामेट कर दिया है, वहीं कार्पोरेट घरानों की काली कमाई के चंदे पर राजनीतिक पार्टियां मालामाल हो रही हैं। खासकर सत्तारूढ़ भाजपा ने तो पिछले चार साल में कार्पोरेट चंदा मिलने के मामले में सभी पार्टियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। इसका खुलासा निर्वाचन निगरानी समूह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच चार साल में भाजपा को 705 करोड़ रुपए का, जबकि कांग्रेस को 198 करोड़ रुपए का कॉर्पोरेट चंदा मिला है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इन चार वर्षो के दौरान कॉर्पोरेट और व्यापारिक घरानों ने पांच राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 956.77 करोड़ रुपए का चंदा दिया। इस मामले में कांग्रेस 198.16 करोड़ रुपयों के साथ दूसरे स्थान पर तो है, लेकिन शीर्ष पर मौजूद भाजपा की अपेक्षा कहीं कम है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को सबसे कम कॉर्पोरेट चंदा मिला है, जो क्रमश: चार फीसदी और 17 फीसदी है। एडीआर की इस रिपोर्ट में भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को राष्ट्रीय पार्टी माना गया है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन एडीआर की रिपोर्ट में बसपा को शामिल नहीं किया गया है। एडीआर का कहना है कि बीएसपी को इसलिए शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि पार्टी ने खुद घोषणा कर रखी है कि उसे इस अवधि में किसी भी दानदाता से 20,000 रुपए से अधिक का चंदा नहीं मिला है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश की इन पांच राष्ट्रीय पार्टियों को 1,933 ऐसे दानदाताओं से कुल 384.04 करोड़ रुपए का चंदा मिला है, जिन्होंने चंदे के फॉर्म में पैन नंबर का उल्लेख नहीं किया है। इसके अलावा इन पार्टियों को कुल 355.08 करोड़ रुपए का चंदा देने वाले 1,546 दानदाताओं ने अपने पतों का भी उल्लेख नहीं किया है। मजेदार बात यह है कि बिना पैन नंबर और बिना पते वाले इस तरह के कुल चंदों की राशि का 99 फीसदी (159.59 करोड़ रुपया) भाजपा को मिला है। संयोग की बात यह भी है कि इन दलों को इस अवधि में मिले चंदे की कुल राशि का 60 फीसदी अकेले वित्त वर्ष 2014-15 में मिला, जब देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों को इस अवधि में सर्वाधिक चंदा देने वालों में 260.87 करोड़ रुपए के साथ सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे ऊपर रहा। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2012-13 वित्त वर्ष में कोई चंदा नहीं दिया था और अगले तीन वर्षो में उसने कुल 35 लेनदेन कर सर्वाधिक राशि चंदे में दी। भाजपा ने सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट से 193.62 करोड़ रुपए का चंदा मिलने की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने 57.25 करोड़ रुपए और राकांपा ने 10 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है। भारत सरकार द्वारा 2013 में शुरू की गई इलेक्टोरल ट्रस्ट योजना के बाद स्थापित हुई जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट इस अवधि में सर्वाधिक चंदा देने के मामले में दूसरे नंबर पर है। जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने इस दौरान भाजपा को 70.70 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 54.10 करोड़ रुपए का चंदा दिया। वहीं माकपा और भाकपा को सर्वाधिक चंदा देने वालों में एसोसिएशन और यूनियन सबसे ऊपर हैं। माकपा को विभिन्न एसोसिएशनों से इस अवधि में 1.09 करोड़ रुपए मिले, जबकि भाकपा को 15 एसोसिएशन एवं यूनियन से 14.64 करोड़ रुपए का चंदा मिला। वित्त वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय दलों को चंदा देने वालों में रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ऊपर रहा और इस वित्त वर्ष में रियल एस्टेट सेक्टर से सभी दलों को कुल 16.95 करोड़ रुपए का चंदा मिला। इसमें भी भाजपा सर्वाधिक चंदा पाने वालों में सबसे ऊपर रही। भाजपा को वित्त वर्ष 2012-13 में रियल एस्टेट सेक्टर से कुल 15.96 करोड़ रुपए का जबकि कांग्रेस को 95 लाख रुपए का चंदा मिला। रिपोट्र्स के अनुसार भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा मिला है, जिसमें रियल स्टेट, माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, ऑयल एंड पावर, कंस्ट्रक्शन और तमाम बड़े उद्योगपति शामिल है। एडीआर के मुताबिक चंदे का एक बड़ा हिस्सा अज्ञात स्त्रोतों से है, जिसका किसी पार्टी ने खुलासा नहीं किया है। एडीआर ने साथ में यह भी कहा कि जब भाजपा सत्ता में नहीं थी तब भी कॉर्पोरेट हाउस के एक बड़े हिस्से ने कांग्रेस से ज्यादा उन्हें चंदा दिया। इससे यह साफ झलकता है कि बिजनेस हाउस भी चाहते थे कि भाजपा ही सत्ता में आए। रिपोर्ट के अनुसार, 2012-13 में जब भाजपा सत्ता में नहीं थी तब उन्हें कुल चंदे का 89 प्रतिशत डोनेशन मिला। वहीं, सत्ता में आने के बाद भी कुछ अंतर नहीं आया, 2015-16 में भाजपा को 87 प्रतिशत चंदा प्राप्त हुआ। भाजपा पूंजीपतियों वाली पार्टी पार्टी चंदे को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा पर निशाना साधा है। संगठन द्वारा जारी कथित आंकड़ों के आधार पर घेरते हुए मायावती ने आरोप लगाया कि भाजपा पूंजीपतियों के इशारे पर चलने वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि इसी से साबित हो जाता है कि भाजपा बड़े-बड़े पूंजीपतियों की और उन्हीं के धनबल से एवं उनके इशारे पर ही चलने वाली पार्टी है। बीएसपी अध्यक्ष ने कहा कि जबसे भाजपा का प्रभाव देश की राजनीति में बढ़ा है तबसे बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने भाजपा को हर प्रकार से सहयोग तथा अधिक से अधिक चंदा देकर भारतीय राजनीति तथा सरकार में अपना बेजा हस्तक्षेप काफी बढ़ाया है। इसी कारण चुनाव काफी हद तक साम, दाम, दण्ड, भेद इत्यादि हथकण्डों का खेल बनकर रह गया है। -धर्मेंद्र सिंह कथूरिया
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