31-Aug-2017 06:59 AM
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मप्र में किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने किसानों से 8 रुपए किलो के हिसाब से करीब 9 लाख टन प्याज की खरीदी की थी। इन प्याजों को 2 रुपए किलो के भाव से बेचना था। अफसरों ने खरीदने और बेचने के इसी क्रम में सरकार को जमकर चपत लगाई है। आलम यह है कि सरकार ने विभिन्न स्तरों पर जो प्याज खरीदी थी उसमें 349767.05 क्विंटल प्याज का हिसाब ही नहीं है। यानी ये प्याज गायब हो गई है। जिसकी कीमत करीब 38 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। अब इस प्याज की पड़ताल की जा रही है। हालांकि अभी तक इस गायब प्याज के लिए मार्कफेड, नान और मंडी को जिम्मेदार माना गया है। हालांकि, मार्कफेड को प्याज कम होने, नान को राशन दुकानों पर सप्लाई न करने और मंडियों को सही रखरखाव न करने का दोषी माना गया है।
अकेले राजधानी भोपाल में ही 17417 क्विंटल प्याज गायब है। इस आशय की रिपोर्ट जांच कमेटी ने कलेटर डॉ. सुदाम खाड़े को सौंप दी है। अब कलेटर इन पर कार्रवाई का फैसला करेंगे। एडीएम जीपी माली की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी ने इस मामले में ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मांगी थी। वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष दिया कि छह महीने तक प्याज स्टोर करने पर नौ से 12.7 फीसदी तक सूख सकती है। इस आधार पर कमेटी ने पाया कि 30 जून को प्याज खरीदी बंद हो गई थी। इसके बाद 1.22 लाख क्विंटल प्याज स्टोर किया जाना था। यह व्यवस्था 30 दिन में कर ली गई थी। ऐसे में ज्यादा प्याज नहीं सूख सकती। जबकि जिले में काफी प्याज सूख गई। इससे अकेले राजधानी में शासन को 2.3 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
वैसे देखा जाए तो प्याज खरीदी का पूरा मामला ही भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। जानकारी के अनुसार सरकार ने प्याज खरीदी के लिए 580 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन अफसरों ने प्याज खरीदी, ट्रांसपोटेशन, रखरखाव आदि में 650 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। यह रकम अपेक्स बैंक, मार्कफेड और नान की है। अब मार्कफेड और नागरिक आपूर्ति निगम प्याज खरीदी का हिसाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में अगर नान, अपेक्स बैंक और मार्कफेड को उनकी रकम वापस नहीं मिलती है तो इनमें ताला लगाने की नौबत आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने प्याज खरीदी के लिए 271 करोड़ रुपए की गारंटी दी है। यानी इन तीनों संस्थानों को लौटाने के लिए अभी 309 करोड़ रुपए चाहिए।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक शाजापुर जिले में 112334.53 क्विंटल प्याज गायब है। इसी तरह देवास में 100083 क्विंटल, आगर मालवा में 41453.43, राजगढ़ में 21195.46, उज्जैन में 36849.01, रतलाम में 7731.84 क्विंटल प्याज गायब है। इस तरह प्रदेश के 23 जिलों में 349767.05 क्विंटल प्याज कुल खरीदी प्याज में कम पाई गई है। यानी अफसरों ने प्याज खरीदी से लेकर उसकी बिक्री तक में जमकर भ्रष्टाचार किया है। अब प्याज खरीदी में खर्च हुई 650 करोड़ की रकम को एक साल में देना है। यह रकम नान, अपेक्स बैंक और मार्कफेड को कैसे लौटाई जाएगी यह सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या है।
लोकायुक्त पहुंची शिकायत
मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य आठ रुपए किलो की दर से प्याज की खरीद को कांग्रेस ने किसानों के साथ ठगी करार देते हुए सात सौ पचास करोड़ रुपए के घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस ने लोकायुक्त संगठन में शिकायत की और उप लोकायुक्त जस्टिस यूसी माहेश्वरी को घोटाले से जुड़े दस्तावेजी सबूत भी सौंपे। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने घोटाले में राज्य सरकार, नौकरशाही, व्यापारियों और बिचौलियों की सांठगांठ होने की आशंका जताई और उप लोकायुक्त जस्टिस माहेश्वरी से घोटाले के इस मामले में खुद संज्ञान लेने का आग्रह किया। मिश्रा ने कहा कि किसानों से औने-पौने दाम पर प्याज खरीदा गया। पिछले दिनों प्याज नहीं खरीदने के पीछे यह एक षड्यंत्र था ताकि किसानों से सस्ते में प्याज खरीदा जा सके।
- सुनील सिंह