किराए का घर हो जाएगा अपना
31-Aug-2017 06:41 AM 1234843
देश में 2022 तक सबको घर मुहैया कराने के अपने वादे को पूरा करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार एक योजना ला रही है। इस योजना का लाभ सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा। अब तक सरकारी कर्मचारी नौकरी रहते सरकारी फ्लैट में रहते हैं, लेकिन रिटायर होने के बाद उन्हें फ्लैट छोडऩा पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मोदी सरकार एक ऐसी स्कीम ला रही है, जिससे सरकारी कर्मचारी एक तय समय तक किराया देंगे और उसके बाद वह घर उनका ही हो जाएगा। मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स ने यह रेंट टू ओनÓ स्कीम तैयार की है। हडको (हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह सरकारी विभागों को इस स्कीम के तहत लोन प्रोवाइड कराए, ताकि सरकारी विभाग अपने कर्मचारियों के लिए घर बनाने को आगे आएं। सरकार ने हाउसिंग फॉर ऑल मिशन के तहत सबको घर मुहैया कराने के उद्देश्य से यह स्कीम तैयार की है। इस स्कीम का लाभ सरकारी विभागों में काम कर रहे लोअर कैटेगिरी के कर्मचारियों को ही मिलेगा। इस कैटेगिरी के लिए सरकारी विभाग या एजेंसी मकान बनाएंगी। मकान तैयार होने के बाद एक कीमत तय की जाएगी और उस कीमत को ईएमआई की तरह किश्तों में बांट कर कर्मचारियों को मकान दे दिया जाएगा। निर्धारित समय में जब किश्त पूरी हो जाएगी तो कर्मचारियों को मालिकाना हक दे दिया जाएगा। हडको के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस स्कीम को प्रमोट करने के लिए हडको उन सरकारी एजेंसियों को लोन देगा, जो अपने लोअर कैटेगिरी के कर्मचारियों के लिए रेंट टू ओनÓ स्कीम के तहत घर बनाना चाहता है। अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में सरकारी एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों के लिए घर बनाना लगभग बंद ही कर दिया है। इसकी बड़ी वजह है कि जमीन काफी महंगी हो चुकी है और अपने कर्मचारियों के लिए घर बनाने पर एजेंसियों को अपने बजट में बड़ा प्रोविजन करना पड़ता है। यही वजह है कि हडको ने सरकारी एजेंसियों की इस दिक्कत को समझते हुए उन्हें लोन देने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को हाउसिंग फॉर ऑल मिशन के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी। इसका मकसद शहरों में 2022 तक 2 करोड़ घर बनाना है, इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकार जहां ईडब्ल्यूएस एवं एलआईजी फ्लैट्स बनाने के लिए राज्य सरकारों को ग्रांट दे रही है, वहीं अफोर्डेबल स्कीम के तहत बिल्डर्स को प्रमोट किया जा रहा है और लोगों को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी दी जा रही है। इसी मकसद को पूरा करने के लिए सरकार ने लोअर कैटेगिरी के सरकारी कर्मचारियों के लिए रेंट टू ओन स्कीम शुरू की है। मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन पोवर्टी एविएशन के मुताबिक, इस स्कीम का नाम रेंट टु ओन होगा, जिसे केंद्र सरकार की नेशनल अर्बन रेंटल हाउसिंग पॉलिसी के तहत लांच किया जाएगा। इस स्कीम के तहत शुरुआत में कुछ निश्चित वर्षों के लिए घर लीज पर दिया जाएगा। अब तक 2008 शहरों और कस्बों में 17.73 लाख शहरी गरीबों के लिए आवासों को मंजूरी दे चुके हैं। 2022 तक सबको घर के वादे को पूरा करने का लक्ष्य है। 2019 तक 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। इसके बाद 2022 तक अन्य राज्यों में इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा। रेंट टु ओन विधेयक की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद राज्य इस पर काम कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2022 तक सभी को घर मुहैया कराने के सरकार के लक्ष्य के तहत यह बड़ी स्कीम होगी। घर की कीमत के हिसाब से तय होगी किस्त स्कीम के तहत पहले कुछ सालों के लिए सरकार घर को लीज पर देगी। घर की कीमत के हिसाब से हर महीने की किस्त तय होगी। घर की इएमआई के बराबर पैसा प्रत्येक माह बैंक में जमा करना होगा। इसमें से कुछ पैसे किराये के रूप में जमा होंगे। कुछ सरकार के पास अलग खाते में जमा होंगे। जब यह जमा की गयी कुल राशि (किराया और सरकार के पास जमा) घर की कीमत की दस फीसदी हो जायेगी, तब घर की रजिस्ट्री संबंधित किरायेदार के नाम कर दी जायेगी। यदि लीज पर लेने वाला व्यक्ति रकम जमा नहीं कर पाता है, तो सरकार इस मकान को फिर से बेच देगी। किराये के साथ अलग खाते में जमा की जाने वाली राशि किरायेदार को बिना ब्याज के वापस लौटा दी जायेगी। इसके अलावा सरकार निजी जमीन पर बने मकानों को खरीदने पर भी गरीब तबके के लोगों को डेढ़ लाख रुपये की सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। -ऋतेन्द्र माथुर
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