टॉयलेट..एक क्रूर कथा
31-Aug-2017 06:26 AM 1234898
टॉयलेट एक प्रेम कथा के कारण देश में मप्र की एक महिला के साहस को आज जहां पूरा देश सलाम कर रहा है, वहीं भोपाल को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए अफसरों ने जिस तरह का भ्रष्टाचार किया है उससे भोपाल का स्वच्छता अवार्ड भी दांव पर लग गया है। हकीकत सामने आने के बाद महापौर आलोक शर्मा एक बार फिर राजधानी को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान में जुट गए हैं। उन्होंने 23 अगस्त से राजधानी के बागमुगालिया क्षेत्र अभियान को शुरू कर लोगों को जागरुक किया। अब एक बार फिर जिस क्षेत्र के घरों में शौचालय नहीं है वहां मॉड्यूलर टॉयलेट रखे जा रहे हैं। दरअसल राजधानी ही नहीं प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पदस्थ कलेक्टर और उनके मातहत अफसर किस कदर फर्जीवाड़ा कर राज्य सरकार को झूठे आंकड़े पेश कर रहे हैं। भोपाल के सेवनियां गौड़ गांव में आदिवासी कमल सिंह उइके के यहां टायलेट नहीं बने होने सच्चाई ने इसकी पुष्टि कर दी है। नगर निगम सीमा में आने वाले इस गांव में सभी घरों में टायलेट नहीं बने होने के बाद भी जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने वाहवाही लूटने के लिए निगम क्षेत्र को ओडीएफ घोषित करा लिया। नगर निगम का दावा है कि सभी घरों में टॉयलेट हैं और जहां नहीं हैं वहां मॉड्यूलर टॉयलेट रखवाए गए हैं, लेकिन भोपाल के शौचालयों का सच सामने ला दिया। सेवनिया गौड़ गांव में निगम का घोटाला उजागर हो गया। यह वही गांव है जहां अमित शाह ने आदिवासी के घर भोजन किया था। खुलासा हुआ था कि जिस आदिवासी परिवार में शाह ने भोजन किया, उसके यहां शौचालय ही नहीं है। निगम ने फटाफट खंडन जारी कर दिया था। कमल उइके का लिखित बयान भी जारी किया था। एक बार फिर दावा किया था कि भोपाल खुले में शौचÓ से पूरी तरह मुक्त हो चुका है, लेकिन सेवनिया गौड़ गांव में शौचालय का सच उजागर फिर हो गया। यहां रोज की तरह बड़ी तादाद में डिब्बा थामे लोग शौच के लिए बाहर ही गए। निगम ने दावा किया था कि कमल के घर दो टॉयलेट हैं, लेकिन कमल के पिता गेंदालाल भी डिब्बा लेकर पहाड़ी की ओर शौच के लिए जाते हुए दिखे। यही नहीं यहां के लोगों को पता ही नहीं है कि भोपाल खुले में शौच मुक्त है। सेवनिया गौड़ में कमल के घर के सामने रमेश ठाकुर के घर का शौचालय भी अधूरा है। शाह-शिवराज के आने के पहले निगम अधिकारियों ने ठाकुर से शौचालय के अधूरे टैंक को पत्थर से ढंकने के लिए कहा था। इसके लिए वे यहां पत्थर भी डालकर गए थे। रमेश की पत्नी कृष्णा ने बताया कि उनका परिवार भी बाहर ही शौच जाता है। कृष्णा कहती हैं कि शौचालय कब तक बनेगा, उन्हें भी नहीं पता। नाकामी छिपाने के लिए निगम ने कमल सिंह के घर से कुछ दूरी पर छह मॉड्यूलर टॉयलेट रखवाए हैं, लेकिन पानी की टंकी रखना भूल गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि इससे पहले भी निगम ने यहां टॉयलेट रखवाए थे, लेकिन पानी नहीं होने के कारण कोई उसका इस्तेमाल नहीं करता था। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कहते हैं कि प्रदेश में केवल कागजों पर विकास हो रहा है। वहीं प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं कि स्वच्छता अभियान में देश में दूसरे दर्ज पर रखे गए भोपाल का दावा झूठ और फरेब को परोस रहा है। इस फर्जीवाड़े की जांच होनी चाहिए। प्रदेश के 8,338 से अधिक गांवों में शौचालय नहीं इस तरह की स्थिति सिर्फ भोपाल में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास इस फर्जीवाड़े को पकड़ भी चुका है। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सभी 51 जिलों के 8,338 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां सभी घरों में टायलेट नहीं बने हैं पर उन्हें ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। 15 अगस्त को सीएम चौहान द्वारा मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में दिए गए भाषण में अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी देने की बात सामने आई है। अधिकारियों ने सीएम को बताया था कि सभी नगरीय निकाय ओडीएफ हो चुके हैं और सीएम ने मंच से इसकी घोषणा भी की है पर असलियत यह है सैकड़ों निकायों में खुले में शौच जारी है। - नवीन रघुवंशी
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