अधर में लटका रेत खनन का मॉडल
31-Aug-2017 06:23 AM 1234774
मप्र में रेत के अवैध उत्खनन को रोकने की कोशिशों में जुटी सरकार अब नई खनिज नीति बनाने जा रही है जिसमें सरकार ही रेत का साइंटिक तरीके से खनन करेगी। नई खनिज नीति का स्वरूप कैसा होना चाहिए इसको लेकर सरकार असमंजश में है। दरअसल विगत दिनों सरकार ने विशेषज्ञोंं से इस मामले में कार्यशाला आयोजित कर सलाह ली थी। खनिज विभाग के अफसरों को छत्तीसगढ़ और तेलंगाना का मॉडल पसंद आया। सरकार ने भी तेलंगाना मॉडल को चुना। बताया जाता है कि प्रदेश सरकार ने रेत खनन की नई नीति का मसौदा तो तैयार कर लिया है पर ओवर लोडिंग का पेंच फंसा हुआ है। इसे रोकने के लिए निजी आपूर्तिकर्ताओं पर नियंत्रण किस तरह किया जाए, इसको लेकर मंथन चल रहा है। सरकार की तैयारी अक्टूबर से पहले रेत खनन नीति को लागू करने की है। बताया जाता है कि सरकार की इस पूरी तैयारी पर अड़ंगा लगाया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में रेत माफिया पूरी तरह से हावी है, यही वजह है कि सरकार द्वारा रेत के उत्खनन के बाद भी पुलिस व प्रशासन के अफसर उन पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं। प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा उप्र से सटे इलाकों में आज भी खुले आम रेत का अवैध उत्खनन जमकर किया जा रहा है। इस पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार प्रदेश में देश की सबसे पारदर्शी तेलंगाना मॉडल को लागू करने की तैयारी कर रही थी, लेकिन रेत माफिया के दबाव में अब सरकार इस मॉडल को लागू करने से पीछे हट रही है। सरकार दबाव में आकर अब अपना स्वयं का मॉडल विकसित करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की माने तो प्रदेश का यह मॉडल तेलंगाना, छत्तीसगढ़ व मप्र मॉडल को ज्वाइंट कर तैयार किया जाएगा। पहले यह संभावना थी कि तेलंगाना मॉडल को ही लागू किया जाए, किंतु जिस हिसाब से दबाव बढ़ा है, ऐसे में यह संभावना सिरे से खारिज हो गई है। अब दूसरी योजना छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर है। इसमें उत्खनन व बिक्री दोनों कार्य पंचायतों के जिम्मे है। जबकि मप्र मॉडल में नीलामी से राशि अर्जित करना है। सरकार को पड़ोसी राज्य के मॉडल को मिलाकर मप्र का नया मॉडल बनाना ज्यादा कारगर लग रहा है। जानकारी के अनुसार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व उज्जैन में रेत परिवहन के लिए कंपनियां बनाई जाएगी। इन कंपनियों के माध्यम से ही रेत की बिक्री होगी। रेत स्टॉक करने के लिए चारों शहरों में डिपो बनाए जाएंगे, जहां से निर्धारित भाड़े पर रेत मंगाई जा सकेगी। उधर पिछले दिनों कुछ रेत कारोबारियों ने प्रदेश के मंत्रियों से मुलाकात कर इस नीति का विरोध किया। उनका कहना है कि इससे रेत के कारोबार में वर्चस्व की जंग छिड़़ जाएगी। विशेषज्ञों ने सरकार को सलाह दी है कि नदियों को संरक्षित रखना है तो छह माह में 1 करोड़ घन मीटर रेत का उत्खनन किया जाए। हालांकि बताया जाता है कि खनिज विभाग ने रेत हार्वेस्टिंग व विपणन नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के बाद रेत उत्खनन व परिवहन की नई व्यवस्था राज्य में लागू कर दी जाएगी। रेत की हार्वेस्टिंग वैज्ञानिक पद्धति से हो राज्य सरकार चाहती है रेत की हार्वेस्टिंग वैज्ञानिक पद्धति से की जाए। यानी उतनी ही रेत का खनन किया जाए, जिससे नदी को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे। इसे ध्यान में रखते हुए ही विशेषज्ञों ने कहा है कि छह माह में 1 करोड़ घन मीटर से अधिक रेत का उत्खनन ना किया जाए। बता दें कि राज्य में हर साल करीब 3 करोड़ घन मीटर रेत की मांग है। मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए नई हार्वेस्टिंग एवं विपणन नीति बनाने के निर्देश दिए थे। इससे पहले सरकार ने नई नीति लागू होने तक नर्मदा नदी से रेत उत्खनन पर रोक लगा दी थी। राज्य शासन ने नई नीति का ड्राफ्ट करने से पहले 21 जुलाई को वर्कशॉप आयोजित की थी। जिसमें भूगर्भ शास्त्रियों, निजी व्यवसायी, तकनीकी विशेषज्ञों और रेत कारोबार से जुड़े लोगों से सुझाव लिए थे। इस दौरान तेलंगाना में लागू मॉडल पर विचार-विमर्श कर दोनों को मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त माना गया। - रजनीकांत पारे
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