कचरेÓ से रोशन घरÓ
02-Aug-2017 10:01 AM 1234851
बड़े शहरों के लिए कचरा सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या का समुचित उपयोग करने के लिए मध्यप्रदेश में पहला प्रयोग संस्कारधानी जबलपुर में हो रहा है जहां कचरे से बनने वाली बिजली से घर रोशन हो रहे हैं। बीते एक साल से एस्सेल और हिताची कम्पनी के सहयोग से जबलपुर में यह काम जारी है। जिले के कठौंदा में 11.5 मेगावाट क्षमता के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है। 178 करोड़ की लागत से बना यह दक्षिण एशिया का अपनी तरह का एकमात्र प्लांट है। जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया की सफलता को देखते हुए देश के कई शहरों में यहां की तरह बिजली बनाने की तैयारी चल रही है। कचरे से बिजली बनाने वाला  जबलपुर राज्य में पहला शहर होगा जो कि 11.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगा। रोजाना लगभग 450 मीट्रिक टन कचरे से बिजली बनाई जा रही है। नगर निगम जबलपुर के कमिश्नर वेदप्रकाश शर्मा के मुताबिक इस क्षमता का देश का ये पहला संयंत्र है, जिससे बिजली उत्पादन शुरू हो चुका है। इस संयंत्र की क्षमता 600 कचरा इस्तेमाल की है। जबलपुर नगर निगम (जेएमसी) ने एक निजी फर्म को जमीन दी है और निजी सहयोग मॉडल पर इस बिजली घर की स्थापना के लिए  एक निजी कंपनी एस्सेल इन्फ्रा से बिजली आपूर्ति के लिए राज्य की एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। अभी तक भारत के दो शहरों - सूरत और चेन्नई  में  कचरे  से बिजली पैदा की जा रही है। कमिश्नर शर्मा ने अक्स को बताया कि इस सयंत्र की विशेषता यह है की इससे कोई खतरनाक गैस का या किसी प्रदूषण करने वाले अपशिष्ट का उत्पादन नहीं होता है। एस्सेल इन्फ्रा कंपनी ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा कि एस्सेल ग्रुप के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह गर्व का एक क्षण है क्योंकि यह संयंत्र नवाचार के जरिए टिकाऊ समाधान देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देने की दिशा में भी एक कदम है। हम मध्य प्रदेश के जबलपुर में अपने 11.5 मेगावाट की कचरे से ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) संयंत्र के सफल संचालन से लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बदलने की दिशा में हमारी यात्रा में एक विशाल मील का पत्थर है।  यह संयंत्र ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एस्सेल ग्रुप की विशेषज्ञता की एक विरासत है और अभिनव समाधान देने और भारत के विकास की कहानी में भागीदारी के लिए स्मार्ट सिटीज जैसी पहलों में योगदान देकर हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एस्सेल इन्फ्राप्रोजेक्ट्स भारत में हिताची जोसन के थर्मल अपशिष्ट प्रसंस्करण समाधान को पेश करने वाली पहली कंपनी है। इस 11.5 मेगावाट ऊर्जा के संयंत्र से लगभग 18,000 परिवारों को बिजली मिल रही है। इसके अलावा जबलपुर में लगभग 37,000 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही 4.4 हेक्टेयर भूमि एक वर्ष में 2,19,000 टन ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण के द्वारा बचाया जा सकेगा। इस कमीशन के साथ, एस्सेल इन्फ्राप्रोजेक्ट्स ने टिकाऊ स्मार्ट शहर बनाने के एक नए युग में प्रवेश किया है जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप है, जो कि हमारी दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण है इससे बुनियादी ढांचे और एकीकृत उपयोगिताओं में दुर्बल खिलाड़ी के रूप में हमारी स्थिति को और मजबूती मिलेगी। स्मार्टसिटी की दौड़ में शामिल इंदौर और भोपाल में भी कचरे से बिजली बनाने की दिशा में काम चल रहा है। राजधानी भोपाल के बिट्टन मार्केट में बने बायो मिथेनाइजेशन एनर्जी प्लांट में बिजली बनाई जा रही है। हालांकि यहां बिजली बनाने के लिए पर्याप्त कचरा नहीं मिल रहा है। सात दिन कचरा जमा करने के बाद सिर्फ 15 घंटे की बिजली ही बन पा रही है। प्लांट क्षमता रोजाना 5 टन कचरे से 500 यूनिट बिजली पैदा करने की है। इससे सिर्फ हाट बाजार ही नहीं आसपास की सड़कें भी कचरे से बनी बिजली से रोशन हो जाएंगी। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। रोज सिर्फ 250 से 300 यूनिट बिजली ही बन पा रहा है। वजह यह कि, एक दिन में औसतन तीन टन कचरा ही प्लांट को बिजली बनाने के लिए मिल पाता है। इसके कारण सिर्फ हाट बाजार वाले दिन ही प्लांट का उपयोग हो पाता है। बाकी दिनों सिर्फ प्लांट ही खुद की बिजली से रोशन हो पाता है। प्लांट को सबसे ज्यादा दिक्कत होटल प्रबंधनों से हो रही है, लेकिन ननि का दावा है कि यह समस्या जल्द ही खत्म हो जाएगी। प्रधानमंत्री कर चुके हैं सराहना जबलपुर में कठौंदा में 178 करोड़ की लागत से स्थापित कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत कचरे से धन कार्यक्रम की प्रगति को लेकर समीक्षा करने के दौरान पीएम ने कठौंदा प्लांट का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि यह प्लांट देशभर के लिए मॉडल बन सकता है। कठौंदा में स्थापित संयंत्र से 11 मई 2016 से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। अभी तक एक दिन में अधिकतम 1 लाख 10 हजार 200 यूनिट तक उत्पादन हुआ है। करीब 11 मेगावाट प्रतिदिन बिजली उत्पादन का अनुमान है। जबलपुर नगर निगम 350-400 टन के बीच कचरा प्रति दिन एकत्र किया जा रहा है। जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की प्रक्रिया की सफलता को देखते हुए प्रदेश के कई जिलों में इस पर काम चल रहा है। जबलपुर नगर निगम के कमिश्नर वेदप्रकाश शर्मा का कहना है कि किसी भी बड़े शहर को कचरा मुक्त करने के लिए यह अच्छी पहल है। वह कहते हैं कि आज जबलपुर ही नहीं उसके आसपास के शहरों का कचरा भी कठौंदा प्लांट में आ रहा है। -सिद्धार्थ पाण्डे
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