19-Aug-2017 07:18 AM
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दरअसल, मई और जून माह में रेरा प्रमुख अंटोनी डिसा द्वारा आईजी रजिस्ट्रेशन को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि जो बिल्डर 31 जुलाई तक अपना रजिट्रेशन नहीं कराएंगे वह अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं करवा सकेंगे। तर्क दिया गया, रेरा केंद्रीय कानून है, इसके प्रावधान पूर्व में सभी अधिनियमों को सुपरसीड करते हैं। प्राधिकरण ने ऐसा अधिनियम की धारा 89 के तहत किया था, जबकि धारा 88 में यह भी कहा है, यह नियम प्रचलित नियमों से अतिरिक्त है। इसके बाद 1 अगस्त से पूरे प्रदेश में रजिस्ट्री पर रोक लग गई थी। इससे बिल्डर और प्रॉपर्टी खरीदने वाले परेशान होने लगे। आलम यह कि रेरा द्वारा लिखे पत्र के बाद नई रजिस्ट्री की संख्या में गिरावट आई है। इस स्थिति में आईजी रजिस्ट्रेशन ने वाणिज्यक कर विभाग से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, ताकि संपत्ति की रजिस्ट्री शुरू हो सकें।
इसके बाद वाणिज्यक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इस संबंध में रेरा सचिव को पत्र लिख दिया है, इसमें कहा गया है कि रजिस्ट्री व स्टाम्प एक्ट की धारा 34 व 35 में कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि रेरा में पंजीयन लिए बिना प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है, रेरा के प्रावधान कहीं भी पंजीयन अधिकारी के अधिकारों को बढ़ाते या कम नहीं करते हैं, इसलिए यह विधिक नहीं है कि रेरा में पंजीयन नहीं कराने वाले प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री नहीं की जाए। इसके साथ ही पंजीयन विभाग ने भी सभी उप पंजीयकों को निर्देश दिए हैं कि रेरा में पंजीयन नहीं होने वाले प्रोजेक्ट की प्रॉपर्टी के यदि सौदे होते हैं और दस्तावेज पंजीयन के लिए आता है, तो इसे नहीं रोका जाए।
रेरा ने पंजीयन विभाग को 21 जून को पत्र जारी कर कहा था कि यदि कोई चल रहा प्रोजेक्ट रेरा में 31 जुलाई से पहले रजिस्टर्ड नहीं होता है तो वह विधिक नहीं होगा। इसलिए इसके दस्तावेजों का पंजीयन नहीं कराया जाए। इसके चलते एक अगस्त से बिल्डरों और आम ग्राहक को प्रॉपर्टी के दस्तावेजों का पंजीयन कराने में मुश्किल आ रही थी और अब प्रमुख सचिव ने रेरा के इस पत्र के संदर्भ में यह पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि स्टाम्प एक्ट भी केंद्रीय एक्ट है और इसमें पंजीयन अधिकारी के दायित्व व अधिकार स्पष्ट है, जिस पर रेरा किसी तरह लागू नहीं होता है।
वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने पिछले दिनों रेरा कानून के तहत अनायास रजिस्ट्री बंद हो जाने को लेकर प्रदेश के महानिरीक्षक पंजीयक कल्पना श्रीवास्तव को लगभग नौ पेज की लंबी नोटशीट भेजी है। प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने अपनी इस नोटशीट में रजिस्ट्रेशन एक्ट की तमाम धाराओं का उल्लेख करते हुए विभाग के जिला स्तर पर तैनात उप पंजीयकों की शक्ति का विस्तार से ब्यौरा दिया है। प्रमुख सचिव ने अपनी नोटशीट में इस बात का उल्लेख किया है कि प्रदेश में प्रचलित रेरा कानून और रजिस्ट्रेशन एक्ट दो अलग-अलग प्रशासनिक प्रक्रियाएं हैं। इसमें दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं। उल्लेखनीय है कि रेरा कानून की घोषणा के बाद से प्रदेश में जिला स्तर पर संपत्ति रजिस्ट्री का काम लगभग ठप हो गया। प्रमुख सचिव वाणिज्यकर ने अपनी नोटशीट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि रेरा द्वारा उनके यहां रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले संपत्ति मालिकों की रजिस्ट्री नहीं किए जाने की घोषणा के संदर्भ में जिला अधिकारियों ने भी उनसे मार्गदर्शन मांगा है। जिस पर प्रमुख सचिव ने अपनी नोटशीट में हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए एक दर्जन से ज्यादा रजिस्ट्रेशन एक्ट की धाराओं का उल्लेख किया है।
नई रजिस्ट्री की संख्या में 20 प्रतिशत की गिरावट
रेरा द्वारा लिखे पत्र के बाद नई रजिस्ट्री की संख्या में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसका असर अगस्त के राजस्व पर दिखाई देगा। जुलाई में नई रजिस्ट्री की संख्या में 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। पंजीयन विभाग ने यह पत्र सभी जिला पंजीयकों को भी भेजते हुए संपूर्ण दस्तावेज होने पर रजिस्टर्ड करने के निर्देश दिए हैं। अब रेरा बिल्डर्स या डेवलपर्स का रेरा में पंजीयन नहीं होने पर भी मकान, प्लॉट, फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकेगी। यह राहत मास्टर प्लान और मास्टर प्लान से बाहर के प्रोजेक्ट पर भी लागू होगी। पत्र के साथ रजिस्ट्रेशन एक्ट के आधार पर रजिस्ट्री करने की विधिक स्थिति को भी स्पष्ट किया है, जिसमें कहा गया, रेरा यदि केंद्रीय कानून है, तो रजिस्ट्रीकरण व स्टाम्प अधिनियम भी केंद्रीय कानून है। इस अधिनियम की धारा-34 में यह स्पष्ट किया है, पंजीयन अथॉरिटी को रजिस्ट्री करते समय क्या-क्या दस्तावेजों को संज्ञान में लिया जाना है।
- विशाल गर्ग