19-Aug-2017 06:44 AM
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मध्य प्रदेश में एक बार फिर से नक्सलवाद अपनी जड़े मजबूत करने में जुट गया है। पुलिस विभाग और खुफिया एजेंसी भले ही इस बात की पुष्टि कर रही हों, लेकिन प्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह नए नक्सली दलम के गठन से बेखबर हैं। जबकि तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान ही नक्सलियों की सक्रियता के कई प्रमाण पुलिस विभाग को मिले थे। खासकर बालाघाट में तो नक्सली पिछले कई महीनों से अपनी जमावट कर रहे हैं। दरअसल, नक्सली छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के साथ ही मप्र में भी अपनी गतिविधियां तेज करने की कवायद कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के कबीरधाम से नक्सली गढ़ी मुक्की होते हुए सूपखार के जंगल से सीधे मंडला की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। यहां से उनका टारगेट मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया से सीधे सिंगरौली तक रोड मैपिंग करने का है। नक्सली इन जंगलों में अपनी ताकत बढ़ाने ओडिशा, झारखंड व आंध्रा से सीधे नई भर्ती कर तादाद बढ़ाएंगे। नक्सली नया कॉरीडोर तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कवर्धा से लगे कबीरधाम में दलम विस्तार की कड़ी में तैयार किए दलम में स्पेशल फोर्स के लिए प्लाटून-2 और प्लाटून- 3 में 25-25 सदस्यों को शामिल किया गया है। इनमें ज्यादातार युवक-युवितयों 17 से 28 साल के बीच के हैं। इन्हें छग के जंगल में पिछले अक्टूबर-नवंबर माह में गुरिल्ला ट्रेनिंग देकर फरवरी-मार्च 2017 में जंगलों में उतारा गया है। मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया के जंगलों में नक्सलियों ने 500 गांवों को टारगेट में लिया है। इसमें अब तक करीब 200 गांव चिन्हित कर लिए हैं। इन गांवों में नक्सली जहां ठिकाने तलाश रहे हैं वहीं ग्रामीणों का हितैषी बताकर उनसे पनाह भी मांग रहे हैं।
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर नक्सलियों के नए जोन ने पुलिस की पेशानी पर बल ला दिया है। इनकी कमर तोडऩे के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारी, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के पुलिस अफसरों के साथ मंत्रणा कर रहे हैं। नक्सलियों को तीनों ओर से घेरने की रणनीति बनाई जा रही है। नक्सली राजनांदगांव, गढ़चिरौली और बालाघाट जिलों को मिलाकर एक नया जोन बना रहे हैं। इसे उन्होंने एमएमसी जोन नाम दिया है। नए जोन के लिए बस्तर से 58 नक्सलियों का एक गु्रप राजनांदगांव भेजा गया है।
दरअसल, गोंदिया-बालाघाट-राजनांदगांव के नाम से इस इलाके में नक्सलियों का एक छोटा डिवीजन पहले से ही काम कर रहा था। नए जोन में डिवीजन का भी विलय किया गया है। पुलिस का अनुमान है कि इस इलाके में करीब 70-80 नक्सली पांव जमा चुके हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने सीमा पर स्थित पहाड़ों पर कैंप किया हुआ है। छत्तीसगढ़ की सीमा पर रगडग़ट्टा, सालेपार, जटावर का इलाका बेहद दुर्गम है। राजनांदगांव जिले के इस इलाके में घने जंगल और पहाड़ हैं। पहाड़ के उस पार मध्यप्रदेश और दूसरी ओर महाराष्ट्र की सीमा लगती है। जब इधर से फोर्स की मूवमेंट होती है तो नक्सली पहाड़ उतरकर दूसरे राज्य में चले जाते हैं। इसीलिए पुलिस अब तैयारी कर रही है कि तीनों राज्यों की संयुक्त गश्त की जाए। तय हुआ है कि संयुक्त ऑपरेशन में आईटीबीपी, एसटीएफ और सीआरपीएफ के जवानों को उतारा जाएगा। 15 अगस्त के बाद नक्सलियों पर पुलिस बड़ा दबाव बनाने के मूड में है। पुलिस अफसरों के मुताबिक नए नक्सल जोन की सूचना मिलने के बाद से महासमुंद, राजनांदगांव व मुंगेली जिलों में कांबिंग गश्त बढ़ा दी गई है।
नक्सली समस्या पर सदन में खामोश हैं माननीय
मध्यप्रदेश में नक्सली समस्या को लेकर सदन में भी जनप्रतिनिधि खामोश रहते हैं। बालाघाट जिले में दूरस्थ इलाकों में बैहर, बिरसा, परसवाड़ा और लांजी में तीन विधानसभा क्षेत्र की चार तहसीलों में विकास में नक्सली बाधा बने हुए हैं। इसके बाद भी इस समस्या को लेकर सदन में जनप्रतिनिधि कभी सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं कराते हैं। जिले में जिला पुलिस बल के करीब 2500 जवानों के अलावा हॉकफोर्स के 700, सीआरपीएफ 1200, कोबरा के 200, एसएएफ के 600, डीएफए के 2500 जवानों की तैनाती की गई है। वहीं एसआईबी के 50 जवान हैं। नई बटालियन के गठन से 1300 जवानों का बल और बढ़ जाएगा। यहां लगातार फोर्स बढ़ रहा है।
-सिद्धार्थ पाण्डे