19-Aug-2017 06:40 AM
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश के तीन दिनी दौरे पर आने वाले हैं जिसके चलते सत्ता और संगठन के हाथ-पैर फूल गए हैं। भाजपा संगठन का कहना है कि शाह संगठनात्मक चर्चा के लिए यहां आ रहे हैं, लेकिन जिस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा संगठन और सरकार गोपनीय स्तर पर तैयारियां कर रही हैं उससे लगता है कि इस बार शाह की क्लास में कईयों का भविष्य दांव पर लगेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मंत्रियों की परफारमेंस रिपोर्ट से संघ पहले से ही संतुष्ट नहीं है। वहीं खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रियों और उनके विभागों में चल रही लापरवाही से कई बार नाराज नजर आए हैं। ऐसे में किसान आंदोलन ने सरकार को बैकफुट पर ला खड़ा किया है। संघ की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रियों के नकारापन के कारण किसान आंदोलन इतना विशाल रूप धारण कर पाया। सूत्र बताते हैं कि संघ और संगठन ने मंत्रियों, उनके विभागों के अफसरों, भाजपा पदाधिकारियों के नकारापन की रिपोर्ट शाह को सौंप दी है। इसी सिलसिले में शाह मप्र आ
रहे हैं।
मप्र में 2018 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिसको लेकर पार्टी अपने स्तर पर काम में जुटी है, लेकिन प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस अचानक सक्रिय हुई है और भाजपा और सरकार पर हमला बोला है उससे संघ चिंतित है। संघ ने संगठन और सरकार को कई निर्देश दिए, लेकिन उसे हवा में उड़ा दिया गया। इसलिए अब शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। वे 18 से 20 अगस्त तक प्रदेश में ही डेरा डाले रहेंगे। शाह ने महाराष्ट्र और राजस्थान के अपने दौरे के दौरान जिस तरह आक्रामक रुख दिखाया है उससे पार्टी पदाधिकारियों में घबराहट है।
भाजपा के सूत्र बताते हैं कि सरकार के सामने सबसे बड़ी चिंता मंत्रियों और विधायकों की निष्क्रियता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बार-बार निर्देश के बाद भी मंत्री और विधायक अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं हुए। इस कारण न तो मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल हो सका और न ही योजनाओं का ठीक से क्रियान्वयन। इससे जनता के बीच में भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश दिखने लगा है। हालांकि इसको मैनेज करने के लिए मुख्यमंत्री ने मोर्चा संभाल लिया है।
दूर रखा जाएगा नाराज नेताओं को
अमित शाह की भोपाल यात्रा के दौरान संगठन और सत्ता से नाराज चल रहे नेताओं को दूर रखा जाएगा। तीन दिवसीय प्रवास के दौरान शाह कामकाज की समीक्षा के अलावा सामूहिक संबोधन व अलग-अलग जनों से चर्चा करेंगे। प्रदेश संगठन ने साफ कहा है कि दीनदयाल परिसर में पार्टी पदाधिकारी शाह से व्यक्तिगत मुलाकात नहीं कर पाएंगे। शाह से मिलकर बात रखने वालों में बाबूलाल गौर, कमल पटेल, धु्रवनारायण सिंह सहित कई पदाधिकारियों के नाम सामने आए हैं। शाह के संबोधन को सुनने मंत्री, विधायक, पदाधिकारी एवं चुनिंदा कार्यकर्ताओं को ही प्रवेश दिया जाएगा।
- रजनीकांत पारे