भ्रष्टाचार की प्याज
18-Aug-2017 10:08 AM 1234774
मप्र में किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी हो पाएगी या नहीं यह तो 5 साल बाद ही पता लगेगा, लेकिन किसानों द्वारा उत्पादित टमाटर, आलू और प्याज व्यापारियों, अफसरों और कालाबाजारियों को मालामाल जरूर कर रही है। वर्तमान समय में प्याज जहां किसानों, आम-आदमी और सरकार के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, वहीं व्यापारियों और कालाबाजारियों की कमाई तीन से चार गुनी हो गई है। दरअसल, इस बार प्रदेश में प्याज की बंपर पैदावार होने के बाद सरकार ने किसानों से 8 रूपए किलो में करीब 9 लाख टन प्याज खरीदा। फिर इस प्याज को 2 रूपए किलो में व्यापारियों को बेचना शुरू किया। सरकार की इस नीति का फायदा उठाकर अधिकारियों से मिलकर व्यापारियों ने प्याज खरीदकर गोदामों में भर लिया। साथ ही व्यापारियों ने 8 रूपए की दर से किसानों से भी प्याज खरीद कर उसे सुरक्षित गोदामों में भर रखा है। इस कारण अब प्रदेश में प्याज की कमी होने लगी है। इस कारण प्याज इन दिनों बाजार में 30 से 35 रुपए किलो बिक रही है, जबकि एक पखवाड़े पूर्व तक ब्याज के भाव 5 से 7 रुपए प्रति किलो थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016-17 में प्रदेश में 32 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ। बंपर उत्पादन की खुशी किसानों के चेहरों से उस वक्त काफूर हो गई जब प्याज के दाम में धड़ाम गिरावट हुई। नाराज किसानों को खुश करने के लिए सरकार ने 8 रूपए किलो में प्याज की जो खरीदी शुरू की उससे किसानों को तो राहत नहीं मिली लेकिन अधिकारियों से मिलकर व्यापारियों ने जमकर लाभ कमाया। किसानों से मंडी के बाहर 8 रूपए किलो प्याज खरीदकर उसी दर पर सरकार को बेच दी और फिर उसे 2 रूपए में खरीद लिया। मप्र का प्याज खरीदी घोटाला केवल सरकारी खजाने को चपत लगाने वाला घोटाला नहीं रहा बल्कि अब वो आम जनता को प्याज को आंसू रुलाने के लिए तैयार हो गया है। जमाखोर व्यापारियों ने प्याज की मंडी में सप्लाई बंद कर दी है। इससे प्याज के दाम बढऩे लगे हैं। जानकारों की मानें तो कालाबाजारियों के गोदामों में आज 20 लाख मीट्रिक टन प्याज भरी पड़ी है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में मप्र का आम आदमी प्याज के आंसू रोता दिखाई देगा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि प्याज का यह खेल कालाबाजारियों ने अधिकारियों के साथ मिलकर खेला है। अधिकारियों ने चहेते व्यापारियों को 20 पैसे प्रतिकिलो तक प्याज बेच दी। जबकि आम व्यापारी को 2.5 रुपए किलो भी नहीं दी गई। कमीशन के इस खेल के बाद एक नया खेल भी हुआ। कागजों में हजारों क्विंटल प्याज को सड़ा हुआ बताकर नष्ट करना दर्ज किया गया। वास्तविकता में उसका 10 प्रतिशत हिस्सा कुछ इस तरह नष्ट किया गया कि कब्र खोदकर भी प्याज की जांच ना हो पाए। बची 90 प्रतिशत प्याज बिना एंट्री के ही व्यापारियों को बेच दी गई। पहले कमीशन खाया गया था, फिर पूरी की पूरी कीमत ही गटक ली गई। अब सारी की सारी प्याज मंडियों से गायब हो गई या तो वो राज्य के बाहर वाले व्यापारियों के पास चली गई या फिर राज्य के जमाखारों के गोदाम में बंद कर दी गई। इधर दाम बढ़ते जा रहे हैं। 200 करोड़ का खेल आज प्रदेश में किसानों के नाम पर प्याज खरीदी और बाद में नीलामी और नष्ट के नाम पर किए गए घोटालों की वजह से जनता महंगा प्याज खाने को मजबूर है। किसानों के नाम पर किए गए इस फर्जीवाड़े का फायदा किसानों को तो नहीं मिला लेकिन अधिकारियों, कर्मचारियों की सांठगांठ से सरकार में बैठे जिम्मेदारों को जरुर हुआ। करीब 800 करोड़ की प्याज खरीदी बताकर और करीब 200 करोड़ का प्याज नष्ट बताकर, उसे ठिकाने लगाने के नाम पर बड़ा खेल खेला गया है। कई जिलों में तो उत्पादन से ज्यादा प्याज खरीद ली गई। प्रदेश के कई जिलों से बोगस किसानों के नाम पर खरीदी और उत्पादन से ज्यादा खरीदी के मामले सामने आए। सांसद कमलनाथ ने कहा है कि मैंने उसी समय सरकार को खरीदी और नीलामी के नाम पर हो रहे इस फर्जीवाड़े के प्रति चेताते हुए, खुला पत्र लिखकर बिंदुवार जानकारी मांगी थी। - अजयधीर
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