02-Aug-2017 09:45 AM
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पाकिस्तानी उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित पनामा गेट मामले में नवाज शरीफ को दोषी करार कर दिया है। यानी शरीफ का भ्रष्टाचार साबित हो गया है। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच ने नवाज शरीफ को पद छोडऩे का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ा और पाकिस्तान में एक नया सियासी खेल शुरू हो गया। जहां एक तरफ पार्टी के लिए यह संकट है कि वह प्रधानमंत्री किसको बनाए क्योंकि न सिर्फ पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में उनके पास बहुमत है बल्कि अभी भी पाकिस्तान के आम चुनावों में करीब 7 महीने का समय बचा है।
इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद के लिए नवाज शरीफ के भाई और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है लेकिन यहां भी मुस्लिम लीग नवाज के लिए दिक्कत है शाहबाज शरीफ नेशनल असेंबली के सदस्य भी नहीं है और पाकिस्तान की आबादी और इलाके के लिहाज से करीब 60 फीसद वाला पंजाब प्रांत भी मुस्लिम लीग नवाज के लिए काफी महत्वपूर्ण है, जहां पर न सिर्फ शाहबाज शरीफ की पकड़ है बल्कि उन्हें आम लोगों का समर्थन भी हासिल है। इस मौके पर काबा शरीफ के लिए मुख्यमंत्री का पद छोडऩा मुश्किल लग रहा है प्रधानमंत्री के दावेदार और भी कुछ नेता हैं जिनमें प्रमुख तौर से पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का नाम चर्चा में चल रहा है लेकिन स्पीच पाकिस्तान में विपक्ष पार्टियां नए सिरे से चुनाव की मांग पर अड़ी हुई हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री बनता है या पाकिस्तान एक बार फिर नए चुनाव की ओर समय से पहले ही पड़ता है।
पाकिस्तान में शुरू से ही सरकारों पर सेना ही भारी रही है और ऐसा ही कुछ इस बार भी हुआ। जानकारों की मानें तो नवाज शरीफ को गद्दी से हटाने के पीछे भी पाकिस्तानी सेना की चाल कुछ हद तक चल रही थी। दरअसल, नवाज शरीफ की तरफ से पाकिस्तान में लिए गए कई फैसले पाकिस्तानी सेना को पसंद नहीं आए खासतौर से उत्तरी वजीरिस्तान और कबीलाई इलाकों में तहरीक ए तालिबान के खिलाफ नवाज शरीफ की बड़ी कार्रवाई में भी सेना के कई जनरल पाकिस्तान में नाराज थे। पाकिस्तान में नवाज शरीफ की तरफ से आर्थिक विकास और पड़ोसियों के साथ दोस्ती भी पाकिस्तानी सेना को रास नहीं आ रही थी। अब जबकि पाकिस्तान में नवाज शरीफ प्रधानमंत्री नहीं रहे तो जाहिर है कि दूसरा बनने वाला प्रधानमंत्री उतना ताकतवर नहीं हो पायेगा जितना नवाज शरीफ थे और एक बार फिर पाकिस्तान में सेना अपनी मर्जी से ही काम चलाएगी। जिसका मतलब भारत के खिलाफ आतंकवाद में तेजी और अफगानिस्तान में भारत के हितों के खिलाफ मंसूबा बंदी पाकिस्तानी सेना के एजेंडे में प्रमुख तो रहेगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले ही सीमावर्ती इलाकों में पिछले कुछ समय से काफी तनाव चल रहा है और आए दिन युद्ध विराम का उल्लंघन हो या फिर घुसपैठ हो उसमें फिलहाल कोई कमी दिख नहीं रही है। अब यही
लगता है कि आने वाले दिनों में भारत के खिलाफ हिंसा में पाकिस्तान की तरफ से और भी तेजी आएगी। ऐसी स्थिति में भारत को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि पाकिस्तान भारत को भी अस्थिर करने का प्रयास करेगा।
पाकिस्तान में बन सकती है टकराव की स्थिति
पाकिस्तान में नवाज शरीफ के जाने के बाद पाकिस्तान के अंदर भी खलबली मच सकती है पाकिस्तान में सेना प्रमुख कमर बाजवा नवाज शरीफ के करीबी माने जाते हैं अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पाकिस्तानी सेना में कमर बाजवा ही अपनी रणनीति तय करेंगे या फिर पाकिस्तानी सेना में कट्टरपंथी धड़ा एक बार फिर ताकतवर बनेगा जो चाहता है कि राहिल शरीफ के लिए है या फिर परवेज मुसरफ के लिए पाकिस्तानी राजनीति में लाने के लिए राह बनाई जाए यहां तक की बातें चल रही है कि नवाज शरीफ के जाने के बाद राहिल शरीफ को किसी राजनीतिक दल में शामिल करके उनके लिए राजनीतिक जमीन तैयार की जा रही है और शायद वह दिन दूर नहीं होगा जब परवेज मुशर्रफ के साथ-साथ राहिल शरीफ भी पाकिस्तान में चुनाव लड़ते नजर आएंगे।
-अक्स ब्यूरो