02-Aug-2017 08:18 AM
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विधानसभा के मानसून सत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने स्वीकार किया कि मनरेगा में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। खासकर कुओं के निर्माण में सबसे अधिक भ्रष्टाचार किया जा रहा है। भार्गव कई बार स्वीकार कर चुके हैं,
लेकिन गड़बडिय़ां रूकने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला छतरपुर में सामने आया है। यहां मनरेगा राशि का गबन कर लिया गया है। आलम यह है कि इतना बड़ा घपला होने के बाद भी कलेक्टर ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
जानकारी के अनुसार मामला बड़ामलहरा जनपद पंचायत क्षेत्र का है। ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव सहित रोजगार सहायक से लेकर जनपद पंचायत के कर्मचारियों और सीईओ ने मिलकर शासन से मिले मनरेगा के साढ़े तीन करोड़ रुपए प्रसाद की तरह वितरित कर दिए। ऐसे भी कई काम मनरेगा से हो गए, जो मनरेगा से होते ही नहीं। इतना ही नहीं एस्टीमेट से ज्यादा के निर्माण कार्य कराए गए। इसमें मुख्य भूमिका ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत में पदस्थ सहायक लेखाधिकारी (मनरेगा) सहित जनपद पंचायत सीईओ, सहायक यंत्री और उपयंत्री शामिल हैं। हालांकि जांच के बाद संभागायुक्त द्वारा मनरेगा अधिकारी को भले ही सस्पेंड कर दिया है, लेकिन इसमें मुख्य रूप से जपं और ग्राम पंचायत दोषी है। जिसमें ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक सहित जपं स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसमें जपं में तत्कालीन सीईओ सिकंदर खान को प्रधानमंत्री आवास में फर्जीवाड़ा करने के कारण एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने निलंबित कर दिया था और सहायक यंत्री एमएल अहिरवार को अभी निलंबित किया गया है। जबकि सहायक
लेखा अधिकारी और उपयंत्री मजे से नौकरी कर रहे हैं।
दरअसल, बड़ामलहरा जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में बोल्डर चेक डेम, स्ट्रेगार्ड ट्रेंच निर्माण, वर्मीकम्पोस्ट और नाडेप का निर्माण किया गया। इसमें बोल्डर चेक डेम तो मौका स्थल से गायब ही हो गए। जिस स्थान पर यह निर्माण कार्य हुए, अब वहां पर पत्थर भी नहीं बचे हैं। यह भी नहीं कह सकते हैं कि निर्माण कार्य हुआ भी है, या नहीं। या फिर ऐसे ही बोल्डर चेक डेम के नाम पर 81 लाख 7 हजार रुपए निकाल लिए हैं। यह पूरा खुलासा जिला पंचायत सीईओ की ओर से कराई गई जांच में सामने आया है।
जांच में यह बात सामने आई की जहां अन्य जपं क्षेत्रों में वही नाडेप 8 हजार रुपए में बनाया गया, लेकिन यहां पर यह नाडेप 18 हजार रुपए में बना। 1600 नाडेप क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में बने हुए है। 707 नाडेप की जांच हुई, तो पाया कि शासन की 59 लाख 19 हजार रुपए की राशि का दुरुपयोग हुआ है। क्षेत्र में 18 बोल्डर चेक डेम बने हुए हैं, जिसमें 15 की जांच हुई, तो पाया कि 81 लाख 7 हजार रुपए की राशि का दुरुपयोग हुआ। 26 स्ट्रेगार्ड ट्रेंच निर्माण हुए है, जिसमें 19 की जांच हुई, तो पाया कि 47 लाख 39 हजार रुपए की राशि का दुरुपयोग किया गया है। जपं क्षेत्र में 329 वर्मी कंपोस्ट बने हुए है, जिसमें जांच के बाद पाया गया कि 10 लाख 89 हजार रुपए का दुरुपयोग किया गया है। इसमें 23 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत नाली निर्माण करा दिया गया, जबकि नाली निर्माण यानि पक्का निर्माण कार्य मनरेगा से होता ही नहीं है। इसमें 20 ग्राम पंचायतों में निर्माण कर यह 157 लाख 60 हजार रुपए निकाल लिए। जबकि इस योजना से यह कार्य बिलकुल भी नहीं होते है। कुल 3 करोड़ 56 लाख 14 हजार रुपए को पूरी गुत्थी हजम कर गई और अब कार्रवाई भी नहीं हो रही है।
जेल से लौटे आरोपी
को बनाया सीईओ
विभाग में भर्राशाही की एक तस्वीर बड़ामलहरा में ही देखने को मिल रही है। यहां अजय सिंह को जपं सीईओ बनाया गया। खास बात यह है कि अजय सिंह पिछले दिनों बड़ामलहरा में गड़बड़ी करने के मामले में जेल गए थे। इसके अलावा दतिया जिले में अजय सिंह को लगातार ही नोटिस मिलते रहे। बता दें कि जनपद पंचायत बड़ामलहरा की ग्राम पंचायत मैलवार में करीब 6 वर्ष पूर्व में मनरेगा में करीब 29 लाख रुपए की राशि का गबन हुआ था। इसी मामले में बड़ामलहरा कोर्ट ने 29 नवंबर 11 को पूर्व सीईओ अजय सिंह को धारा 409, 119, 188 का आरोपी मानते हुए नोटिस भेजा था। पेशी के बाद सुनवाई में अजय सिंह को सिविल जज नीरज सोनी ने गबन के एक मामले में जेल भेज दिया था और उनकी जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी थी।
- श्यामसिंह सिकरवार