अविश्वास के साए में योगी
22-Jul-2017 08:08 AM 1234791
उत्तर प्रदेश की जनता का ही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी नौकरशाही और मंत्रिमंडल का भी भरोसा जीतने में सफल नहीं हो पा रहे है। यही वजह है कि प्रदेश में सरकार बदलने के बाद जिस तरह से हालात बदलने चाहिये थे वह नहीं हो पा रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ मीडिया के ऐसे समूह के बीच भी फंस गये है जो समाजवादी पार्टी की सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चमक दमक दिखा रही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों पर भरोसा नहीं कर पा रहे है। मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के बीच तालमेल का पूरा अभाव दिखता है। केवल मंत्रिमंडल ही नहीं नौकरशाही भी समझ नहीं पा रही कि वह किस तरह से काम करे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी संभालने के बाद बहुत हद तक सरकारी व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव के लिये तबादले कर दिये हैं। इसके बाद भी शासनतंत्र पर उनकी पकड़ मजबूती से नहीं दिख रही है। अपराध के हालात खराब हुये तो मुख्यमंत्री के सलाहकारों को लगा कि मीडिया मैनेज करके नाकारात्मक प्रभाव को रोका जा सकता है। यही काम कभी अखिलेश यादव ने किया था। सहारनपुर की घटना का प्रभाव पूरे प्रदेश में है। जातीय संतुलन में सरकार ही नहीं भाजपा भी फेल हो गई है। जानकार कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को जिस तरह से भाजपा के कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलना चाहिये वह नहीं मिला। योगी आदित्यनाथ भले ही जाति से खुद को दूर रखते हों पर उनके खिलाफ काम करने वाले लोगों ने उनको जातियता फैलाने का आरोप लगाकर प्रचारित कर दिया। इसके साथ ही साथ यह बात भी फैलाई गई कि योगी आदित्यनाथ की हिन्दू युवा वाहिनी प्रदेश में लोकल स्तर पर समान्तर सरकार चला रही है। इस तरह के प्रचार का प्रभाव योगी की छवि को धूमिल कर रहा है। जिसकी वजह से सरकार सही तरह से अपना काम नहीं कर पा रही है। जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री के साथ 2 उप मुख्यमंत्री बनाने से तकनीकि रूप से परेशानियां सामने आ रही है। जनता के हित के तमाम फैसले इस वजह से ही अमली जामा नहीं पहन पा रहे हैं। प्रदेश सरकार खनन नीति बनाने में सफल नहीं हो रही। जिससे लोगों को घर बनाने के लिये मौरंग नहीं मिल रही। मौरंग का भाव आसमान में पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सरकारी अमले से अधिक अपने नेटवर्क पर भरोसा करते हैं जिसके कारण सरकारी अमला पूरी तरह से सक्रिय होकर काम नहीं कर रहा है। जिस बदलाव के लिये प्रदेश की जनता ने भाजपा को वोट दिया था वह धराशाही होता दिख रहा है। गाय को लेकर जो सरकार ने माहौल तैयार किया है उससे सड़कों से लेकर गांवों तक गाय और गौ वंश का प्रकोप बढ़ गया है। सरकार के नियम कानून बनने से प्रदेश में इंसपेक्टर राज की वापसी हो गई है। किसान ही नहीं कारोबारी भी बहुत परेशान हैं। पेट्रोल पंप पर छापे डालने से लेकर तमाम ऐसे आरोप है जिससे लोग परेशान हैं। आरोप यह है कि भाजपा अब प्रदेश में इंसपेक्टर राज को बढा़वा दे रही है। प्रदेश सरकार इंसपेक्टर राज को बढ़ावा देकर प्रदेश कर जनता का भला नहीं कर पा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि प्रभावित हो रही है वह भरोसा जीतने में असफल हो रहे हैं। अयोध्या को कर्मभूमि बनायेंगे योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा सदस्य हैं। अब उनको लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर विधानसभा का चुनाव लडऩा है। योगी आदित्यनाथ के लिये गोरखपुर से सुरक्षित कोई दूसरी जगह नहीं है। गोरखपुर के कुछ विधायक अपनी सीट से इस्तीफा देकर योगी के लिये विधानसभा उपचुनाव लडऩे के लिये सीट खाली करने का मन भी बना चुके हैं। इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर के बजाये अयोध्या विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की संभावना दिख रही है। योगी के अयोध्या दौरे के बाद अयोध्या की विकास योजनाओं पर जिस तरह से सरकार अपना फोकस बढ़ा रही है, उससे यह साफ होने लगा है। भाजपा योगी को हिन्दुत्व और अयोध्या से जोड़कर देखना चाहती है, जिससे 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बढ़त हासिल हो सके। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गंगा की सफाई को लेकर धार्मिक मुद्दा चुनाव में उठाया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गाय और गौ वंश को लेकर धार्मिक वोटबंदी करने की योजना में है। दक्षिण भारत, गोवा और देश के कुछ पहाड़ी इलाकों में गाय और गौ वंश के मीट को लेकर नया विरोध और समर्थन शुरू हो गया है। भाजपा से जुड़े साधूसंत भी इस मुद्दे को हवा देने में जुट गये हैं। गंगा सफाई के वादे को 3 साल बीत गये हैं। गंगा में पानी जस का तस ही है। ऐसे में अब भाजपा नये धार्मिक मुद्दे तलाशने में लग गई है। अयोध्या और गाय दोनों ही ऐसे सबसे बड़े मुद्दे हैं जिन पर देश वोटबंदी का शिकार हो सकता है। राममंदिर आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश से अधिक देश के बाकी हिस्से पर हो रहा है। - मधु आलोक निगम
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^