खत्म होती योगी सरकार की हनक
19-Jul-2017 09:05 AM 1234795
राजस्थान के मौजूदा गवर्नर कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब वे कहते थे कि सरकार की हनक, धमक और इकबाल होनी चाहिए। हनक से कानून का राज कायम होता है, धमक से अपराधी, भ्रष्टाचारी डरता है और इकबाल से जनता में सरकार के प्रति भरोसा जगता है। कल्याण सिंह के बाद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री हैं जिनको बहुमत से सरकार चलाने का अवसर मिला है। रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के समय प्रदेश में भाजपा की बहुमत वाली सरकारें नहीं थीं। ऐसे में उन्हें बहुत सारे मौकों पर सहयोगी दलों की खींचातानी का सामना करना पड़ता था। योगी सरकार से लोगों को यह उम्मीद जरूर है कि वह अपना हनक, धमक और इकबाल कायम करे। शुरुआती समय में यह प्रभाव नहीं बन पा रहा है। प्रदेश में हत्या, लूट और जातीय हिंसा की बढ़ती घटनाओं ने सरकार के प्रभाव पर सवालिया निशान लगा दिया है। उत्तर प्रदेश में अपराध हर सरकार के लिए बड़ा मुद्दा रहा है। भाजपा ने कानून के राज के नाम पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपराध कम करने का पहला वादा किया था। बहुत सारे बदलावों के बाद भी जब योगी सरकार की हनक कायम होती नहीं दिखी तो जनता सड़कों पर उतर कर अपराध के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। जनता में फैलता यह संदेश योगी सरकार के खिलाफ जा रहा है। इससे योगी की छवि धूमिल हो रही है। राजधानी लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी और कृष्ण की नगरी मथुरा सभी अपराध के दर्द से कराह रहे हैं। सीतापुर में सरेआम कारोबारी सहित उसके बेटे और पत्नी की हत्या हो जाती है। वाराणसी में सर्राफा कारोबारी से लूट के बाद पुलिस ने घटना का पर्दाफाश किया पर उससे पीडि़त परिवार संतुष्ट नहीं दिखा। राजधानी लखनऊ में पावर विंग ने तमाम संगठनों और लोगों के साथ मिलकर 1,090 चौराहों पर प्रदर्शन किया। पावर विंग की अध्यक्ष सुमन रावत ने कहा, अपराध पर रोक लगनी ही चाहिए। जिस तरह से हत्या, बलात्कार, लूट और चोरी की घटनाओं का खुलासा नहीं हो रहा और घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे जनता में योगी सरकार के खिलाफ गलत संदेश जा रहा है।ÓÓ चैतन्य वैलफेयर फाउंडेशन की ओम कुमारी सिंह ने कहा, अपराध करने वालों को बिना किसी भेदभाव के कड़ी कानूनी सजा दी जाए।ÓÓ इन प्रदर्शन करने वालों का मानना था कि महिला अपराधों के जिम्मेदारों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही की जाए। अप्रैल माह में प्रधानमंत्री की लोकसभा सीट वाराणसी में सीताराम सर्राफ के यहां शहर की सबसे बड़ी चोरी हुई। इसमें 12 किलो सोना चोरी चला गया। पुलिस पर मामले को खोलने का दबाव पडऩे लगा। पुलिस ने जिन लोगों को पकड़ा उनसे मात्र 1 किलो सोना ही मिला। सीताराम सर्राफ के परिजन इस खुलासे से संतुष्ट नहीं हैं। वे पुलिस के हर अफसर तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं। सीताराम सर्राफ के परिजनों में नूपुर अग्रवाल कहती हैं, पुलिस ने जिस तरह से मामले को खोला है, उस पर यकीन करना संभव नहीं है। अगर सही लोग पकड़े गए होते तो पूरा माल बरामद हो जाता।ÓÓ इधर, पुलिस सीताराम सर्राफ के परिजनों को ही गलत तहरीर देने की बात कह रही है। पुलिस का मानना है कि सीताराम सर्राफ के परिजनों ने ज्यादा सोना चोरी होने की बात लिखवाई थी। पुलिस को अपराध का शिकार हुए परिवार के साथ बहुत ही संवेदनशीलता से काम लेना चाहिए। पुलिस के व्यवहार से बहुत हद तक सरकार की इमेज बदल सकती है। थाना और तहसील ही सरकार की इमेज को बनाते व बिगाड़ते हैं। सरकार की प्रशासनिक क्षमता सवालों के घेरे में जानकार मानते हैं कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री के साथ 2 उपमुख्यमंत्री बना कर कुशल शासन देने की नीति बनाई, वह सफल नहीं हो पा रही है। योगी आदित्यनाथ कठोर मुख्यमंत्री वाली छवि बनाना चाहते हैं। वे कल्याण सिंह जैसे कुशल मुख्यमंत्री बन सकते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को अपनी टीम के साथ बेहतर तालमेल बनाना होगा। वे अब धार्मिक नेताभर नहीं हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। जिस पर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें लगी हैं। ऐसे में योगी को अपनी प्रशासनिक क्षमता खुद भी बढ़ानी होगी और अपने मंत्रिमंडल व ब्यूरोक्रेसी में वह भरोसा जगाना होगा जिससे लोग उनके फैसले को जनता के बीच सही तरह से ले जाएं। मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह से जानवरों की कत्लगाहों को बंद करने, एंटी रोमियों दस्ता बनाने जैसे विवादित काम शुरू हुए, उनकी वजह से सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल खड़े हुए हैं। -मधु आलोक निगम
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