19-Jul-2017 08:48 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति और उनके नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लगातार मजबूत होते समीकरण ने चीन और पाकिस्तान में खलबली मचा दी है। पाकिस्तान इसलिए घबराया है क्योंकि आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत, अमेरिका और इजरायल के बीच एक मजबूत त्रिकोण सामने आया है। आतंकवाद से लडऩे को लेकर भारत-इजरायल के नये समझौते से आतंक को बढ़ावा देने के पाकिस्तानी मंसूबों पर तुषारापात हो गया है। वहीं चीन का माथा इसलिए खराब हो गया है क्योंकि पीएम मोदी के ताकतवर नेतृत्व के चलते क्षेत्र में उसे अपना दबदबा संकट में नजर आ रहा है। जापान और अमेरिका के बाद अब इजरायल और भारत की दोस्ती से चीन की आंखों के आगे अंधेरा छा गया है वो अब सिर्फ और सिर्फ इस ताक में लगा है कि किस तरह से भारत को दबाव में लाया जाए। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ये नया भारत है जो चीन की चाल में फंसने वाला नहीं है।
चीन ऐसा तिलमिलाया है कि वो सिक्किम से लगी भारतीय सीमा के करीब भूटान में पडऩे वाले डोकलाम के हिस्से में सड़क बनाने में जुट गया। इस कोशिश के पीछे उसका मकसद भारत को परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं लेकिन भारत ने ये साफ कर दिया है कि वो चीन के हर नापाक कदम का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। चीन की चाल को पढ़ते हुए भारतीय सैनिक चीन, भूटान से लगी सीमा पर पहले से कहीं ज्यादा चौकस हैं। चीन की गीदड़-भभकी के आगे नहीं झुकने का रुख अपनाते हुए भारत ने कहा है कि कूटनीतिक बातचीत के जरिये ही किसी भी सीमा विवाद का हल निकालने के प्रयास किये जा सकते हैं। रक्षा मंत्री अरुण जेटली पहले ही दो टूक कह चुके हैं कि 2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है। हम 2017 के दौर में अपनी संप्रभुता और सीमा की सुरक्षा में सक्षम हैं। भारत का स्पष्ट मत है कि मैक्मोहन लाइन के जरिए सीमांकन को चीन को मानना चाहिए। लेकिन चीन अपनी सुविधा के मुताबिक नियमों की व्याख्या करता है।
चीन का कहना है कि भूटान और चीन के मामले में भारत को दखल देने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि चीन के इस बयान के पीछे भी नीयत में खोट है। आखिर उस चीन पर कैसे भरोसा किया जाए जिसने भारत को भाई कहकर भाई की गर्दन पर छूरी चलाई थी। जिस डोकलाम में चीन सड़क निर्माण में लगा है वो अगर बना तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है क्योंकि इस तरफ चीन की पहुंच आसान हो जाएगी। इसलिए भारत इस सड़क का लगातार विरोध कर रहा है।
डोकलाम में चीन द्वारा सड़क बनाने की कोशिश के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही है। डोका ला उस क्षेत्र का भारतीय नाम है जिसे भूटान डोकलाम कहता है। चीन का दावा है कि यह उसके डोंगलांग इलाके का हिस्सा है। विवाद को हल करने के लिए चीन और भूटान के बीच बातचीत चल रही है। लेकिन भूटान के चीन के साथ राजनयिक रिश्ते नहीं हैं इसलिए भारत ही उसे सैन्य के साथ-साथ राजनयिक समर्थन देता है। चीन इस बात से परेशान है कि भारत की फौज भूटान में क्यों मौजूद है और भारतीय जवानों ने नियंत्रण रेखा को पार करने की कोशिश क्यों की। गौर करने वाली बात है कि भूटान-चीन सीमा पर भारतीय फौज पहले से ही मौजूद रही है। लेकिन भारतीय जवानों की तरफ से कभी किसी तरह की उकसाने वाली कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल, चीन चाहता है की भारत उसकी राह में बाधा न बने।
सरकार के आर्थिक सुधारों से भी चीन परेशान
वैसे चीनी बौखलाहट का एक और बड़ा पहलू है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत आज हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। चीन से ये देखा नहीं जा रहा है। मोदी सरकार की योजनाओं और बड़े-बड़े फैसलों से अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी भारत लगातार आगे की ओर बढ़ रहा है। यहां नोटबंदी लागू होती है तो उसे जनसमर्थन मिलता है, यहां जीएसटी लागू होता है उसे भी हर तरफ से समर्थन हासिल होता है। भारत के आर्थिक सुधारों से चीन को अपनी अर्थव्यवस्था कमजोर पडऩे का भी डर है क्योंकि भारत में लोकतंत्र के कारण अधिकतर देश भारत को वरीयता दे रहे हैं। वहीं जीएसटी के लागू होने से चीनी निर्यात की कमर टूट सकती है। यानी चीन की छटपटाहट की एक नहीं कई वजहें हैं।
-अक्स ब्यूरो