19-Jul-2017 07:54 AM
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खनिजों से खाली होती धरती की कोख और धन्नासेठों के भरते खजाने। बंजर जमीन और कर्ज में डूबे किसान। स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल। पलायन का जोर। रोजगार का नामोनिशान नहीं। कुछ ऐसा हाल है बुंदेलखंड का। मगर उत्तरप्रदेश के बजट की ओर टकटकी लगा कर बैठे बुंदेलखंड के वाशिंदों को कुछ खास नहीं मिल सका।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल बुंदेलखंड के लोगों की बदहाली का दर्द राज्य के बजट में कुछ कम बांटते हुए नजर आ रहे हैं, जिस बुंदेलखंड ने राज्य सरकार को सभी 19 विधानसभा सीटों में जीत दिलवाई थी, उसी बुंदेलखंड को केवल 200 करोड़ रुपए का बजट अलग से दिया गया है। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे को अब बुंदेलखंड को जोडऩे की घोषणा कर दी गई है, जबकि सरकार
का वादा था कि अलग से बुंदेलखंड विकास बोर्ड का गठन कर के इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि ऐसा नहीं है, बुंदेलखंड को लेकर जो भी वादे लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये हैं। पांच साल में वे सारे वादे पूरे कर दिये जाएंगे। विकास बोर्ड का भी गठन होगा। वैसे मिनरल कमेटी के गठन, राष्ट्रीय पेयजल योजना के विस्तार का सबसे अधिक लाभ बुंदेलखंड क्षेत्र को ही मिलेगा। मगर पहले बजट में बुंदेलखंड के हिस्से उतना तो नहीं आता नजर आया, जितना इस क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी। बुंदेलखंड की बदहाली कहने के लिए चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती के अलावा सांसद सावित्रीबाई फूले मैदान में उतरी थीं, जिन्होंने बुंदेलखंड की बदहाली की कहानियां जनसभाओं में खूब पढ़ी थीं। अनेक वादे लोकल्याण संकल्प पत्र में भी उंकेरे गए थे। मगर पहले बजट में बुंदेलखंड पर खास नजर ओ करम नहीं नजर आ रहे हैं।
महोबा के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तारा पाटकर ने बताया कि, उनको उम्मीद थी कि, इस बजट में बुंदेलखंड के लिए कुछ ऐसी घोषणाएं होंगी, जिससे यहां का विकास तेजी से होगा। पलायन रुकेगा। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, मगर बजट में ऐसा कुछ सामने आता हुआ नजर नहीं आ रहा है। अधिकांश योजनाएं जो पूरे प्रदेश के लिए हैं, उनमें बुंदेलखंड का भी हिस्सा होगा, मगर खासकर इस क्षेत्र के लिए कुछ भी विशेष अलग से नहीं दिया गया है। हमीरपुर के रहने वाले सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी सुभाषचंद्र मिश्र बताते हैं कि अलग राज्य का वादा तो दूर की बात है वर्तमान सरकार बुंदेलखंड विकास बोर्ड के गठन का वादा पूरा करते हुए भी नजर नहीं आ रही है।
मिलेगी एक हजार तालाबों की सौगात
सूखे की मार से जूझ रहे बुंदेलखंड पर सरकार मेहरबान हुई है। खेत तालाब योजना के तहत हमीरपुर के किसानों के खेतों में एक हजार तालाब खोदे जाएंगे। खेतों में तालाब से भूगर्भ जलस्तर सुधार के साथ ही बारिश की बूंदों को भी सहेजा जा सकेगा ताकि किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए किसी पर आश्रित न होना पड़े। इसके अलावा मत्स्य पालन से किसानों की आय भी बढ़ेगी। किसानों की समस्या को देखते हुए सपा सरकार ने वर्ष 2015 में बुंदेलखंड में खेत तालाब योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत भूमि संरक्षण विभाग व कृषि विभाग की ओर से किसानों का चयन कर उसके खेतों में तालाब बनवाया जाता है। प्रथम वर्ष जिले को पचास तालाबों का लक्ष्य दिया गया था। अब जिले में एक हजार किसानों को लाभ देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। चालू वित्तीय वर्ष में शासन ने किसानों के लिए 1.63 करोड़ रुपये का बजट दिया गया।
एक्सप्रेस-वे
से बदलेगी तस्वीर
बजट में बुंदेलखंड के क्षेत्र को एक्सप्रेस-वे द्वारा दिल्ली से कनेक्ट करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकरण से जोडऩे का वादा है। इस इलाके के प्रमुख राजमार्गो को राष्ट्रीय मार्ग घोषित किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होने से सड़कों की मरम्मत व रखरखाव बेहतर होगा। यह स्थापित सच्चाई है कि बुंदेलखंड के जिला मुख्यालयों की बड़े शहरों से कनेक्टिविटी बेहतर नहीं है। इसके चलते भी औद्योगिक घराने इस ओर का रुख करने से बचते हैैं। एक्सप्रेस-वे के जरिये अगर बुंदेलखड के शहरों को दिल्ली से सीधे जुड़ा तो विकास की संभवानाएं बढ़ेगी। इसके अलावा सरकार ने दो सौ करोड़ रुपये का विशेष पैकेज भी बुंदेलखड के लिए घोषित किया है।
-जबलपुर से सिद्धार्थ पाण्डे