02-May-2017 07:52 AM
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डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अमेरिका और रूस के बीच संबंध मधुर होंगे, लेकिन सीरिया को लेकर दोनों देशों के बीच बढ़ी तल्खियों ने शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है। खबरों के अनुसार, अमेरिका ने रूस के साथ युद्ध की तैयारियां शुरू कर दी है। उधर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने चेतावनी दी है की रूस एक ही वार में अमेरिका के अहंकार को तोड़ देगा।
ज्ञातव्य है कि वर्चस्व को लेकर अमेरिका और रूस में हमेशा शीत युद्ध चलता रहता है। अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप की सरकार बनने के बाद समझा जा रहा था कि अमेरिका और रूस के संबंधों में सुधार होगा, लेकिन हाल ही में अमेरिका ने सीरिया पर मिसाइल अटैक किया उसके बाद से रूस और अमेरिका के आपसी संबंध एक बार फिर से और भी बुरे दौर में जाते दिखाई दे रहे हैं। ताजा मामला ये है कि रूस ने जापान की सीमा के पास अपने लड़ाकू विमान भेज दिए हैं। रिपोट्र्स के मुताबिक, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम रूसी बीयर बॉम्बर्स के जापानी सीमा के इतने करीब आ जाने से इलाके में तनाव बढऩे की आशंका है। रूस की तरफ से लड़ाकू विमान जापान की सीमा के पास भेजे जाने को अमेरिका को चिढ़ाने की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
अमेरिकी समाचार चैनल फॉक्स न्यूज ने दो अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि रूस के दो टीयू-95 बीयर बॉम्बर्स लड़ाकू विमानों ने पूर्वी रूस से उड़ान भरी और जापान सागर के ऊपर मंडराता रहे। अधिकारियों ने बताया ये लड़ाकू विमान अंतरराष्ट्रीय समुद्र के ऊपर ही उड़ते रहे और फिर वापस लौट गए। वहीं जापान की मीडिया के मुताबिक, रूसी बीयर बॉम्बर्स दिखते ही जापानी सेना हरकत में आई। इसके तुरंत बाद दो रूसी फायटर जेट इल्यूशिन आईएल-38 जापान के सुदूर उत्तरी द्वीप होकाइदो के पास भी देखे गए। इसके अलावा दिन में जापान सागर के ऊपर रूस के दो पनडुब्बी रोधी विमान टूपोलेव टीयू-142 भी देखे गए।
रूस का यह कदम ऐसे वक्त देखने को मिला है, जब इलाके में पहले से ही तनाव चरम पर है, वहीं रूस और अमेरिका के बीच भी इन दिनों सीरिया को लेकर रस्साकशी जोरों पर हैं। असल जापान इस इलाके में अमेरिका का सहयोगी देश है। दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागीरी से परेशान देशों में जापान भी है और अमेरिका जापान के साथ खड़ा है। उधर रूस और चीन हाल के कुछ वक्त में ज्यादा करीब आए हैं। बताते चलें कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना पर पिछले दिनों विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र में केमिकल हमले के आरोप लगे थे, जिसमें करीब 100 लोग मारे गए थे, इसमें बड़ी संख्या बच्चों की भी थी। बच्चों की उन तस्वीरों को देख कर पूरी दुनिया दहल गई। इसके बाद अमेरिका मे असद की सेना के ठिकाने पर क्रूज मिसाइल से हमला किया था। अमेरिका ने केमिकल हमले के लिए बशर अल असद को जिम्मेदार ठहराया था और रूस से कहा था कि वो असद के समर्थन के मसले पर फिर से सोचे। यहां तक कहा गया था कि रूस साथ नहीं देता तो अमेरिका फैसले खुद करेगा। वहीं सीरिया पर अमेरिकी हमले को लेकर रूस ने कहा था कि युद्ध अब एक इंच की दूरी पर है। इस घटना के बाद रूस और अमेरिका के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है।
पुतिन के काम को करीब से देखने वाले कहते हैं कि पुतिन की पूरी राजनीति शुरू से एक रणनीति के तहत आगे बढ़ी है। पहले दो बार राष्ट्रपति और उसके बाद प्रधानमंत्री रहते हुए उनका पूरा जोर केवल रूस की रक्षा और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने पर था और इस दौरान उन्होंने रूस को अमेरिका के स्तर की या उससे अधिक ताकत देने में कामयाबी भी पायी। लोगों के मुताबिक अपने पिछले कार्यकालों में रूस की ताकत बढ़ाने के बाद अब पुतिन अपना पूरा ध्यान विश्व पटल पर रूस के वर्चस्व को स्थापित करने पर लगा रहे हैं।
रूतबे के लिए
पुतिन के फैसलों को देखें तो साफ पता चलता है कि पुतिन विश्व पटल पर रूस के रुतबे को कायम करने की रणनीति पर लगे हुए हैं। खास बात यह है इस मामले में रूसी जनता पूरी तरह से उनके साथ है जिसका मानना है कि रूस को उसका खोया हुआ गौरव पुतिन ही वापस दिला सकते हैं। इसीलिए पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से लगातार उन्हें रूस की सत्ता सौंपी जा रही है। तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के एक साल बाद ही पुतिन ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देश यूक्रेन के राज्य क्रीमिया को रूस में शामिल करने की कोशिशें तेज कर दीं। यूरोपीय संघ, और अमेरिकी सदस्यता वाले नाटो समूह के प्रबल विरोध के बाद भी वे पीछे नहीं हटे। कई दिनों के संघर्ष के बाद रूसी सेना ने आखिरकार क्रीमिया को अपने कब्जे में ले ही लिया। इस घटना से नाराज अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, लेकिन इन प्रतिबंधों के बावजूद इस पूरे घटनाक्रम को जानकार रूस की बढ़ती ताकत और अमेरिका के लिए बड़े झटके की तरह देखते हैं।
-माया राठी