बाल-बाल बचे नवाज ...
02-May-2017 07:37 AM 1234795
पाकिस्तान के उर्दू मीडिया में पनामा लीक्स पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले और उसे लेकर चल रहे सियासी हंगामे से बड़ी कोई खबर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार की विदेशों में संपत्ति की जांच के लिए संयुक्त जांच टीम बनाने का फैसला सुनाया है। लेकिन विपक्ष इस बात पर अड़ा है कि जांच पूरी होने तक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद खाली कर देना चाहिए। पाकिस्तान की फिजा में फिर से गो नवाज गो के नारे गूंज रहे हैं। इमरान खान और उनकी पार्टी के नेता फिर से धरने और प्रदर्शनों के लिए लंगोट कस रहे हैं। ऐसे में, पाकिस्तानी उर्दू मीडिया को चिंता सता रही है कि कहीं सियासी रस्साकशी का खमियाजा देश को न भुगतना पड़े, वह भी तब जब पूर्वी सीमा पर भारत और पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान की तरफ से लगातार दबाव बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अप्रैल महीने के शिकार बनने से बाल- बाल बच गए हैं। दरअसल, इसी महीने अतीत में पाकिस्तानी हुक्मरानों का तख्तापलट हुआ था, उन्हें उम्र कैद की सजा मिली थी और फांसी के फंदे पर लटकाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के दो के मुकाबले तीन न्यायाधीशों के अपने पक्ष में एक फैसला दिए जाने के बाद शरीफ (67) बाल -बाल बच गए। इस खंडित फैसले के चलते वह अयोग्य ठहराये जाने से बच गए। न्यायालय ने उनके परिवार के खिलाफ धन शोधन के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त जांच टीम गठित करने का आदेश दिया है। टीम हर दो हफ्ते के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और 60 दिन में जांच पूरी करेगी। दिलचस्प है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उसी महीने आया है जिस महीने अब से पहले शरीफ को 2000 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी और उनकी सरकार 1993 में बर्खास्त कर दी गई थी। प्रधानमंत्री शरीफ की सरकार को तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर अप्रैल 1993 में बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद 6 अप्रैल 2000 को कुख्यात विमान अपहरण मामले में एक अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, अन्य पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों के लिए भी अप्रैल का महीना बुरा रहा है। 4 अप्रैल 1979 को पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को एक प्रमुख नेता की हत्या की आपराधिक साजिश रचने को लेकर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। इसके कई वर्ष बाद 26 अप्रैल 2012 को तत्कालीन प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को अदालत के एक आदेश की अवहेलना का दोषी ठहराया गया। उसी दिन गिलानी को इस्तीफा देना पड़ा था। विपक्ष का कहना है कि नवाज शरीफ के रहते संयुक्त जांच टीम से कुछ निकल कर आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि उसके सदस्य सरकारी महकमों के मातहत होते हैं। जहां विपक्ष जांच टीम में सिर्फ सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को रखने की मांग कर रहा है, वहीं इमरान खान रैली करके सरकार की नाक में दम किए हुए हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने भी सरकार के खिलाफ मैदान में आने की बात कही है। इसके अलावा सभी पार्टियां मिलकर सरकार के खिलाफ ग्रैंड अलायंस बनाने की बात भी कर रही हैं। इस मसले पर पाकिस्तान के बुद्धिजीवी जहां विपक्ष से हंगामा किए बिना बीच का रास्ता निकालने को कह रहे हैं, वहीं सरकार को भी नसीहत दी है कि अगर नवाज शरीफ पद छोड़ भी देते हैं तो संसद में बहुमत होने के कारण उनकी पार्टी की सरकार चलती रहेगी। सरकार और विपक्ष के बीच रस्साकशी के कारण आम जनता की तरक्की से जुड़े विकास के कामों और खास कर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पर असर पड़ सकता है।  इस गेम में सरकार और शरीफ खान का सब कुछ दांव पर लगा हुआ है। चूंकि बुनियादी तौर पर यह विपक्ष का ही केस है तो उसकी तरफ से बेहतरीन रणनीति यही होगी कि वह जांच में ऐसा कोई कमजोर पहलू न छोड़े जिससे सत्ताधारी परिवार को कोई फायदा उठाने का मौका मिले। अगर विपक्ष ने सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप और उखाड़ पछाड़ की नीति को बरकरार रखा तो फिर व्यवस्था में सुधार और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का उसका सपना अधूरा ही रह जाएगा। पनामा मामले में चुप रहने के लिए दिया था 10 अरब का ऑफर पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर बड़ा आरोप लगाया है। इमरान खान ने कहा कि नवाज शरीफ ने उन्हें पनामा गेट स्कैडल पर शांत रहने के लिए 10 अरब रुपये का ऑफर करा था। हालांकि नवाज शरीफ की बेटी ने इस बात का खंडन किया है। पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का परिवार भी पनामा पेपर से हुए खुलासों के बाद आरोपों के घेरे में आ गया। यह मुकदमा 1990 के दशक में शरीफ द्वारा धन शोधन कर लंदन में संपत्ति खरीदने का है। शरीफ उस दौरान दो बार प्रधानमंत्री रहे थे। पनामा पेपर्स के अनुसार नवाज शरीफ की बेटी मरियम और बेटों- हसन एवं हुसैन की विदेश में कंपनियां थीं तथा इनके जरिए कई लेन-देन हुए थे। नवाज शरीफ और उनके परिवार ने धनशोधन के आरोपों को खारिज किया और कुछ भी गलत करने से इनकार किया। हालांकि, पाकिस्तान में विपक्षी दलों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। -राजेश बोरकर
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^