02-May-2017 07:43 AM
1234853
मप्र में 1 लाख 14 हजार 444 सरकारी विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में 1 करोड़ 35 लाख 66 हजार 965 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन विसंगति यह है कि 5,295 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें शिक्षक ही नहीं हैं, वहीं 17,972 स्कूल ऐसे हैं जो एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। ऐसे में इन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना करना भी बेमानी है। इसको देखते हुए इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना करने के लिए युक्तियुक्तकरण की नीति अपनाई है। इसके लिए अतिशेष शिक्षकों को चिन्हित किया जा रहा है। सरकार के इस कदम का विभिन्न अध्यापक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। कहीं धरना, कहीं प्रदर्शन तो कहीं ज्ञापन दिया जा रहा है। आखिर क्यों?
एक शिक्षक का कर्तव्य होता है स्कूलों में छात्रों को गुणकारी शिक्षा प्रदान करना। लेकिन मप्र में देखा जा रहा है कि मोटी-मोटी तनख्वाह पाने वाले शिक्षक अपने गांव, शहर या कस्बे के पास के स्कूल में पदस्थापना चाहते हैं। अपनी इसी मंशा के अनुसार शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना करा ली है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि शहर या उसके आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की भरमार है वहीं दूरांचल के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। जबकि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में छात्रों की संख्या कमतर है और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक। इस विसंगति के कारण छात्रों को गुणकारी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसको देखते हुए शिक्षा विभाग की सचिव दीप्ती गौड़ मुखर्जी ने 15 अप्रैल से 10 मई तक शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के तहत ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 27 हजार शिक्षक अतिशेष हैं। इन शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करना है।
शिक्षा विभाग ऑनलाइन शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर रहा है। यानि जिन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या नियुक्ति व बच्चों की संख्या से अधिक है, उनके शिक्षकों को कम शिक्षक वाले स्कूलों या शिक्षक विहीन शालाओं में पदस्थ किया जाएगा। खासबात यह है कि यह प्रक्रिया जिला स्तर के अफसर नहीं कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अभी तक शिक्षकों के युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया जिला स्तर के अफसर ही करते थे और अक्सर यह प्रक्रिया शिक्षकों के विरोध से अटक जाती थी। लेकिन इस बार युक्तियुक्त निश्चित सीमा में करने के निर्देश शासन स्तर से दिए गए हैं। इसलिए इस बार युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
शासन और विभाग के सख्त रुख को देखते हुए अध्यापक संवर्ग आक्रोशित है। शिक्षकों का कहना है कि मप्र की सरकार और उसके मुखिया ने हमेशा ही अध्यापको को लॉलीपॉप दिखा कर छला है। आश्वासन रूपी झुनझुना पकड़ाया दिया है। उनका कहना है कि वर्तमान में जारी युक्तियुक्तकरण करने में अनावश्यक रूप से अध्यापक संवर्ग को अतिशेष बता कर मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। शासन के द्वारा 6 वां वेतनमान का स्पष्ट मार्गदर्शन आज तक जारी नहीं किया गया है। युक्तियुक्तकरण से पहले प्रमोशन किया जाए। महिला अध्यापकों को चाइल्ड केयर लीव से भी वंचित कर दिया गया है। अध्यापक संवर्ग के लिए अनुकंपा नियुक्ति में डीएड, बीएड का पेंच फंसा कर आश्रित परिवार को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया है। इन समस्याओं का समाधान करने की बजाए सरकार शिक्षकों को फुटबाल बना रही है। दरअसल शिक्षक देश या समाज हित की बजाए अपना हित देख रहे हैं। जबकि युक्तियुक्तकरण होने से प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी। जब शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी तो शिक्षकों का मान भी बढ़ेगा। इस बार विभाग जिस मूड में है उससे साफ है कि अतिशेष शिक्षकों का तबादला निश्चित है।
अब हर स्कूल में होंगे पर्याप्त शिक्षक
स्कूल शिक्षा विभाग के इस कदम से इस वर्ष विषयमान व छात्र संख्या के मान से अतिशेष शैक्षणिक स्टाफ की कमी वाली शालाओं में पदस्थ किया जाएगा। अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना की कार्यवाही में शिक्षकों को शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ किया जाएगा। किन्तु किसी भी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में पदस्थापना की कार्यवाही नहीं की जाएगी। अध्यापक संवर्ग को नियुक्तिकर्ता निकाय के भीतर ही पदस्थ किया जाएगा।
- भोपाल से अजयधीर