02-May-2017 07:41 AM
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जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रदेश की सियासत में उठापटक शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ उन्हीं की पार्टी में एक धड़ा काम कर रहा है। यही धड़ा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को भाजपा में लाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि कांग्रेस के नेता इसे अफवाह करार दे रहे हैं, लेकिन भाजपा अपने प्रयास में लगी हुई है। बताया जाता है कि उन्हें बाकायदा ऑफर भी दिया जा चुका है कि उन्हें केन्द्रीय मंत्री बना दिया जाएगा। हालांकि अभी तक सचिन ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बताया गया है कि भाजपा की कांग्रेस के ऐसे ही कुछ और चेहरों यथा मिलिंद देवड़ा व नारायण राणे पर भी भाजपा की नजर है।
एक तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस को सजीव करने के लिए सचिन ने एडी से चोटी का जोर लगा रखा है। वहीं दूसरी तरफ उनको भाजपा में ले जाने की कवायद की जा रही है। दरअसल जानकारों का कहना है कि भाजपा को राजस्थान में अगर कोई घात पहुंचा सकता है तो वह सचिन पायलट हैं। वाकई सचिन की मेहनत के बाद आज स्थिति ये है कि इस धारणा को बल मिलने लगा है कि अगली सरकार कांग्रेस की ही होगी। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक लगातार गहलोत-गहलोत की रट लगाए हुए हैं। अर्थात रोटी तो पकाएं सचिन व खाएं गहलोत। भाजपा सचिन व गहलोत के बीच की कथित नाइत्तफाकी का लाभ लेना चाहती है। वह सचिन के दिमाग में बैठाना चाहती है कि कांग्रेस के लिए दिन रात एक करने के बाद भी ऐन वक्त पर कांग्रेस गहलोत को मुख्यमंत्री बना सकती है। ऐसे में बेहतर ये है कि भाजपा में चले आओ।
राजस्थान वासियों के लिए यह खबर हजम करने के लायक नहीं है, मगर भाजपा ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जो प्रयोग किया, उससे लगता है कि वह सत्ता की खातिर किसी भी हद तक जा सकती है। वैसे भी उसे अब कांग्रेसियों से कोई परहेज नहीं है। भाजपा व मोदी को पानी पी पी कर कोसने वालों से भी नहीं। ज्ञातव्य है कि चुनाव से कुछ समय पूर्व ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा भाजपा में शामिल हो गई थीं। उसके सकारात्मक परिणाम भी आए। उन्हें बाकायदा ईनाम भी दिया गया। संभव है भाजपा ऐसा ही प्रयोग राजस्थान में दोहराना चाहती हो। वह जानती है कि सचिन इस वक्त राजस्थान में कांग्रेस के यूथ आइकन हैं। ऊर्जा से लबरेज हैं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता पर काबिज भी हो सकती है। अगर वह उन्हें तोडऩे में कामयाब हो गई तो राजस्थान में कांग्रेस की कमर टूट जाएगी। वे गुर्जर समाज के दिग्गज नेता भी हैं। उनके जरिए परंपरागत कांग्रेसी गुर्जर वोटों में भी सेंध मारी जा सकती है। हालांकि इस बात की संभावना कम ही है कि सचिन भाजपा का ऑफर स्वीकार करें, मगर इस खबर से यह संकेत तो मिलता ही है कि भाजपा राजस्थान में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस में तोडफोड़ के मूड में है।
चर्चा यह भी है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद एक के बाद अधिकांश राज्यों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने से कई प्रभावशाली क्षेत्रीय नेता उलझन में है। केन्द्रीय स्तर पर पार्टी में कमजोरी और मजबूत नेतृत्व नहीं होने के चलते उन्हें लगता है कि आगामी चुनावों में भी पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं दिख रही है। ऐसे में वे पाला बदलने की सोच रखते हैं। यूपी, बिहार, उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनावों से पहले बहुत से कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था। कांग्रेस पार्टी के युवा व जनाधार नेता भी ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे हैं, वे पार्टी की वर्तमान कमजोर स्थिति को देखते हुए अपने भविष्य की राजनीति संवारने के लिए पाला बदलने की कोशिश में है। यह अलग बात है कि पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस की छत्रछाया में राजनीति में जगह बनाने वाले ऐसे कितने नेता पाला बदल पाते है।
भाजपा कई राज्यों के नेताओं पर डोरे डाल रही
वैसे राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक भाजपा सचिन पायलट ही नहीं कांग्रेस के उन युवा नेताओं पर डोरे डाल रही है, जिनकी ना केवल अपने क्षेत्र-समाज में पकड़ है, बल्कि वे जनता में अच्छी इमेज रखते हैं और ऊर्जावान है। यहीं नहीं वे भविष्य के नेता भी साबित हो सकते हैं। कांग्रेस के ऐसे तमाम नेताओं को पार्टी से जोडऩे के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इनसे सम्पर्क साधा है। पार्टी में आने पर उन्हें संगठन और सरकार में उच्च पद देने के भी ऑफर दिए गए हैं। यह भी आश्वासन दिया गया है कि पार्टी उनका पूरा मान-सम्मान रखेंगी। जो वो चाहते हैं, वे भी पूरा करने का भरोसा दिया है। बताया जाता है कि सचिन पायलट के अलावा महाराष्ट्र से मिलिन्द देवड़ा व नारायण राणे, गुजरात से पुराने भाजपा नेता शंकर सिंह बाघेला समेत कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को भगवा रंग में रंगने की तैयारी हो रही है। यह अलग बात है कि इनमें से किसी ने भी भाजपा के प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी