16-May-2013 07:02 AM
1234779
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नगर निगम आयुक्त विशेष गढ़पाले मैरिज गार्डनों को तोडऩे के विषय में सफेद झूठ बोल रहे हैं। उनसे जब पूछा गया कि केवल तीन मैरिज गार्डनों पर कार्रवाई क्यों

की गई तो उनका जवाब था कि बाकी के पास या तो स्टे हैं या फिर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन गढ़पाले के इस बयान को झुठला रही है राजस्व विभाग की वह सूची जो साफ बताती है कि एकाध प्रकरण को छोड़कर कोई भी प्रकरण न्यायालय में लंबित नहीं है। गढ़पाले झूठ क्यों बोल रहे हैं इसका जवाब शायद यही है कि रसूखदारों के मैरिज गार्डन बनाम हेल्थ क्लब को जमींदोज करने का साहस नगर निगम में नहीं है। इसीलिए पिछले दिनों जब नगर निगम अमले ने हलालपुर बस स्टेंड के सामने स्थित ग्रीन सिटी, गुलशन और स्वागत मैरिज गार्डन में तोड़ -फोड़ की कार्रवाई की तो यह साफ जाहिर हो गया कि लोगों की परेशानियों से नगर निगम को कोई सरोकार नहीं है। वह तो कुछ खास व्यक्तियों को निशाना बनाकर अपना उल्लू सीधा कर रहा है और उधर आवासीय कालोनियों के आसपास स्थित इन मैरिज गार्डन के समीप रहने वाले लोग शादी-ब्याह के ढोल ढमाकों और गंदगी से परेशान होकर कई-कई दिनों तक बदबू तथा ध्वनि प्रदूषण झेलने के लिए मजबूर हैं। उस ध्वस्त होने वाले दिन इन तीनों मैरिज गार्डन में शादी समारोह थे, लोगों ने बुकिंग करवाकर रखी थी। उनके लाखों रुपए फंसे हुए थे। मेहमानों को और घरातियों को आमंत्रण दे दिया गया था। शादी की सारी तड़क-भड़क पर पैसा खर्च किया जा चुका था, लेकिन इन गिड़गिड़ाते लोगों की पुकार नगर निगम के अमले ने नहीं सुनी। शायद जानबूझकर शादी का पीक टाइम इस कार्रवाई के लिए सुनिश्चित किया गया था ताकि एक कठोर संदेश दिया जा सके। तीनों मैरिज गार्डन में बुल्डोजर चला दिया गया। मलवे का ढेर लग गया। शादी का सपना संजो रहे लोगों के अरमानों पर पानी फिर गया और नगर निगम का अमला विजयी मुस्कान लिए लौट गया। सच बात तो यह है कि भोपाल सहित मध्यप्रदेश के अधिकांश शहरों में मैरिज गार्डन अवैध बने हुए हैं। इन मैरिज गार्डन को बनाने की कहानी बहुत लंबी है। पहले हेल्थ क्लब के नाम पर परमीशन ली जाती है और धीरे-धीरे वहां पर मैरिज गार्डन का आधारभूत ढांचा खड़ा कर दिया जाता है। कई मैरिज गार्डन तो ऐसे हैं जो किसी फाइव स्टार होटल की शक्ल में रहने, खाने से लेकर सुहागरात मनाने का भी इंतजाम किए हुए हैं और ये मैरिज गार्डन धड़ल्ले से इन शहरों में चल रहे हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल उन लोगों को धराशायी किया जाता है जिनकी कोई पहचान और एप्रोच नहीं है। राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों और राजनीतिज्ञों के मैरिज गार्डन धड़ल्ले से चलते रहते हैं। नगर निगम का कहना है कि जिन मैरिज गार्डन को तोड़ा गया है उनमें सड़क पर निकलने वाली बारात की वजह से ट्रेफिक जाम लग जाता था और भी कई तरह की परेशानियां होती थी। इन पर कार्रवाई लंबे समय से लंबित थी। नोटिस भी जारी किए गए थे, लेकिन इसके बाद भी मैरिज गार्डन के संचालकों ने शादी समारोह की बुकिंग स्वीकार कर ली।
अकेले लालघाटी में एक दर्जन से अधिक मैरिज गार्डन हैं। जिनमें से सात अवैध बताए जाते हैं। नगर निगम के अपर आयुक्त जीपी माली बताते हैं कि कुछ मैरिज गार्डन संचालकों के पास फिलहाल हाईकोर्ट का स्टे है। स्टे हटते ही कार्रवाई की जाएगी। जिन मैरिज गार्डनों को तोड़ा गया है उनमें से ग्रीन सिटी मैरिज गार्डन पूरी तरह अवैध था, लेकिन लंबे समय से उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई में ढील बरती गई, जिसके चलते मैरिज गार्डन के मालिक का हौंसला बढ़ गया और उसने मैरिज गार्डन को नया लुक दे दिया। इसी प्रकार गुलशन व स्वागत मैरिज गार्डन के संचालक चंदन भूरानी ने भी मैरिज गार्डन को सजा रखा था। हालांकि उनके पास नोटिस भेज दिए गए थे। अतीत में ऐसा होता आया है कि नोटिस भेजे जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी कारण मैरिज संचालकों ने इस मामले में ढिलाई बरती।
बताया जाता है कि भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में 103 के लगभग मैरिज गार्डन हैं, जिनमें से अधिकांश हेल्थ क्लब या ऐसे ही मनोरंजनात्मक स्थलों की आड़ लेकर बनाए गए हैं। मैरिज गार्डन फलता-फूलता धंधा है। शहरों में स्थान कम होने और सरकारी तौर पर शादी की जगहों की कमी के कारण लोग मैरिज गार्डन का रुख करते हैं। यह मुनाफे का धंधा है। एक-एक सीजन में करोड़ों रुपए के वारे न्यारे हो जाते हैं और इस रकम का एक बड़ा हिस्सा उन लोगों के पास भी पहुंचता है जो मैरिज गार्डन की बढ़ोतरी से आंखें मूंदे रहते हैं। 2004-05 में बनाया गया हिल्स व्यू मैरिज गार्डन भी विवादित है। भोपाल के अंदर ही लगभग 39 मैरिज गार्डन हैं, जिनमें से ज्यादातर विवादित हैं। बहुत से तो ऐसे हैं जो सत्तासीन दल से जुड़े लोगों की निजी संपत्ति हैं। लेकिन उसमें हाथ डालने से नगर निगम भी झिझकता है। होशंगाबाद रोड पर कई रसूखदार लोगों के मैरिज गार्डन देखें जा सकते हैं जिनमें शहरी कानूनों का खुला उल्लंघन हो रहा है। वर्ष 2012 में सितंबर माह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़े तालाब के निर्धारित दायरे में अतिक्रमण होने की स्थिति में संबंधित अधिकारी को जिम्मेदार ठहराने की बात की थी। लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि तालाब के कैचमेंट एरिए में सरकार के ही कई ऐसे मनोरंजनात्मक उपक्रम खुल गए हैं जो तालाब को नष्ट कर रहे हैं। तालाब में चलने वाली नाव पर शराब परोसी जाती है और बोतलें पानी में फेंक दी जाती हैं।
कुछ दिन पहले एक हवाई सर्वेक्षण किया गया था जिसमें यह बात साफ उभरकर सामने आई थी कि बड़े तालाब को पानी पहुंचाने वाली कोलांस और उलझावन नदियों का बहाव कम हुआ है लेकिन इसके बाद भी तालाब में मिलने वाले गंदे पानी के ट्रीटमेंट के प्लांट लगाने की बजाए तालाब के आसपास मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार के लिए ऐसे क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो तालाब को नष्ट करने में तुले हुए हैं। भोपाल के मास्टर प्लान में तालाब के सौंदर्यीकरण, गहरीकरण, नए व्यू पाइंट बनाने आदि के नाम पर जो योजना बनाई गई है वह बड़े तालाब को नष्ट करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
भोपाल के आसपास 18 जलाशय हैं, जिनमें से 13 नगर निगम की सीमा में आते हैं। कलियासोत और घोड़ा पछाड़ छोड़कर इन तालाबों का क्षेत्रफल लगभग 8 हजार 994 हेक्टेयर है। सर्वाधिक 31 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल बड़े तालाब का है। लेकिन कमाल की बात तो यह है कि इसके बाद भी भोपाल को पानी के लिए नर्मदा का मुंह देखना पड़ रहा है। नर्मदा से कई गुने दाम पर पानी मंगाना सरकार को मंजूर है, लेकिन जिस भोपाल के तालाब से सबसे सस्ता पानी मिल सकता था वह नष्ट किया जा रहा है और सरकार सोई हुई है। कुछ दिन पहले भोपाल के बड़े तालाब में ही कोई 14 हजार बिंदुओं का सर्वेक्षण कर तालाब के संरक्षण का मास्टर प्लान प्रस्तावित किया गया था, लेकिन यह मास्टर प्लान धूल खा रहा है। निगम के अधिकारियों से पूछो तो उनके पास कोई जवाब नहीं है। दिसंबर 2012 में सेट द्वारा बड़े तालाब के मास्टर प्लान बनाने के लिए तैयार की गई अंतरिम रिपोर्ट के प्रजेंटेशन के दौरान यह बताया गया था कि बड़े तालाब के केचमेंट क्षेत्र में बड़े पैमान पर अतिक्रमण है। इतना ही नहीं बल्कि ग्रीन बेल्ट और बफरजोन की जमीन पर इमारतें बड़े तालाब की कब्रगाह हैं। लेकिन इस रिपोर्ट को भी नजरअंदाज किया गया। आज तक कोई ठोस कदम इस दिशा में उठता दिखाई नहीं देता। इसी कारण नगर निगम ने जब बारात आने से चंद घंटों पहले मैरिज गार्डन तोड़े तो ये कार्रवाई भी कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित दिखाई दी। सितबंर 2012 में खानूगांव इलाके में जब इफ्तेखार असद की आलीशान कोठी को 22 किलो बारूद से ध्वस्त किया गया था तब लगा था कि सरकार बड़े तालाब को बचाने के लिए गंभीर है। लेकिन उसके बाद डेढ़ दर्जन से ज्यादा अवैध निर्माणों को नोटिस दिया गया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रदेश सरकार का कहना है कि वह सिंगापुर की तर्ज पर भोपाल की झील को विश्व प्रसिद्ध झील बनाना चाहती है, लेकिन महाराजा भोज की प्रतिमा के नीचे ही व्याप्त गंदगी सरकार के दावे की पोल खोल देती है। इसी वर्ष अप्रैल माह में तालाब के कैचमेंट एरिए में निर्माण करने पर चिरायू अस्पताल प्रबंधन के ऊपर ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बैंच ने पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था, लेकिन साथ ही यह भी छूट दी थी कि तीन महीने में अस्पताल परिसर में दो एकड़ जमीन पर वन क्षेत्र विकसित करने से जुर्माने में छूट मिल जाएगी। जुर्माना दिया गया या नहीं इसका तो पता नहीं, लेकिन चिरायु अस्पताल के परिसर में जंगल का कहीं नामों-निशान नहीं है और तालाब अपनी दुर्दशा पर रोने को विवश है। मुख्यमंत्री तालाब का हवाई सर्वेक्षण कर चुके हैं, निर्देश दे चुके हैं पर सच्चाई तो यह है कि तालाब के हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। इसी कारण नगर निगम की मैरिज गार्डनों पर की गई कार्रवाई ज्यादा प्रभावी प्रतीत नहीं होती है। सच पूछा जाए तो भोपाल में 35 मैरिज गार्डन ऐसे हैं जिन्हें तत्काल तोड़कर फेंकने की आवश्यकता है, 200 लोगों को नोटिस भी दिए गए हैं। लेकिन न्यायालय के स्टे का फायदा उठाकर अपने रसूख का परिचय देकर ये मैरिज गार्डन फल-फूल रहे हैं।
मेरे ख्याल से तो मैरिज गार्डन में होने वाली शादियां ही फिजूलखर्ची है। शादी सादगी से होनी चाहिए और नव युगल को नया जीवन शुरू करने के लिए कुछ दे दिया जाना चाहिए। जहां तक मास्टर प्लान का सवाल है मैंने इसका अध्ययन नहीं किया है इस बारे में मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
-एम.एन.बुच रिटायर्ड आईएएस
मास्टर प्लान में मैरिज गार्डन नहीं हैं
वर्ष 2005 के मास्टर प्लान में झील के आसपास मैरिज गार्डन का दूर-दूर तक जिक्र नहीं है। इसमें कहा गया है कि 90 प्रतिशत हरियाली और 10 प्रतिशत निर्माण के आधार पर न्यूनतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र में जनता के मनोरंजन आदि के लिए पार्क, नर्सरी, मनोरंजन पार्क, योग केंद्र, हेल्थ क्लब, पर्यटन आधारित एम्पोरिम, संग्रहालय, गोल्फ कोर्स, स्वीमिंग पूल, कला दीर्घा, ओपन एयर थिएटर, रेस्त्रां, गुलाब की नर्सरी, नर्सरी, वाणिज्यिक वानिकी, पुष्पोद्यान आदि की स्थापना की जा सकती है, किंतु इनके लिए भी जो आवश्यक शर्तें हैं उनका कड़ाई से पालन करने पर इन्हें स्थापित करना आसान नहीं होगा। मैरिज गार्डन का तो दूर-दूर तक कहीं जिक्र ही नहीं है। इसके बावजूद बड़ी झील के आसपास के क्षेत्रों में कई मैरिज गार्डन देखे जा सकते हैं। मैरिज गार्डन ही नहीं बल्कि बहुत से ऐसे निर्माण किए गए हैं जिनका जिक्र मास्टर प्लान में नहीं है और सरकार तथा नगर निगम इससे मुंह मोड़ रहा है।
कार्रवाई की जा रही है : विशेष गढ़पाले आयुक्त ननि भोपाल
200 लोगों को आपने अवैध मैरिज गार्डन प्रकरण में नोटिस दिया है किंतु कार्रवाई कुछ लोगों पर ही क्यों हुई है?
कारण यह है कि जैसे-जैसे संसाधन उपलब्ध हो पाते हैं और जिनका कोर्ट से स्टे नहीं होता या और कोई प्रक्रिया बची नहीं रहती उन पर कार्रवाई की जाती है तो जिन-जिन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी उन पर कार्रवाई की गई।
चार-पांच लोगों को छोड़कर बाकी सबके स्टे हैं?
ऐसा नहीं है उनके खिलाफ भी प्रक्रिया चल रही है उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। जो भी कानूनी प्रक्रिया होती है उसका पालन करना होता है उसके बाद ही कार्रवाई कर सकते हैं। उनको भी नोटिस दिए गए हैं बाद में कार्रवाई की जाएगी।
कहा जा रहा है कि लोगों को छांट-छांट कर आपने तोड़ा है?
नहीं ऐसी स्थिति बिलकुल नहीं है आपने भी देखा होगा इसमें हाईकोर्ट के भी निर्देश थे, शासन के भी निर्देश थे, हमें भी नोटिस आया हुआ था और यह अवैध भी थे। इसीलिए हमने कार्रवाई की।
कुछ नेताओं के गार्डन छूट गए हैं?
मैं किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं करता जो अवैध थे और जिनकी कार्रवाई पूर्ण हो चुकी थी उन्हें तोड़ा गया।
क्या यह सच है कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि शादी ब्याह का सीजन चल रहा है इसलिए कार्रवाई न की जाए ?
इस तरह के हमारे पास कोई निर्देश नहीं हैं।
बाकी पर कार्रवाई कब तक संभव है?
जैसे-जैसे प्रक्रिया पूर्ण होती जाएगी हम कार्रवाई करेंगे।
कुमार राजेंद्र