02-May-2017 07:11 AM
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सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश के बाद जिस तरह उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तराखंड और हरियाणा से औरतों की अगुवाई में शराब विरोधी आंदोलन उठता दिख रहा है वह काफी लोगों को डराने लगा है। इसमें वह भी शामिल हैं जो मांसाहार और पश्चिमी प्रभाव वाले खुले प्यार के इजहार के विरोधी हैं, जो भारतीयता के नाम पर चीजों को सतयुग में ले जाना चाहते हैं। लेकिन किसी ने यह सोचने की कोशिश नहीं की कि शराबबंदी से नशा बंदी हो जाएगी। शराबबंदी से जहां राज्यों को राजस्व की हानि होगी वहीं अवैध शराब और अन्य नशीले पदार्थों का धंधा तेजी से पनपेगा। इसलिए शराबबंदी की जगह लतबंदी के लिए अभियान चलाए जाए तो वह अधिक कारगर होगा।
राष्ट्रीय पाक्षिक अक्स पिछले कुछ अंकों में शराबबंदी की जगह लतबंदी पर जोर देती रही है। इस बात का अहसास मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी हुआ है। इसलिए मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश की जनता पर शराबबंदी थोपी नहीं जाएगी वे जनमानस बनाकर इस पर फैसला लेंगे। मुख्यमंत्री की बात बिल्कुल सही है। कोई भी निर्णय जनता पर थोपने से पहले उसके दुष्परिणामों पर सोचने की जरूरत है। शराबबंदी से एक तो राज्य सरकार को करीब 8 हजार करोड़ रुपए की राजस्व हानि होगी। वहीं शराबबंदी के बाद लोग या तो अवैध तरीके से शराब मंगाकर पिएंगे या फिर अन्य नशे की ओर बढ़ेंगे। ऐसे में शराबबंदी का फायदा ही क्या।
शराबबंदी की जगह सरकार शराबखोरी और नशाखोरी की लत छुड़ाने के लिए मुहिम चलवाए। यह एक कारगर कदम होगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने ऐसा करने का संकेत दिया है। प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया भी कह चुके हैं कि सरकार स्कूलों में नशाखोरी और शराबखोरी के खिलाफ छात्रों को जागृत करेगी। यह एक कारगर और उचित कदम होगा। हम सभी जानते हैं कि प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री भी चाहते हैं कि प्रदेश नशामुक्त हो। यही वजह है कि पिछले कई सालों से प्रदेश में शराब की नई दुकानें नहीं खोली जा रही है। सरकार की मंशानुसार काम करते हुए वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारी विभाग के राजस्व में कमी नहीं आने दे रहे हैं। वहीं इस बार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 12 प्रतिशत राजस्व वृद्धि की है।
ऐसे में महज कुछ लोगों के स्वार्थ पूर्ति के लिए किए जा रहे शराब विरोधी आंदोलनों से सरकार को क्षति पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस बात को राष्ट्रीय पाक्षिक अक्स के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री भी सजग हो गए हैं। इसीलिए उन्होंने जनमानस बनाकर शराबबंदी पर फैसला लेने की बात की है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि इस साल नर्मदा किनारे पांच किमी की परिधि में शराब की 64 दुकानें बंद कर दी गई और एक भी नई दुकान नहीं खोली गई। अगले साल स्कूल, कॉलेज, मंदिर के पास व रहवासी इलाकों में एक भी शराब की दुकान नहीं रहेगी। यही नहीं उन्होंने प्रदेश में नशे के कारोबार पर पूरी तरह से लगाम लगाने की बात कही है। निश्चित रूप से नशाखोरी पर अंकुश लगना चाहिए। प्रदेश में कई प्रकार के नशीले पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहे हैं जिससे सरकार को कोई लाभ नहीं हो रहा है। वहीं युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है।
पुलिस न शराब की दुकान खुलवाएगी और न ही शराब बिकवाएगी
शराब ठेकेदारों द्वारा नई दुकान खोलने के लिए पुलिस का सहयोग मांगे जाने पर गृहमंत्री भूपेंद्रसिंह ने स्पष्ट तौर पर निर्देश भिजवाए हैं कि प्रदेश में कहीं भी शराब दुकान खुलवाने और बिकवाने में स्थानीय पुलिस किसी भी प्रकार का संरक्षण अथवा सहयोग नहीं देगी। उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल से शराब के नए वित्तीय वर्ष के लिए हुए ठेकों में शराब दुकानों को लेकर पूरे प्रदेश में जनता के तीव्र विरोध के चलते शराब ठेकेदार शराब दुकान खुलवाने और बिकवाने के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन से सहयोग की अपील कर रहे हैं, लेकिन गृहमंत्री ने साफ इशारा कर दिया है कि जनविरोध के आगे सरकार पुलिस को हथियार बनाकर खुद बदनाम नहीं होगी।
-विशाल गर्ग