02-May-2017 06:56 AM
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कांग्रेस छोड़ कर गए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की क्या कांग्रेस में फिर से वापसी होगी? कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि जोगी की वापसी संभव है। इसका कारण यह है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसे पार्टी मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश कर सके। प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को बदले जाने की चर्चा है। उनकी जगह सत्यनारायण शर्मा प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हैं। लेकिन उनकी कमान में कांग्रेस मुख्यमंत्री रमन सिंह को चुनौती नहीं दे पाएगी।
दूसरी ओर अजित जोगी अपनी नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बैनर तले आक्रामक ढंग से राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की। माना जा रहा है कि आदिवासी और सतनामी दलित समाज के बीच उनकी अच्छी पकड़ है और वे इस वोट को एकजुट कर सकते हैं। यह वोट करीब 50 फीसदी है। कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि अगर जोगी अकेले लड़ेंगे तो भले वे न जीतें, लेकिन कांग्रेस को हरवा देंगे। यह भी कहा जा रहा है कि जोगी की वजह से कांग्रेस तीसरे नंबर पर भी जा सकती है। सो, कांग्रेस के कई नेता इस कोशिश में लगे हैं कि जोगी को वापस कांग्रेस में लाया जाए। उनके परिवार के प्रति सोनिया गांधी के मन में सद्भाव है। इसका फायदा उठा कर उनकी वापसी का प्रयास हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि सिर्फ जोगी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस छोड़ कर गए और अपनी पार्टी बना कर संघर्ष कर रहे दूसरे नेताओं खास कर जगन मोहन रेड्डी और जीके वासन की वापसी की चर्चा भी हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कांग्रेस में वापसी का मुद्दा मई के प्रथम सप्ताह में होने वाली समन्वय समिति की बैठक में उठ सकता है। सूत्रों की माने तो इसके पूर्व भी पिछले माह जोगी की घर वापसी की तैयारी लगभग पूरी हो गई थी। ऐन वक्त पर प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद, प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने इसका विरोध किया। इसके चलते उनकी कांग्रेस में वापसी की प्रक्रिया रुक गई। श्रीमती रेणु जोगी जो विधायक दल की उपनेता व जोगी की पत्नी है। आज भी कांग्रेस में है। प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं का झुकाव आज भी जोगी के प्रति है। भूपेश बघेल पर अंकुश लगाने के लिए वे जोगी की वापसी चाहते है। इस मामले में खुलकर सामने आने की बजाय वे परदे के पीछे रहकर यह अभियान चला रहे हैं।
प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने वाले है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि यह चुनाव भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है। दिल्ली दरबार में जाकर ऐसे नेता प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मुहिम को हवा देते रहते है। भूपेश की आक्रामक कार्यशैली ने इन नेताओं को परेशान कर रखा है। इन असंतुष्ठ नेताओं की शिकायत के बाद ही हाईकमान ने आदेश दिया है कि प्रदेश समन्वय में चर्चा के बाद ही संगठन में बदलाव किया जाए। जिसके कारण अब तक जिलाध्यत्रों को हटाने व प्रदेश कांग्रेस में नई नियुक्तियों का मामला लंबित है। बताया जाता है कि अब भूपेश बघेल पर अंकुश लगाने के लिए ही जोगी की वापसी को लेकर मुहिम चलाई जा रही है। पिछले माह वे अपने प्रयास में काफी हद तक सफल हो गए थे। हाईकमान इसके लिए तैयार भी हो गया था। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद मामला लंबित रह गया।
सूत्रों की माने तो प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने जोगी की वापसी को रोकने के लिए ही इस्तीफा दिया था। दूसरे दिन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल भी अचानक दिल्ली पहुंच गए थे। वहीं नेता प्रतिपक्ष ने भी जोगी की वापसी पर राजनीति छोडऩे की बाद कही थी। हालांकि प्रदेश प्रभारी द्वारा उड़ीसा में हुए निकाय चुनावों में मिली हार को इस्तीफे का कारण बताया गया था। बताया जाता है कि जोगी की वापसी को लेकर एक बार फिर अभियान तेज हो गया है। मई के प्रथम सप्ताह में प्रदेश समन्वय समिति की बैठक इस मुद्दे पर चर्चा होगी।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला