सरकार की बची जमीन पर ही सबकी नजर क्यों?
02-May-2017 06:55 AM 1234773
1991 बैच के आईएएस अफसर प्रमोद अग्रवाल वैसे तो जिस विभाग में रहे हैं वे उस विभाग में अपनी ही चलाने की कोशिश करते हैं। वर्तमान में वे लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव हैं और अपने विभाग को अव्वल बनाने के लिए वे अन्य विभागों के हितों को कुचलने में भी हिचकते नहीं है। वे भले ही अपने बैच या आगे पीछे के बैच के अफसरों के साथ गलबहिया करते दिखते हो, लेकिन जब मौका आता है तो अपने विभाग की आड़ लेकर उनको निपटाने में भी कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। ऐसा ही नजारा विगत दिनों मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति की बैठक में देखने को मिला। यही नहीं इस बैठक में प्रमोद अग्रवाल ने अपनी भड़ास निकालते हुए यहां तक कह डाला कि सरकार की जो बची हुई जमीन हैं उन पर सबकी नजर क्यों लगी हुई है। दरअसल, मुख्य सचिव ने बड़ी उम्मीद से रीडेंशीफिकेशन हेतु गठित साधिकार समिति की बैठक बुलाई थी। बैठक में विभिन्न विभागों के सत्रह मामलों पर चर्चा कर निर्णय लिया जाना था, लेकिन देखा यह गया कि अधिकांश विभाग दूसरे विभाग के प्रस्तावों को नकारने में लगे रहे। जिससे सत्रह में से मात्र तीन मामलों में ही सहमति बन सकी। बड़ा सवाल यह है कि जिला स्तर और विभागाध्यक्ष स्तर पर सहमति बन गई तो मंत्रालय में विवाद क्यों हो रहा है। बैठक में सबसे आश्चर्यजनक बर्ताव प्रमोद अग्रवाल का लगा। अपने से एक बैच ऊपर 1990 बैच के जिस आईएएस अफसर मलय श्रीवास्तव के साथ उनकी अच्छी दोस्ती मानी जाती है उनके विभाग पर भी उन्होंने अड़ंगा लगाया। ग्वालियर, बैतूल, रतलाम के प्रकरण इसके उदाहरण हैं। इन जगहों पर जिस भी विभाग ने नवीन योजना का प्रस्ताव रखा उसे या तो प्रमोद अग्रवाल द्वारा नकार दिया गया या फिर दूसरे विभाग के अफसरों ने। इस बैठक मेें ग्वालियर में जर्जर पड़े लोक निर्माण विभाग के मकानों को तोड़कर वहां पुनर्घनत्विकरण के तहत कामर्शियल काम्पलेक्स, मकान, होटल बनाने का प्रस्ताव ग्वालियर विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया था, ताकि प्राधिकरण की माली हालत सुधारी जा सके। ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री ने जिला स्तर पर गठित समिति में अपनी सहमति दी थी। लेकिन कार्यपालन यंत्री के प्रस्ताव से मुख्य अभियंता सहमत नहीं थे। जिससे विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण को जमीन देने से इंकार कर दिया। मुख्यसचिव ने कार्यपालन यंत्री के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए और कहा कि बिना अधिकारियों की अनुमति प्रस्ताव कैसे भेज दिया गया। हालांकि जहां सांस लेना दूभर हो रहा हो वहां पुनर्घनत्विकरण लाकर प्राधिकरण ने वैसे भी कोई अच्छा काम नहीं किया था। बैठक में तेरह एकड़ जमीन पर बनी बैतूल जेल को रीडेंशीफिकेसन के लिए हाउसिंग बोर्ड को देने के फैसले का भी प्रमुख सचिव लोक निर्माण प्रमोद अग्रवाल ने विरोध किया और कहा कि जेल मैन्अुल में इस बात का उल्लेख है कि वहां के सारे कार्य केवल लोक निर्माण विभाग द्वारा ही कराए जाएंगे। एसीएस जेल विनोद सेमवाल ने कहा कि नियमों में परिवर्तन हेतु प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि लोक निर्माण के अलावा अन्य सरकारी निर्माण एजेंसियां भी जेलों के कार्य कर सकेगी, लेकिन प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल तैयार नहीं हुए और मामला अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया। जेल विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार जमीन हाउसिंग बोर्ड को कामर्शियल उपयोग के लिए दी जाना थी। इससे मिलने वाली राशि से अत्याधुनिक नई जेल और विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए मकान बनना था। इसी तरह प्रमुख सचिव स्वास्थ्य गौरी सिंह ने रतलाम जिला अस्पताल की जमीन पर गोल्ड काम्पलेक्स बनाने के प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त की उन्होंने कहा कि बीच शहर में अस्पताल जरूरी है। अस्पताल को चार सौ नहीं दो सौ बिस्तरों का बनाया जाएगा। रतलाम में मेडिकल कालेज के साथ अस्पताल भी बनाया जा रहा है। इसमें नगरीय प्रशासन विभाग की दाल नहीं गली। जलसंसाधन विभाग के प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल ने रीवा में विभाग की खाली पड़ी जमीन देने से इंकार कर दिया और कहा कि वहां विभाग के कई और कार्यालय खुल रहे हैं। इस तरह अफसर एक-दूसरे विभाग की योजनाओं में बाधा खड़ी करते रहे। विभागों के आपसी वर्चस्व का आलम यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाओं को भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है। - सुनील सिंह
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^