17-Apr-2017 07:26 AM
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उत्तरप्रदेश में किसानों के कर्ज माफी के बाद अब मध्यप्रदेश में भी किसानों की कर्ज माफी की आवाज उठने लगी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही खेती को लाभ का धंधा बनाने के कितने ही दावे करें, लेकिन प्रदेश में हालात इसके विपरीत हैं। प्रदेश के किसानों पर वर्तमान में करीब सत्तर हजार करोड़ का कर्ज है। यह कर्ज वह है जो किसानों द्वारा विभिन्न बैंको से लिया गया है। खास बात यह है कि देश के अन्य राज्यों में भी कर्ज माफी की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गए हैं। महाराष्ट्र में तो किसानों ने कर्ज माफी को लेकर आंदोलन तक शुरू कर दिया है। जिसके चलते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस किसानों की कर्ज माफी पर विचार करने की बात करने लगे हैं। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में भी किसानों की कर्ज माफी की मांग जोर पकडऩे लगी है।
भाजपा शासित राज्यों में किसानों की कर्ज माफी की सुगबुगाहट मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गई है। इसमें ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों के लिए लिया गया कर्ज भी शामिल है। यदि उत्तर प्रदेश की तरह मप्र में एक लाख तक का कर्ज माफ किया जाता है, तो यह कर्ज लगभग पच्चीस हजार करोड़ रुपए का होगा। यदि सरकार क्राप लोन माफ करती है, तो यह लगभग 18 हजार करोड़ है। पूरे हिसाब किताब में यह संख्या कुछ कम ज्यादा हो सकती है। प्रदेश सरकार के खजाने को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा इस राशि को माफ करना भी आसान नहीं होगा। खराब आर्थिक स्थिति का बहाना बनाकर मध्यप्रदेश सरकार अभी भले ही कर्जा माफ करने से इंकार कर दे, लेकिन जिस तरह से किसानों में असंतोष बढ़ रहा है, उसे देखते हुए इस बारे में विचार करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री किसानों की कर्ज माफी का भी निर्णय ले सकते हैं। चाहे भले ही ऋण माफ करने की एक सीमा निर्धारित कर दी जाए। लेकिन कर्ज माफी के बाद किसानों की तकदीर बदलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।
उधर, प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में तीसरी ताकत बनने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी अब किसानों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आंदोलन कर रही है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने बताया कि आंदोलन के तहत 20 मई तक किसान बचाओ यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है। उसके बाद 21 मई से 31 मई तक सभी संभाग मुख्यालयों पर किसान बचाओ रैली आयोजित की जाएगी। आम आदमी पार्टी की मांग है कि प्रदेश के सभी किसानों का कर्जा माफ किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम और सभी अधिकार मिलें। किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि मप्र सरकार केवल भाषणों में ही किसान हितैषी नजर आती है। जमीनी तौर पर यहां के किसान बेहाल हैं। पिछले 13 सालों में सरकार ने किसानों पर चढ़ रहे कर्ज को कम करने की कोशिश नहीं की। इसका परिणाम यह हुआ है कि मप्र के किसान कर्ज से दबे हुए हैं।
13 साल में कर्ज माफी नहीं
मप्र में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसको लेकर विपक्षी किसानों की कर्ज माफी को मुद्दा बनाने लगे हैं। ऐसे में यूपी में योगी सरकार के किसानों की कर्जमाफी के फैसले ने मध्यप्रदेश सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। क्योंकि सवाल ये उठ रहे हैं कि जब योगी सरकार ने सिर्फ 13 दिन में किसानों को कर्जमाफी का तोहफा दे दिया, तो 13 साल बाद भी शिवराज सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकी..? कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने और इसके लिए प्रदेश भर में आंदोलन चलाने की बात कही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव कहते हैं कि हर बार चुनाव में भाजपा ने कर्ज माफ करने का वादा किया, लेकिन सरकार में आने के बाद किसानों की सुध नहीं ली गई।
-भोपाल से रजनीकांत पारे