बंजर धरती में भरेंगे टूरिज्म के रंग
17-Apr-2017 06:02 AM 1234791
सूखे से बदहाल बुंदेलखंड में संभावनाओं के बीज बोए जा रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो उत्तरप्रदेश के सात जिलों में जल्द ही बहार आ सकती है। बुंदेलखण्ड में पर्यटन की संभावनाओं के लिए उत्तरप्रदेश की सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने बुंदेलखंड की दशा और दिशा सुधारने के लिए पर्यटकों को लुभाने की योजना बनाई है। इसमें बुंदेलखंड के ऐतिहासिक स्थलों को संवारने के साथ बंजर धरती में पीपीपी मॉडल पर पार्क और पिकनिक स्पॉट बनाए जाएंगे। मंत्री ने बताया कि विभाग की तरफ से पूरे प्रदेश में पर्यटन को नए सिरे से बढ़ाने की योजना बनाई गई है। रीता जोशी ने बताया कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार हर स्तर पर सहयोग करने के लिए तैयार है। विभाग की तरफ से बनाया गया यह प्रस्ताव 20 अप्रैल को सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने रखा जाएगा। रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि बुंदेलखंड के बाद उनका फोकस प्रदेश में हेल्थ टूरिजम बढ़ाने पर रहेगा। इसके लिए प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर की जाएंगी। विदेशों से कंपनियों को इस मुहिम में जोड़ा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर न होने के चलते अभी तक यूपी के लोग दूसरे प्रदेशों में इलाज कराने के लिए जा रहे हैं। हेल्थ टूरिज्म बढऩे से यूपी में इलाज और रोजगार दोनों बेहतर होंगे। लखनऊ हेल्थ टूरिज्म का हब बनेगा। सेंट्रल पॉइंट से गोरखपुर, इलाहाबाद, वाराणसी सहित दूसरे शहर भी जोड़े जाएंगे। ज्ञातव्य है कि एक-दो नहीं बल्कि लगभग 147 पुरातत्व स्मारक हैं बुंदेलखंड में लेकिन शासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते इनमें से किसी को भी पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल पाया। पुरातत्व विभाग तो बुंदेलखंड में सिर्फ झांसी को ही पर्यटन केंद्र मानता है। कालिंजर (बांदा) में पहाड़ पर स्थित बेमिसाल ऐतिहासिक दुर्ग शायद पर्यटन और पुरातत्व विभाग की नजरों में कोई मायने नहीं रखता है। कुछ दिनों पूर्व आरटीआई में मांगी गई सूचना में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बताया था कि बुंदेलखंड में सिर्फ झांसी में ही विदेशी पर्यटक आते हैं। हालांकि कालिंजर (बांदा) दुर्ग में भी पर्यटकों की आमद रफ्त बनी रहती है। लेकिन पर्यटन विभाग के आंकड़ों में यह सूना है। कई खूबियों से भरपूर कालिंजर दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग काफी समय से की जा रही है। कुछ गैर सरकारी संगठनों ने प्रयास किए लेकिन नाकाम रहे। बुंदेलखंड क्षेत्र में ही शामिल मध्य प्रदेश के खजुराहो को विश्व पर्यटन स्थलों में मुकाम हासिल है। वहां बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटकों का आनाजाना भी है लेकिन वहां से चंद किलोमीटर हवाई दूरी पर स्थित कालिंजर पहचान तक को तरस रहा है। अब उम्मीद जगी है बुंदेलखण्ड में पर्यटन उद्योग बनेगा। भारतीय टूरिज्म का हब बनेगा बुंदेलखंड बुंदेलखंड में पर्यटन विकास के लिए नोडल एजेंसी नेल्सन राज्य सरकार को प्रस्तुत प्रस्तावों पर गौर करें तो अगले पांच वर्षों में 70 फीसदी तक बुंदेलखंड की तस्वीर कुछ बदली हुई नजर आएगी। डाकुओं और दादुओं से मशहूर रहा बुंदेलखंड जल्द ही नई पहचान बना सकेगा। बुंदेलखंड पर्यटन परिपथ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। चंदेल शासकों, आल्हा-ऊदल और झांसी की रानी की कर्मस्थली रहा बुंदेलखंड भारतीय टूरिज्म का हब बनेगा। अभी बुंदेलखंड की पहचान कर्ज, मर्ज, भूख, आत्महत्याएं और बदहाली से है। चित्रकूटधाम मंडल पर्यटन सूचना अधिकारी राजेश कुमार भारती बताते हैं कि बुंदेलखंड का टूरिज्म मास्टर प्लान तैयार करने वाली कंसलटेंट कंपनी नेल्सन ने बुंदेलखंड पर्यटन परिपथ में यूं तो करीब 30 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्मारकों को पर्यटन विकास के लिए चयनित किया है। -जबलपुर से सिद्धार्थ पाण्डे
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^