कार्पोरेट लुक में दिखेगा माशिमं का रेस्ट हाउस
03-Apr-2017 08:31 AM 1234794
मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) आने वाले समय में अपनी आंतरिक और बाह्य गतिविधियों के कारण अन्य शासकीय विभागों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। इसके लिए मंडल बोर्ड परिसर स्थित रेस्ट हाउस को कॉर्पोरेट लुक में संवार रहा है। करीब 2.44 करोड़ रुपए की लागत से संवर रहे रेस्ट हाउस में ए-क्लास होटल जैसी सुविधाएं रहेंगी। सामने का लॉन और डोरमेट्री में भी काम होंगे। यहां एसी होगा और एलईडी पर आगंतुकों को बोर्ड से संबंधित जानकारियां दी जाएंगी। स्वागत द्वार भी 33 करोड़ में आकर्षक बनाने की तैयारी है। बोर्ड खर्च के अनुपात में इसका किराया भी बढ़ाएगा और बोर्ड सदस्यों को छोड़कर किसी को किराए में छूट भी नहीं दी जाएगी। यह जानकारी बोर्ड के अध्यक्ष एसआर मोहंती ने बोर्ड की कई उपलब्धियां गिनाईं और भविष्य की कार्ययोजना बताई। मोहंती ने बताया कि अब तक एनसीसी कैडेट्स को ए, बी, सी सर्टिफिकेट दिया जाता था, जिसका अंक सूची में उल्लेख नहीं होता था। माशिमं एनसीसी के ए-सर्टिफिकेट को हाईस्कूल और बी-सर्टिफिकेट को हायर सेकंडरी में अतिरिक्त विषय के रूप में शामिल कर रही है। ये व्यवस्था इसी सत्र से लागू हो रही है। इसकी परीक्षा सेना के लोग लेंगे। ये ग्रेड के रूप में विद्यार्थी की अंकसूची में भी अंकित होगा। मोहंती ने बताया कि भिंड में नकल पर नकेल कसने से छह हजार परीक्षार्थी कम हो गए हैं। वहीं, इस साल कहीं से भी सामूहिक नकल करवाने की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। पेपर लीक होने से बचाने के लिए कई तरह के इंतजाम किए गए थे। जिसके तहत परीक्षा केंद्रों में प्रश्नपत्र उत्तर पुस्तिका के 15 मिनट बाद उपलब्ध कराए गए थे। जिससे पेपर के लीक होने की संभावना न के बराबर रह जाती है।  संवेदनशील और अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों को रिव्यू करने का अधिकार भी कलेक्टर को ही दिया गया। नकल की शिकायतों के बारे में उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में 51 फीसदी तक नकल के प्रकरण कम आए हैं। इस साल करीब 20 लाख छात्रों ने परीक्षा दी जिसमें से सिर्फ 2249 केस नकल के रजिस्टर्ड किए गए हैं। इनमें सामूहिक नकल का एक भी मामला नहीं है। मोहंती ने बताया कि बोर्ड ने इस बार परीक्षा लेने से लेकर उसकी निगरानी तक कड़ी व्यवस्था की थी। परीक्षा इंतजामों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार के इंतजाम पिछले सालों की तुलना में अलग थे। इस बार आम आदमी को परीक्षा केंद्रों से दूर रखा गया। इसके लिए बैरिकेटिंग और दूसरे तरीकों से मार्किंग की थी। इसके साथ ही परीक्षा केंद्रों के भीतर बच्चों के ही नहीं शिक्षकों के मोबाइल पर भी बैन था। शिक्षकों को परीक्षा शुरू होने से घंटे भर पहले मोबाइल जमा करा लिए जाते थे और उसके बाद केंद्राध्यक्ष के सर्टिफिकेट के बाद परीक्षा शुरू होती थी। उन्होंने बताया कि हमारी कोशिश है कि यह परिणाम 15 मई को घोषित कर दिए जाएं। अगर कोई परेशानी नहीं आई तो परिणाम 15 मई को ही घोषित किए जाएंगे। हमारा अभी तक 44 फीसदी तक मूल्यांकन पूरा हो चुका है। दूसरा चरण अप्रैल में पूरा हो जाएगा। हम परिणाम समय पर देने की पूरी तैयारी में हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड अपने तीनों (भोपाल, जावरा और रीवा) मॉडल स्कूलों को नया स्वरूप देने जा रहा है। भोपाल से इसकी शुरूआत हो चुकी है। ई-लाइब्रेरी, लैब के बाद इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू की जा रही है। भोपाल में एक क्लास तैयार भी कर ली गई है, जिसमें प्रोजेक्टर व एसी लगाए गए हैं। यहां बच्चों को ऐसे विषय समझाए जाएंगे, जो बगैर वीडियो के समझना मुश्किल हैं। मार्कशीट में क्यूआर कोड बोर्ड दो माह बाद आने वाली अंक सूचियों पर नया क्यूआर कोड छाप रहा है। इसे बार कोड स्केनर से स्केन करने पर विद्यार्थी कहीं भी अपनी अंक सूची निकाल सकेंगे। ये मोबाइल से भी संभव होगा। मोहंती ने बताया कि इससे विद्यार्थी मौके पर ही अंक सूची का सत्यापन करा देंगे। यही नहीं, पुरानी अंक सूचियों के सत्यापन की व्यवस्था भी सुधारी जा रही है। अब 15 दिन में सत्यापन कर रिपोर्ट संबंधित संस्था की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी। क्यूआर कोड को स्केन करते ही पूरी मार्कशीट सामने आ जाएगी। इस क्यूआर कोर्ड से स्केन मार्कशीट को भी मूल मार्कशीट माना जाएगा। इसके लिए लीगल मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इसी साल से एनसीआरटी की किताबें पढ़ाई जाएंगी। इसका ट्रेनिंग प्रोग्राम मई में पूरा कर लिया जाएगा। एनसीआरटी की बुक की किल्लत को देखते हुए एनसीआरटी से सीडी लेकर बोर्ड किताबें भी छपवाएगा। बोर्ड के उपाध्यक्ष ने इसके लिए सारी तैयारी कर ली है। -कुमार राजेंद्र
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