01-Apr-2017 09:22 AM
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एक तरफ प्रदेश सरकार मप्र में जन्में हर व्यक्ति का मकान या जमीन देने की बात कर रही है वहीं दूसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना का लाभ हितग्राहियों के हाथ से निकलता जा रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में हितग्राहियों की पात्रता निर्धारण को लेकर सरकार ने पैरामीटर के अजीबो-गरीब फार्मूले का फरमान जारी कर दिया है। जिससे आवास योजना को लेकर ही सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि पैरामीटर के हिसाब से यदि पात्रता का निर्धारण किया जाता है तो पूर्व में जिन हितग्राहियों को आवास योजना के लिए प्रथम किश्त जारी की गई है उनमें से कई अपात्र हो जाएगें और ऐसी स्थिति में उनके ऊपर रिकवरी की गाज भी गिर सकती है। योजना में अचानक हुए इस बदलाव को लेकर अधिकारी शासन स्तर से पॉलिसी मेटर होने की बात कह रहे हैं, लेकिन इस सरकार पैरामीटर के फार्मूले ने योजना के तहत जर्जर मकान तोड़कर नया मकान बना रहे हितग्राहियों की नींदे उड़ा रखी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिए जाने के लिए तीन किश्तों में हितग्राहियों को आवास निर्माण के लिए कुल 1.20 लाख रुपए की राशि दी जाना है। इसके अलावा मनरेगा के माध्यम से मजदूरी के 30 हजार अलग से दिए जाएंगे। इस प्रकार प्रत्येक हितग्राहियों को 1.50 लाख की राशि मिलना है। अधिकांश जिलों में जिला पंचायतों द्वारा समस्त हितग्राहियों को प्रथम किश्त आवास निर्माण के लिए जारी कर दी गई है। राशि मिलने के बाद हितग्राहियों ने आवास निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया है।
अभी तो योजना की शुरूआत भी ग्रामीण क्षेत्रों में ठीक ढंग से नहीं हुई थी कि सरकार ने पैरामीटर का अजीबो-गरीब फार्मूला इजाद कर गरीबों की नींद उड़ा दी है। इस सरकारी पैरामीटर में पात्रता निर्धारण से संबंधित 13 बिंदु दिए गए हैं। यदि इनमें से किसी एक भी पैरामीटर को हितग्राही पूरा करता है तो वह योजना की पात्रता से वंचित हो जाएगा। चूंकि योजना की शुरूआत में इस पैरामीटर के बारे में कोई जानकारी हितग्राहियों को नहीं दी गई थी। अचानक से इसके अवतरित होने पर गरीबों के सामने धर्मसंकट खड़ा हो गया है, क्योंकि योजना का लाभ लेने के लिए उन्होंने आवेदन कर किश्त तो प्राप्त कर ली है लेकिन अब डर इस बात का है कि कहीं सरकार रिकवरी की गाज उन पर न गिरा दे।
सरकार द्वारा जो पैरामीटर आवास योजना की पात्रता के लिए लागू किया गया है। उसमें चेक लिस्ट अजीबो-गरीब है। यानि जिस हितग्राही के पास मोटरयुक्त दोपहिया वाहन होगा वह योजना की पात्रता से वंचित हो जाएगा। इसी प्रकार जिन परिवारों के पास रेफ्रिजरेटर, लैंडलाइन फोन, किसान क्रेडिट कार्ड या 2.5 एकड़ से अधिक सिंचित भूमि है वह भी योजना की पात्रता से बाहर होंगे। बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में योजना का लाभ देने के पूर्व पात्रता निर्धारण के लिए एक आवेदन हितग्राही से भरवाया जा रहा है। जिसमें स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि उनके द्वारा बिंदू क्रमांक 01 से 13 तक की दी गई जानकारी सत्य है। यदि भविष्य में उपरोक्त जानकारी असत्य पाई जाती है तो मुझे आवास निर्माण के लिए प्राप्त संपूर्ण राशि की वसूली के लिए मैं जिम्मेदार रहंूगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव भारत सरकार की गाइड लाइन आई है। इसमें हम कुछ कह नहीं सकते हैं। हमारा काम सिर्फ सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का है। आवास योजना को लेकर सरकार द्वारा जो पैरामीटर तय किए गए हैं यदि उनमें कोई अपात्र होता है तो संबंधित से रिकवरी की जाएगी।
शहरी क्षेत्र में पैरामीटर नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत पात्रता निर्धारण के लिए गरीबों के लिए पैरामीटर तय कर दिया गया है। वहीं शहरी क्षेत्र में संचालित आवास योजना में ऐसे किसी पैरामीटर का अब तक कोई नियम लागू नहीं हुआ है। यहीं कारण है कि शहरी क्षेत्र में प्रथम चरण के दौरान ऐसे हितग्राहियों को भी आवास योजना का लाभ नगरपालिका द्वारा जारी कर दिया गया जिसके पास पहले से आवास है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने योजना का लाभ लेकर मकान के ऊपर दूसरी मंजिल का निर्माण करा रहे हैं। जो स्थिति है उसमें शहरी क्षेत्र में योजना का लाभ लेकर आवास निर्माण कर रहे लोगों के पास भौतिक सुख सुविधाओं के पर्याप्त संसाधन है लेकिन इसके बाद भी वे योजना का लाभ मजे से ले रहे है।
-नवीन रघुवंशी