01-Apr-2017 11:10 AM
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मप्र में 40 डिग्री तापमान के बीच इन दिनों यहां की राजनीतिक वीथिका में हलचल मची हुई है। दरअसल यहां भिंड जिले के अटेर और अनूपपुर जिले के बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव का संग्राम छिड़ा हुआ है। इस संग्राम में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। भाजपा की ओर से इन चुनाव को जीतने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर है तो कांग्रेस की तरफ से लगभग सभी दिग्गज नेता अनमने ढंग से ही लेकिन सक्रिय हैं। भाजपा बांधवगढ़ में कमजोर प्रत्याशी के कारण घबराई हुई है तो कांग्रेस अटेर में भाजपा के सामुहिक अटैक से घबराई हुई है। लेकिन चुनाव जीतने में माहिर हो चुके शिवराज सिंह चौहान ने ऐसी चौसर बिछाई है कि कांग्रेस अटेर में ही अटक गई है।
अटेर एवं बांधवगढ़ विधानसभा उपचुनाव का घमासान जैसे-जैसे अपने चरम की और बढ़ रहा है यहां स्टार प्रचारकों का जमावड़ा लगते जा रहा है। भाजपा संगठन और सरकार ने तो यहां डेरा सा जमा लिया है। इसको देखते हुए कांग्रेसी दिग्गज भी अपना अधिकतर समय अटेर में दे रहे हैं। उन्हें डर है कि भाजपा के प्रत्याशी अरविंद भदौरिया कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे पर हावी न हो जाएं। दरअसल भाजपा द्वारा यहां ऐसा माहौल बनाया गया है जिससे लग रहा है कि वह अटेर फतह कर लेगी। जबकि स्थिति यह है कि अटेर में कांटे की टक्कर है जबकि बांधवगढ़ में भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ माहौल है। अपनी कमजोर कड़ी को देखते हुए भाजपा बांधवगढ़ में जहां जमीनी तैयारी मजबूती से कर रही है वहीं बांधवगढ़ में धुआंधार प्रचार कर कांग्रेस को भ्रमित किए हुए है। बांधवगढ़ में युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पाण्डे और महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष लता ऐलकर के नेतृत्व में सेक्टरवार युवा सम्मेलन और महिला सम्मेलन कर माहौल बनाया जा रहा है। युवाओं और महिलाओं की टोलियां घर-घर पहुंचकर 9 अप्रैल को बड़ी संख्या में मतदान कर मतदान दिवस को लोकतंत्र के बड़े उत्सव के रूप में संवारने का आव्हान कर रही है।
बसपाई वोट बैंक पर नजर
भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। कांग्रेस सहानुभूति तो भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दम पर चुनाव जीतने का दम भर रही है। इसके साथ ही दोनों पार्टियां बसपाई वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में लगी हुई हैं। अटेर विधानसभा क्षेत्र में 17.5 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर, 18 प्रतिशत क्षत्रिय मतदाता, 4.5 प्रतिशत गुर्जर और यादव तथा 11.5 प्रतिशत कुशवाह व जाटव वोटर हैं। भाजपा की तरफ से क्षत्रिय प्रत्याशी अरविंद भदौरिया तो कांग्रेस की तरफ से ब्राह्मण प्रत्याशी कटारे हैं। ऐसे में जातिगत चुनाव के लिए खास पहचान रखने वाली भिण्ड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर इस दफा अनुसूचित जाति के वोटर्स की बड़ी भूमिका रहने वाली है। इन हालातों के मद्देनजर उपचुनाव को लेकर जम चुकी चुनावी बिसात में परंपरागत प्रतिद्वंदी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दल इस वर्ग को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए खासी मशक्कत कर रहे हैं।
वैसे तो यहां सबसे बड़ी तादात क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं की है और हर बार विधानसभा में इन्हीं दोनों जातियों को प्रतिनिधित्व भी मिलता रहा है। होना तो इस बार भी कुछ ऐसा ही है लेकिन जीत का सेहरा भाजपा के सिर होगा या फिर से कांग्रेस यहां अपनी जीत को बरकरार रख पाएगी, इस बात का फैसला काफी हद तक बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक के हाथ में रहने के हालात बनते दिख रहे हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों की रणनीति में इस वोट बैंक पर खास फोकस रखा जा रहा है। क्षेत्र में भाजपा पूरी तरह छाई हुई है। प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान डेरा डाले हुए हैं। उनके साथ शैतान सिंह पाल, मंत्री लालसिंह आर्य, सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद भी सक्रिय हैं। उधर कांग्रेस भी जमीनी सेंधमारी में लगी हुई है। कांग्रेस की तरफ से डॉ. गोविन्द सिंह, युकां के प्रदेशाध्यक्ष कुणाल चौधरी पूरी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी दौरे कर रहे हैं।
नाथ-सिंधिया की
प्रतिष्ठा दांव पर
मध्यप्रदेश की अटेर और बांधवगढ़ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच सेमीफाइनल की तरह है। लेकिन, दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा जीती तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिलेगा और कांग्रेस सफल हुई तो इसका सेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया व कमलनाथ से लेकर अरूण यादव तक अपने सिर बांधने की कोशिश करेंगे। प्रकारांतर से यह चुनाव प्रदेश कांग्रेस की कमान हाथ में लेने के लिए चल रही रेस का भी सेमीफाइनल है और हाइकमान भी दावेदारों का दम देख रहा है। जानकारी के मुताबिक सिंधिया ने अटेर सीट जीतने के लिए अपने विश्वस्त तीन दर्जन मौजूदा व पूर्व विधायकों की एक टीम को जवाबदारी सौंपी है। चूंकि यह सिंधिया के प्रभावक्षेत्र की सीट है तथा इसकी जीत-हार उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़ेगी इसलिए उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों से भी सामंजस्य बैठाया है। इसके तहत विधायक डॉ. गोविंद सिंह को चुनाव प्रभारी बनाया गया है। बताते हैं कि सिंधिया ने सर्मथकों को हिदायत दी है कि वे डॉ. सिंह के निर्देशों के मुताबिक काम करें। सिंधिया अटेर में अंतिम चार दिन डेरा डालेंगे। वहीं कमलनाथ भी इस दौरान प्रचार करेंगे।
उधर बांधवगढ़ में कांग्रेस कमलनाथ के करिश्मे पर निर्भर है, जबकि इसी इलाके में कुछ महीने पहले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार हिमाद्रि सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था। कमलनाथ के लिए मुश्किल यह है कि यह क्षेत्र भाजपा के लिए मुफीद रहा है। ऐसे में उन्होंने अपने समर्थकों की टीम को वहां तैनात किया है, वे खुद भी कल से दो दिन डेरा डालेंगे। इन सबके बीच प्रदेशाध्यक्ष अरूण यादव का खेमा अपना वजूद कायम रखने की कोशिश में है। यादव के खाते में इससे पहले भी कई बड़ी चुनावी असफलताएं दर्ज हैं, ऐसे में यह उपचुनाव उस वक्त आया है, जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाएं तेज हो गई हैं। इसीलिए यादव खेमा परिणामों को पक्ष में करने के जतन कर रहा है, लेकिन एक पदाधिकारी का कहना है कि यदि जीत मिली तो सेहरा बड़े नेता अपने ही सिर बांधने की कोशिश करेंगे। मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा के मुताबिक यादव दोनों क्षेत्रों की रणनीति में जुटे हैं। हमारी नजर सिर्फ सकारात्मक परिणाम पर है। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान के चुनावी मैनेजमेंट को करारा जवाब दे सकती है।
भाजपा का सामुहिक हमला
आजकल भिंड की गलियों में यह चर्चा आम है कि हेमंत को हराने पूरी सरकार लगी है, वही हेमंत अकेले ही मैदान में डटे है। दिवंगत कटारे की विरासत को बचाने उनके सुपुत्र घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं। वहां के क्षेत्रवासियों की भावनायें भी उनके साथ हैं, लेकिन भाजपा ने पूर्व विधायक अरविंद भदौरिया को टिकट देकर चुनाव को एक नया मोड दे दिया है। खुद शिवराज सिंह इसे अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बताते हैं। वे रोड शो के साथ ही जनसंपर्क कर चुके हैं। इनके अलावा कई मंत्री और प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी प्रचार में लगे हुए हैं। सरकार के चाणक्य डॉ. नरोत्तम मिश्रा खुद अटेर में मोर्चा सम्हाले हुए हंै। इनके अलावा नरेंद्र सिंह तोमर, उमाशंकर गुप्ता, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, लालसिंह आर्य भी अटेर में कांग्रेस की विरासत छीनने के लिए दम लगा रहे हैं।
भितरघात का डर
नेताओं की नजर
बांधवगढ़ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी शिव नारायण सिंह पर कांग्रेस की सावित्री सिंह भारी पड़ रही हैं। लेकिन कांग्रेस इस सीट को जीतने की बजाए अटेर को बचाने में लगी हुई है। इससे यहां कांग्रेस- भाजपा के खिलाफ माहौल भले ही नहीं बना पा रही है, लेकिन भाजपा को भितरघात का डर सता रहा है। इसलिए पार्टी यहां अपने ही नेताओं पर नजर रखे हुए है। यहां प्रदेश सरकार के मंत्री और सांसद ज्ञान सिंह पर लगभग पूरी जिम्मेदारी है कि वे अपने पुत्र शिवनारायण सिंह को विजय दिलवाए। हालांकि प्रदेश सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों सहित संगठन के प्रदेश पदाधिकारियों की फौज भाजपा के धुआंधार प्रचार अभियान में जुटी हुई है। बांधवगढ़ विधानसभा में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिशेन, जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे मैदान में हैं।
-अजयधीर