साख दांव पर
01-Apr-2017 11:04 AM 1234907
लिया विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों में से चार में सरकार बनाने के बाद बीजेपी में उत्साह का माहौल है। हालांकि राजस्थान में धौलपुर विधानसभा सीट के लिए होने वाला उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। यहां 9 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं। कहने को तो धौलपुर विधानसभा की एक सीट ठहरी। पर धौलपुर है तो राजस्थान की मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा होगा इस सीट का उपचुनाव। एक तो धौलपुर की वे महारानी हैं। ऊपर से लोकसभा सीट पर पहले उनका और अब उनके बेटे का कब्जा है। पर भाजपा ने जिस शोभा रानी को उम्मीदवार बनाया है वह लोगों को गले नहीं उतर रही। शोभा रानी के पति बीएल कुशवाहा बसपा से इसी सीट से पिछला चुनाव जीते थे। पर हत्या के एक मामले में उम्र कैद की सजा हो गई तो विधानसभा की सदस्यता छिन गई। उपचुनाव की नौबत भी इसी वजह से आई है। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से सटा है यह इलाका। भाजपा यहां मजबूत स्थिति में नहीं है। तभी तो कुशवाहा की पत्नी को भगवा चोला पहना कर नाक बचाने की कवायद की गई है। जहां तक वसुंधरा सरकार के कामकाज का सवाल है, उनकी कार्यशैली से तो भाजपा का आलाकमान भी खुश नहीं। ऊपर से उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों ने ओम माथुर का रुतबा बढ़ा दिया है। राजस्थान में जड़ें रखने वाले संघी माथुर यूपी के प्रभारी उपाध्यक्ष ठहरे। वे केंद्र की सियासत छोड़ सूबे की सियासत में लौटने के इच्छुक रहे हैं। उधर पार्टी आलाकमान और आरएसएस के नेतृत्व दोनों को लगता है कि ऐसे हालात में दोबारा पार्टी का सत्ता में लौटना हंसी खेल नहीं होगा। सो, ओम माथुर को माना जा रहा है विकल्प। धौलपुर का नतीजा अनुकूल नहीं रहा तो अमित शाह वसुंधरा को तंग कर सकते हैं। इसी डर से वसुंधरा खेमे ने उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इलाके में मुसलमान मतदाता भी खासी तादाद में हैं। उन्हें पटाने का जिम्मा पूर्व विधायक सगीर अहमद के हवाले है। इस चक्कर में उन्हें वसुंधरा ने राज्यमंत्री जैसी हैसियत भी दे दी है। कुशवाहा और मुसलमान मिलकर पार्टी को जीत दिला सकते हैं। हैरानी की बात है कि कांग्रेस के उम्मीदवार के बारे में सोच ही नहीं रहे भाजपाई। कांग्रेस भी तो इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। ऊपर से उपचुनावों का रिकार्ड पार्टी के अनुकूल रहा है। वसुंधरा के मौजूदा कार्यकाल में विधानसभा की चार सीटों के उपचुनाव हो चुके हैं। पर सत्तारूढ़ पार्टी को सफलता एक सीट पर ही मिल पाई। वसुंधरा राजे और भाजपा धौलपुर सीट पर कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती हैं। इसलिए भाजपा के तीन-तीन मंत्री और वसुंधरा राजे के सासंद बेटे दुष्यंत सिंह खुद धौलपुर में घूम रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी धौलपुर में डेरा डाल रखा है। परनामी का कहना है कि जेल में बंद बीएसपी के पूर्व विधायक बीएल कुशवाहा की क्षेत्र में अच्छी पकड़ रही है। उन्होंने अब बीएसपी छोड़ दी है इसलिए उनकी पत्नी शोभारानी को भाजपा में शामिल कर धौलपुर से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा के लिए प्रचार करने वालों में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ, पंचायतराज मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप, परिवहन एवं सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनिस खान, करौली-धौलपुर सांसद डॉ. मनोज राजोरिया के साथ उप चुनाव में राज्यमंत्री का दर्जा पाए अब्दुल सगीर खान, पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष जगमोहन सिंह बघेल, पूर्व विधायक जसवंत सिंह गुर्जर,पूर्व विधायक शिवराम कुशवाह, पूर्व विधायक सुखराम कोली प्रमुख हैं। बता दें कि राजस्थान विधानसभा के लिए 2018 में चुनाव होने हैं। उससे पहले इस उपचुनाव को वसुंधरा सरकार के कामकाज पर जनादेश के तौर पर भी देखा जाएगा। धौलपुर खुद वसुंधरा का घर भी है, इसलिए उनके लिए ये उपचुनाव बहुत अहम हो गया है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री और उनकी टीम इस उपचुनाव को अपने पक्ष में कर पाती है या नहीं। उपचुनाव जीतने के लिए हर कोशिश राजस्थान की मुख्यमंत्री और धौलपुर की महारानीÓ वसुंधरा राजे के लिए धौलपुर उपचुनाव अपनी साख का भी सवाल बना हुआ है। धौलपुर से पिछले चुनाव में जीते बी एल कुशवाहा को हत्या के मामले में सजा होने की वजह से यहां उपचुनाव की नौबत आई। अब कुशवाहा की पत्नी शोभारानी को ही उपचुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वहां से कौन उसका उम्मीदवार होगा, अभी तक ये भी तय नहीं कर पाई है। भाजपा और खासकर अल्पसंख्यकों में नाराजगी न हो इसलिए आचार संहिता के बावजूद उसी दिन पिछली बार हारे पूर्व विधायक अब्दुल सगीर को लालबत्ती देकर राज्यमंत्री का दर्जा भी दे दिया है। वहीं विरोधियों का कहना है कि नैतिकता की दुहाई देने वाली भाजपा को एक सजायाफ्ता शख्स से नजदीकी बढ़ाने और उसकी पत्नी को उम्मीदवार बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं है। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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