20-Mar-2017 06:36 AM
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भोपाल नवाब की कोठियां, महल और दस हजार एकड़ से अधिक जमीन राजसात होगी। इसमें नवाब के वाहन, तोप, शस्त्र और जेवरात भी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि नवाबी रियासत की समूची चल व अचल संपत्ति भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पक्ष में राजसात की जाएंगी। दरअसल, संसद ने शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी, जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। पूर्व भोपाल रियासत में आने वाले जिलों में लगभग 10 हजार एकड़ जमीन प्रभावित मानी जाती रही है। राजधानी की ही लगभग दो हजार एकड़ जमीन शत्रु संपत्ति की जद में आती है। राजधानी में कोहेफिजा, ईदगाह, लालघाटी, हलालपुरा, बैरागढ़, लाउखेड़ी, गिन्नौरी, तलैया, शाहजहांनाबाद, जहांगीराबाद, चिकलोद, नवबहार, ऐशबाग, प्रोफेसर कॉलोनी, बैरसिया रोड, इस्लाम नगर, खजूरी और पुराने शहर के कुछ क्षेत्रों में यह संपत्ति है।
राजधानी सहित रायसेन और सीहोर में भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्ला खान की पर्सनल प्रॉपर्टी को लेकर चल रहा विवाद फिर बढ़ गया है। शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई ने युद्ध के समय पाकिस्तान जाने वाली नवाब की बेटी आबिदा सुल्तान को वारिस मानते हुए 133 प्रॉपर्टी की लिस्ट भेजी थी, हालांकि कलेक्टर भोपाल ने इसकी जांच के बाद राजधानी में इतवारा स्थित नानी की हवेली को ही शत्रु संपत्ति माना है। शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई ने वर्ष-2013 में कलेक्टर भोपाल को 133 प्रॉपर्टी की लिस्ट दी थी, जिसमें पाक जाकर बसीं आबिदा सुल्तान को बेगम ऑफ भोपाल मानते हुए इस प्रॉपर्टी की जांच के निर्देश दिए थे। जांच में आबिदा सुल्तान के नाम कोई प्रॉपर्टी नहीं मिलने की जानकारी शत्रु संपत्ति कार्यालय को भेजी गई। हाल ही में राज्य सभा में शत्रु संपत्ति बिल पास हो गया है, जिसके तहत एक बार शत्रु संपत्ति घोषित होने के बाद उसमें कोर्ट दखलअंदाजी नहीं करने का उल्लेख किया गया है। इस बिल के पास होने से भोपाल में नवाब की पर्सनल प्रॉपर्टी की दोबारा से जांच की जा सकती है। हालांकि इसके बारे में कलेक्टर भोपाल ने अभी कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है।
भोपाल रियासत के केंद्र में विलय के लिए अप्रैल 1949 में नवाब और सरकार के बीच मर्जर एग्रीमेंट किया गया था। इसके एक साल बाद नवाब हमीदुल्ला खान की बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गई थी। उनका यहां कोई वारिस नहीं था। ऐसे में नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को नवाब का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। आबिदा सुल्तान ने भारतीय कोर्ट में साजिदा को वारिस बनाने को चुनौती दी। साथ ही संपत्ति पर हक जताया। यह मामला फिलहाल कोर्ट में है। बताया जाता है नवाब की ही सबसे ज्यादा शत्रु संपत्ति एक्ट के दायरे में है।
बॉलीबुड अभिनेता और भोपाल नवाब के वारिस सैफ अली खान ने केंद्र सरकार के अधीन शत्रु संपत्ति कार्यालय द्वारा नवाब की संपत्तियों की जांच से जुड़े आदेश को अप्रैल 2015 से हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। शत्रु संपत्ति कार्यालय ने 24 फरवरी 2015 को भोपाल नबाव की संपत्तियों की शत्रु संपत्ति कानून के तहत जांच के आदेश दिए थे। तभी से भोपाल की शत्रु संपत्तियों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जिला प्रशासन को जांच में मिले रिकार्ड के मुताबिक वर्ष 1961 के बाद राजस्व रिकार्ड में रूलर ऑफ भोपाल मेहर ताज नवाब साजिदा सुल्तान के नाम से दर्ज जमीनों और संपत्तियों को बड़ी संख्या में राज्य सरकार ने अधिग्रहण और विक्रय पत्रों के माध्यम से खरीदा है। इसके एवज में करोड़ों की धनराशि का भुगतान तत्कालीन नवाब एवं उनके उत्तराधिकारियों को किया गया है। वर्तमान में इन जमीनों पर हाउसिंग बोर्ड और बीडीए की रहवासी कॉलोनियों सहित वीआईपी रोड, एमपीईबी के सब स्टेशन, ऐशबाग खेल मैदान, कॉलेज, स्कूल, पंप हाउस, रेस्ट हाउस और कई सरकारी दफ्तर बने हुए हैं। अब देखना यह है कि शत्रु संपत्तियों को बचाने के लिए नवाब के वारिश क्या कदम उठाते हैं।
क्या है शत्रु संपत्ति
जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017Ó को 1962 के भारत चीन युद्ध , 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए। विभाजन के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। वे अपना मकान और जमीन यहां छोड़ गए। इनमें से ऐसी संपत्ति जिनका कोई वारिस नहीं था, उन्हें सरकार ने शुत्र संपत्ति घोषित कर दिया। वर्ष 1949 में मर्जर एग्रीमेंट के बाद देश छोडऩे वाले नवाब परिवार व अन्य की जायदाद भी इसमें शामिल है। गृह मंत्रालय का शत्रु संपत्ति कार्यालय ऐसी संपत्तियों का प्रबंधन करता है।
-राजेश बोरकर