18-Mar-2017 10:33 AM
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नोटबंदी के बाद जिस तरह जमीनों के भाव लुढक़े हैं उससे ऐसा लग रहा था कि इस बार कलेक्टर गाइड लाइन में भी जमीनों के भाव उछाल पर नहीं होंगे। लेकिन कलेक्टर गाइड लाइन सामने आने के बाद बदहाल रियल मार्केट के लोग असमंजस में फंस गए हैं। एक ओर जहां बिल्डरों की संस्था क्रेडाई और इसके सदस्यों ने जमीनों की कीमत बढ़ाए जाने का विरोध किया है, वहीं कुछ बिल्डर ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने टाउनशिप प्रोजेक्ट वाले क्षेत्रों में कीमतें बढ़ाए जाने की भी मांग की है। इन बिल्डरों ने गाइडलाइन आने से पहले ही जनवरी और फरवरी माह में ही एक दर्जन से अधिक आपत्तियां और सुझाव पंजीयन विभाग को भेज दिए थे।
उधर राजधानी में जमीनों की कीमतों में भारी अंतर को लेकर कलेक्टर गाइडलाइन पर आई आपत्ति चर्चाओं में हैं। आखिरी दिन आई 10 आपत्तियों समेत कुल 32 दावे-आपत्तियां दर्ज की गईं हैं। आपत्तियों में लोगों ने कई क्षेत्रों की जमीनों के भाव पर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का आरोप है कि रियल स्टेट को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने कलेक्टर गाइडलाइन अनाप-शनाप तय की है। सरदार गुरुचरण सिंह अरोड़ा की आपत्ति में भैरोपुर और समरधा कलियासोत इलाकों में जमीनों के दाम 50 गुना बढ़ाए जाने की मांग की गई है। इस आपत्ति में कहा गया है कि होशंगाबाद रोड के वार्ड 85 में रतनपुर मुख्य सडक़ पर एक हेक्टेयर जमीन 50 करोड़ की है, लेकिन मिसरोद और भैरोपुर में 2 करोड़ 20 लाख रुपए की। वहीं समरधा कलियासोत में एक हेक्टेयर जमीन की कीमत 1 करोड़ 37 लाख है। महज 3 किलोमीटर के दायरे में जमीनों की कीमतों में 50 गुना से अधिक अंतर किस आधार पर रखा गया है? जबकि इन सभी गांवों की सीमाएं होशंगाबाद रोड को एक समान रूप से छूती हैं। सिर्फ 3 किलोमीटर के दायरे में सडक़ किनारे दामों में अंतर से सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, इसलिए सभी स्थानों पर कीमतें बढ़ाकर एक समान कर दी जाएं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व के वर्षों में भी कलेक्टर गाइड लाइन के तहत जमीनों के तय किए गए भाव पर लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन अफसर कहीं पूरी तरह तो कहीं आंशिक संशोधन कर जमीनों के भाव अपने हिसाब से तय कर देते हैं। इस बार की आपत्ति में सागर बिल्डर ने मोरगा गांव में जमीन की कीमतें बढ़ाए जाने के विरोध में आपत्ति दर्ज कराई। यहां कीमतें कम कर यथावत रखने की मांग की गई है। बिल्डर संजीव अग्रवाल ने जाटखेड़ी में निर्माणाधीन सागर पर्ल कॉलोनी को गाइडलाइन में शामिल करने की मांग की है। आपत्ति में कहा गया है कि प्रशासन के सर्वे में उनकी कॉलोनी छूट गई है। वहीं एमपी नगर जोन-1 और जोन-2 के रहवासियों की ओर से आपत्ति और सुझाव दिए गए हैं कि एमपी नगर के संपूर्ण आवासीय क्षेत्र को व्यावसायिक दर के बराबर किया जाए। इसके साथ ही आसपास की कॉलोनियों की कीमतें बराबर करने की मांग उठाई। कीमतें बढ़ाने की मांग करने वालों में प्रमुख रूप से सिएक बिल्डर का नाम शामिल है। सिएक लिमिटेड के संचालक एके दुबे ने जनवरी माह में ही हुजूर क्षेत्र के ग्राम पिपलिया, छप्परबंद, तारासेवनियां, पृथ्वीपुरा में चल रहे सिएक सिटी प्रोजेक्ट में कलेक्टर गाइडलाइन में दोगुना से अधिक वृद्धि किए जाने की मांग की है। दुबे के मुताबिक वर्तमान में यहां 251 रुपए प्रति वर्गफीट की दर निर्धारित है। इसे बढ़ाकर 600 रुपए प्रति वर्गफीट (6460 वर्गमीटर) तक बढ़ाए जाने की मांग की है।
वहीं चिनार बिल्डर्स ने प्रॉपर्टी कारोबार में मंदी का हवाला देते हुए इस साल जमीनों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने की मांग उठाई है। चिनार बिल्डर्स ने प्रॉपर्टी कारोबार में मंदी का सबसे बड़ा कारण कलेक्ट्रेट गाइडलाइन में हर साल होने वाली अव्यवहारिक और अप्रत्याशित वृद्धि को बताया है। चिनार की आपत्ति में कहा गया है कि कोलार रोड पर बोरदा गांव में उनके दो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, यहां संतत्ति का बाजार मूल्य 1022 रुपए प्रति वर्गफीट है, लेकिन मंदी के कारण 700 से 750 रुपए प्रति वर्गफीट में प्लाट यहां बिक रहे हैं। ऐसे में लोगों को 30 फीसदी अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ रही है। फॉच्र्यून बिल्डर ने भी कीमतों में वृद्धि को अव्यवहारिक बताते हुए कम करने की मांग की है। जमीनों के बाजार भाव कम होने की स्थिति में भी लोग इसलिए प्लाट्स में निवेश नहीं कर रहे हैं, क्योंकि अधिक स्टाम्प ड्यूटी चुकाने के अलावा आयकर विभाग द्वारा संपत्ति का मूल्यांकन अधिक करने के कारण आय से अधिक संपत्ति का केस बनाया जाने लगा है। क्रेडाई के सचिव मनोज सिंह मीक कहते हैं कि प्रॉपर्टी कारोबार में मंदी के दौर के बावजूद जमीनों की कीमत बढ़ाना अव्यवहारिक और अप्रत्याशित है। इससे केंद्र सरकार के हाउसिंग फॉर ऑल के सपने को धक्का लगेगा।
-भोपाल से रजनीकांत पारे