चुनावी चाल सबको सौगात
18-Mar-2017 10:30 AM 1234808
मप्र में लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए शिवराज सरकार अभी से चुनावी मोड में आ चुकी है। जमीनी और मैदानी तैयारी के साथ सरकार प्रशासनिक स्तर पर भी चौसर बिछा रही है। इसी को दृष्टिगत करते हुए मप्र सरकार ने बजट 2017-18 में बिना किसी को नाराज किए सभी वर्ग को साधने की कोशिश की है। वित्तमंत्री जयंत मलैया ने मप्र का 1 लाख 85 हजार करोड़ रुपए का बजट विधानसभा में पेश किया। मलैया ने बजट में खासतौर से गरीब, मध्यम वर्ग, कर्मचारी, किसान, युवा और महिलाएं को खुश करने की कोशिश की है। ऐसा लग रहा है मानो डेढ़ साल पहले ही भाजपा चुनाव मैदान में कूद गई हो। बजट 2017-18 का सारा फोकस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणाएं, दृष्टिपत्र 2018 और भाजपा के जनसंकल्प पर रहा है। कोशिश की गई है कि तीन बार सत्ता में रहने से स्वाभाविक तौर पर उपजने वाली एंटीइनकम्बेंसी को इस बजट के जरिए साल भर पहले ही नियंत्रित करने की कोशिश की गई है। बजट में ऐसा संतुलन बैठाया गया है कि समाज के हर वर्ग के साथ सामंजस्य बैठाने के साथ-साथ अधोसंरचना के विकास का भी पूरा ध्यान रखा गया है। सिंचाई से लेकर शहरी विकास तक में सरकार ने 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बीएसपी पर जोर भाजपा 2003 में जिन बिजली, सडक़ और पानी (बीएसपी) के मुद्दों पर चुनाव जीता था, उन पर इस बार के बजट पर अधिक जोर दिया गया है।  दरअसल प्रदेश में सडक़ और पानी की सबसे अधिक समस्या है। इसलिए सरकार ने इस बजट में इस ओर अधिक ध्यान दिया है। क्योंकि आम लोगों के जीवन पर इनका अधिक प्रभाव पड़ता है। इसीलिए सडक़ों के लिए सरकार ने 7114 करोड़ का बजट रखा है, जो पिछले साल से 40 फीसदी ज्यादा है। ग्रामीण सडक़ों पर भी 3707 करोड़ रुपए (30 फीसदी इजाफा) खर्च किए जाएंगे। पेयजल आपूर्ति के लिए भी सरकार ने 34 फीसदी बजट बढ़ाते हुए 3796 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। बिजली के लिए 2901 करोड़ का सीधा प्रावधान किया गया है, वहीं बिजली कंपनियों की बिगड़ी माली हालत सुधारने के लिए केंद्र सरकार की उदय योजना के तहत सरकार 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। जाहिर है बिजली, सडक़, पानी के मुद्दों पर भाजपा सरकार को जो काम चुनावी साल में करना था, वो एक साल पहले कर लिया। इसका आशय साफ है कि सरकार चुनावी साल में प्रदेश की सेहत को चुस्त-दुरस्त रखना चाहती है। कल्याणकारी राज्य में इन मूलभूत सुविधाओं के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन व्यवस्था की बारी आती है। सात नए मेडिकल कॉलेजों की योजना और डॉक्टरों के लिए इंसेंटिव स्कीम लांच कर सरकार ने इलाज के बिगड़े सिस्टम को सुधारने की कोशिश की है। किसानों को सस्ती बिजली देने के लिए 8736 करोड़ की रकम रखी गई है, जिसका किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी खासी घोषणाएं की गई हैं। हां ये बात सही है कि इस बजट में सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर ध्यान ही नहीं दिया। जिन मुद्दों पर सरकार घिरी हुई है, उनके भी समाधान खोजने की कोशिश सरकार ने की है। पदोन्नति में आरक्षण जैसे गंभीर मसले पर सवर्ण, पिछड़ा वर्ग सरकार से नाराज है। इस वर्ग की नाराजगी दूर करने ही सरकार ने उनके प्रतिभावान बच्चों के लिए एक हजार करोड़ की मुख्यमंत्री मेधावी योजना शुरू की है। जाहिर है कि 2018 में सरकार को चुनाव का सामना करना है। जिसके लिए उसने पहले से खुद को तैयार कर लिया है। हर वर्ग को साधकर सरकार ने कोशिश की है कि विपक्ष को कोई मौका न मिले। 12 जनवरी को युवा पंचायत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कई घोषणाओं को अमली जामा पहनाते हुए सरकार ने बजट में युवाओं के लिए पिटारा खोल दिया। सरकार द्वारा तय संस्थानों से अलग कॉलेज में एडमिशन लेने पर विद्यार्थियों को एक लाख रुपए सालाना अनुदान दिया जाएगा, वहीं 85 प्रतिशत से कम अंक वाले विद्यार्थी यदि राष्ट्रीय संस्थानों में एडमिशन लेंगे तो उन्हें फीस ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दी जाएगी, इसे उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद लौटाना होगा। कौशल संवर्धन योजना के तहत साढ़े सात लाख युवाओं को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग देने का लक्ष्य तय हुआ है। बजट पर गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) का असर साफ-साफ दिखा। करों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। सरकार का पूरा फोकस वोट बैंक बढ़ाने वाली सामाजिक-आर्थिक योजनाओं पर रहा। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में सरकार द्वारा तैयार विजन डॉक्यूमेंट 2018 का करीब 8 से 10 बार जिक्र किया, जिससे साफ होता है कि बजट में पूरा जोर सरकार की घोषणाओं को पूरा करने पर रहा। वित्त मंत्री ने प्रदेश के सवा पांच लाख कर्मचारियों को जुलाई 2017 से सातवां वेतनमान देने की घोषणा कर खुश करने की कोशिश की। साथ ही सभी विधवाओं को पेंशन देने और तीर्थ दर्शन योजना में नए तीर्थ स्थल जोडऩे की घोषणा बड़े वर्ग को लाभ पहुंचाने की कोशिश का हिस्सा है। सरकार के गरीब कल्याण एजेंडे के तहत शहरी गरीबों के लिए दीनदयाल रसोई योजना की बजट में घोषणा हुई है। जिसके तहत गरीबों को 5 रुपए में भरपेट भोजन मिलेगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को इंशेंटिव देने की घोषणा भी बजट में की गई है। उद्योग जगत निराश कारोबारी और उद्योग जगत को भी निराशा हाथ लगी है, उन्हें जिस तरह की रियायतों की उम्मीद थी, सरकार ने ऐसा कुछ भी करने की मंशा फिलहाल जाहिर नहीं की है। सरकार ने हर वर्ग को कुछ न कुछ देने के प्रयास में बहुत बड़े वर्ग को खाली हाथ ही छोड़ दिया है। महिलाओं, युवा, स्टार्टअप जैसी योजनाओं के लिए सरकार के खजाने से कुछ खास नहीं निकल पाया। हां, लेकिन नर्मदा यात्रा के लिए सरकार ने दिल खोलकर पैसा देने की कोशिश की गई है। 1500 करोड़ रुपया नर्मदा किनारे पेड़ लगाने के लिए दिया गया है। नर्मदा यात्रा के दौरान की गई मुख्यमंत्री की घोषणाएं भी बजट में जगह पाने में कामयाब हो गई हैं। पेट्रोलियम पदार्थों से नाखुश इस बजट में सबसे अधिक निराशा पेट्रोल, डीजल के दाम कम न होने से हुई है। दरअसल वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में भी पेट्रोल और डीजल पर टैक्स कम नहीं किया गया। वहीं प्रदेश में रसोई गैस सिलेंडर के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई 800 रुपए पर पहुंच गए हैं। विपक्ष का कहना है कि अगर प्रदेश सरकार टैक्स में राहत देती तो पेट्रोलियम पदार्थों के साथ रसोई गैस भी सस्ती हो सकती है। उधर रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए जाने पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने विधानसभा के गेट पर साइकिल पर गैस सिलेण्डर लेकर प्रदर्शन किया।  पटवारी का कहना है कि कई वर्ष पहले पेट्रोल के दाम बढ़े तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी में साइकिल की सवारी की थी। लेकिन अब उनके राज में ही पेट्रोल के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। -भोपाल से अजयधीर
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