03-Mar-2017 10:57 AM
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मप्र विधानसभा में हर बार की तरह इस बार भी सरकार विपक्ष की अपेक्षा अपनों से हलाकान हो रही है। इस बजट सत्र के पहले विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए दावे तो खूब किए थे, लेकिन एक-दो मौकों को छोड़कर विपक्ष सदन में दर्शक की ही भूमिका में नजर आया। हालांकि अजय सिंह के रूप में नया नेता प्रतिपक्ष मिलने के बाद उम्मीद है कांग्रेस आगे आक्रामक हो। इस दौरान विपक्ष भले ही सरकार को घेरने में विफल रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष के विधायक लगातार सरकार को अपने सवालों से हलाकान करते रहे।
बजट सत्र शुरू होने से पहले उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस सदन में सरकार को चैन से नहीं बैठने देगी, लेकिन देखा यह जा रहा है की कांग्रेस से अधिक सत्ता पक्ष के विधायक सरकार को घेर रहे हैं। बजट सत्र में सबसे पहले सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने सरकार को घेरा। उन्होंने भिंड जिले में कम्प्यूटर खरीदी का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि इस खरीदी में बड़ा घोटाला हुआ है। 16 साल पहले हुए इस घोटाले में आईएएस अफसर और सांसद दोषी हैं। जांच के नाम पर लीपापोती हो रही है। हालांकि सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने उनके आरोपों को नकारते हुए उन्हें समझाने का प्रयास किया कि जांच हो रही है, लेकिन विधायक आरोप दोहराते रहे। कुशवाह का कहना था कि उन्होंने सवाल पूछा तो सरकार की ओर से केवल एक लाइन का जबाव दिया गया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है। इस पर मंत्री आर्य ने उनके सवालों का जबाव दिया। उन्होंने कहा कि मामला हाईकोर्ट में गया। वहां से सुप्रीमकोर्ट और अब ईओडब्ल्यू जांच में हैं। जांच पूरी होने के बाद ही कार्यवाही होगी। इस पर विधायक कुशवाह ने कागज लहराते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट आ चुकी है। उनके पास रिपोर्ट है, तो फिर आप को रिपोट क्यों नहीं मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि 1 करोड़ 20 हजार रुपए के इस घोटाले में सरकार, सांसद और आईएएस अधिकारी को बचाने का प्रयास कर रही है। मंत्री ने उन्हें जांच का भरोसा दिलाया लेकिन वे लगातार आरोप लगाते रहे, स्पीकर ने भी उन्हें समझाने का प्रयास किया। कुशवाहा जैसे-तैसे माने।
कुशवाहा की ही तरह सत्ता पक्ष का कोई न कोई विधायक अपने सवालों से सरकार की फजीहत करता रहा। ऐसे ही विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर ने एक बार फिर शिवराज सरकार पर सीधे अटैक किया है। विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में गौर ने सरकार को घेर लिया। उनका साथ दिया कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने। गौर ने सरकार के अफसरों पर निशाना साधते हुए कहा कि अफसर किसी की सुनते नहीं है। वे बेलगाम हो गए हैं। फोन लगाओ तो फोन तक नहीं उठाते। गौर ने सरकारी अफसरों और विशेषकर नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी विवेक अग्रवाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विवेक अग्रवाल न तो किसी का फोन उठाते हैं और न ही किसी की सुनते हैं। ऐसे तो मध्यप्रदेश में काम हो रहा है।
इसी तरह गौर ने भोपाल की भानपुर खंती का मामला उठाया था। उन्होंने सवाल किया था कि खंती के आसपास कितनी कालोनियां हैं और कितना प्रदूषण है। इस पर मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने जवाब दिया कि खंती के एक किमी के दायरे में 550 परिवार रहते हैं। इस पर गौर ने कहा कि मंत्री झूठ बोल रहे हैं। खंती के पास इससे भी ज्यादा आबादी है और यदि यहां के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करा लिया जाए तो 93 फीसदी लोग बीमार निकलेंगे। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि सब कुछ गौर साहब का ही किया-धरा है। सवाल-जवाब करना बेतुका है। भानपुर खंती जब बसी तब नगरीय प्रशासन विभाग उन्हीं के पास था। यही नहीं मकान, दुकान बनाने के लिए जमीन का उपयोग परिवर्तन (डायवर्सन) कराने के मामले को लेकर पूर्व गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने सदन के भीतर और बाहर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। गौर ने कहा कि अक्सर शिकायतें आती हैं कि डायवर्सन के काम नहीं हो रहे हैं। बिना लेन-देन किसान के काम अधिकारी नहीं करते हैं। राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने गौर के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये उनकी निजी राय हो सकती है। विधानसभा में भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने डायवर्सन के लंबित मामलों का सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि तीन माह में यदि डायवर्सन की अनुमति नहीं दी जाती है, तो एक माह बाद इसे डीम्ड अनुमति मानने का नियम है, लेकिन एक मामले में भी ऐसे आदेश नहीं निकले। राजस्व मंत्री ने माना कि ये एक गंभीर मामला है। फरवरी में 5 दिन चले विधानसभा के बजट सत्र के दौरान रोजाना सत्ता पक्ष के विधायक अपने सवालों से सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे, जबकि विपक्ष सपोर्टिंग की भूमिका में नजर आया।
भाजपा शैलेंद्र जैन ने राजघाट बांध से अनाधिकृत रूप से पानी लेकर सिंचाई करने का मामला उठाया। नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने माना कि पानी की चोरी हो रही है। प्रतिबंध लगाया जा रहा है। विजयपाल सिंह ने सोहागपुर के वन ग्राम के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के बगैर विस्थापित करने का मामला उठाया। गलत जानकारी देने का आरोप भी उन्होंने सरकार पर लगाया। बैरसिया विधायक विष्णु खत्री ने सरकार को घेरते हुए कहा कि क्षेत्र के गांव किसी प्रधानमंत्री योजना से जुड़े नहीं हैं। चंपालाल देवड़ा ने कार्य पूर्ण न करने वाले ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। साथ ही सरकार पर सदन में गलत जानकारी देने के आरोप भी लगाए। भाजपा विधायक प्रदीप लारिया ने नगर पालिका मकरोनिया के मुख्य नगर पालिका अधिकारी के भ्रष्टाचार, मनमानी का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सीईओ सीपी राय के खिलाफ सौ से ज्यादा शिकायत है। पार्षदों ने भी एफआईआर कराई है। फिर भी शासन कार्रवाई नहीं कर रहा। हालांकि बाद में मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस मामले मेें कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कई अन्य सत्ता दल के विधायकों ने अपने सवालों के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की है। हालांकि विधायक प्रदीप लारिया का कहना है कि यह हमारा कर्तव्य है। इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी सरकार के खिलाफ हैं।
कहां है कांग्रेस की शैडो कैबिनेट
मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा में राज्य की भाजपा सरकार को घेरने के लिए दो साल पहले शैडो कैबिनेट के तौर पर नया प्रयोग किया था। सरकार के मंत्रियों की तरह विधायकों को विभागवार जिम्मेदारी भी दी गई, लेकिन अब यह सब कागजी बनकर ही रह गया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने 2014 में शैडो कैबिनेट बनाई थी। शैडो कैबिनेट में शामिल कुछ विधायकों को स्वतंत्र रूप से और कुछ को अन्य विधायकों के साथ विभागवार जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
जल संसाधन:
लाखन सिंह, सुखेंद्र सिंह बना, रजनीश सिंह।
गृह: जीतू पटवारी।
ऊर्जा:
इमरती देवी, प्रताप सिंह, गिरीश भंडारी।
महिला बाल विकास:
शकुंतला खटीक, चंदा गौर, हिना कांवरे।
कृषि:
रामपाल सिंह यादव, हर्ष यादव, प्रेम सिंह, मधु भगत, शैलेंद्र पटेल।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास:
महेंद्र सिंह सिसौदिया, गोवर्धन उपाध्याय, हरदीप सिंह डंग।
शिक्षा: जयवद्र्धन सिंह, जतन उइके।
खनिज:
गोपाल सिंह चौहान, संजीव उइके,
उमंग सिंघार।
नगरीय प्रशासन:
विक्रम सिंह नातीराजा, संजय उइके।
पीडब्ल्यूडी:
यादवेंद्र सिंह, रामपाल सिंह, रमेश पटेल।
आवास एवं पर्यावरण: कमलेश्वर पटेल।
अनुसूचित जाति व जनजाति, पिछड़ा वर्ग कल्याण:
सरस्वती सिंह, ओंकार सिंह मरकाम, योगेंद्र सिंह बाबा, झूमा सोलंकी सुरेंद्र सिंह बघेल।
वित्त व जनसंपर्क: मनोज कुमार अग्रवाल
वन: फुंदे सिंह मार्को।
सामान्य प्रशासन: नीलेश अवस्थी।
स्वास्थ्य: तरुण भनोत, निशंक जैन।
राजस्व: कमलेश शाह, सोहनलाल वाल्मीकि।
एनवीडीए: आरके दोगने, सचिन यादव।
खेल एवं युवक कल्याण:
विजय सिंह सोलंकी
(अजय सिंह, बाला बच्चन, महेंद्र सिंह कालूखेड़ा, आरिफ अकील, केपी सिंह, डॉ. गोविंद सिंह, रामनिवास रावत, मुकेश नायक, सुंदरलाल तिवारी को मुक्त रखा था)
सवालों का एक जवाब जानकारी एकत्र कर रहे हैं
एक तरफ सत्ता पक्ष के विधायक अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ विभागों के अफसर विधायकों के सवालों का जवाब न देकर सरकार की मुश्किले बढ़ा रहे हैं। दरअसल इस बार विधानसभा में कई सवालों का एक ही जवाब मिला हैं कि जानकारी एकत्र की जा रही है। 27 फरवरी को तो करीब 35 सवालों का जवाब यही था। जिसमें सर्वाधिक राजस्व विभाग के थे। शून्यकाल में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मेरे एक सवाल का उत्तर रात को आया। अब उसकी प्रासंगिकता ही समाप्त हो गई है। इस पर अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से कहा कि इस मामले को गंभीरता से लें, जो प्रश्न आते हैं, उनका उत्तर भी आना चाहिए। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि ये पहली बार नहीं है कि राजस्व विभाग की ओर से जवाब नहीं दिए जा रहे हैं। इसके पहले भी इसी तरह 60 से ज्यादा सवालों के जवाब में यही बताया गया था कि जानकारी एकत्र की जा रही है। विधायक क्षेत्र की समस्याओं से जुड़े सवाल तमाम तथ्यों के साथ उठाते हैं, यदि इस मंच पर भी उनका जवाब नहीं मिलेगा तो कहां मिलेगा। उधर, सदन में जब ये मामला आया तो कई विधायकों ने कहा कि उन्हें पूरे जवाब कभी नहीं मिलते हैं। अध्यक्ष ने बताया कि जिन सवालों के जवाब नहीं आते हैं, उन्हें अगले सत्र के पहले दिन पटल पर रखा जाता है।
-भोपाल से अजयधीर