तो फिर तरसेंगे बूंद-बूंद को
03-Mar-2017 09:40 AM 1234772
प्रदेश में जल, जंगल और जमीन पर जिस तरह से अवैध खनन चल रहा है उससे भूमिगत जलस्रोत सूखने लगे हैं। आलम यह है कि नदियों के किनारे भूमिगत जल स्तर दिन पर दिन नीचे जा रहा है। वहीं नदियों में भी पानी कम होने लगा है। अवैध खनन के साथ ही धड़ाधड़ हो रहे नलकूपों और हैंडपंपों के खनन से धरती का सीना छलनी हो रहा है। जल का अत्यधिक दोहन किए जाने से जलस्तर तेजी से नीचे की और खिसकता जा रहा है। संकट की आहट का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि हर साल जलस्तर नीचे खिसक रहा है। इससे आगामी गर्मी के दिनों में भीषण जल संकट के हालात बनने की आशंका जताई जा रही है। गत मानसून में रिकार्ड तोड़ बारिश के बाद भी प्रदेश के सीहोर, पन्ना, रीवा, जबलपुर, सीधी, सागर, दमोह, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, कटनी, टीकमगढ़, सिवनी, सिंगरौली, श्योपुर, छतरपुर और भिंड जिले का भूमिगत जलस्तर तेजी से गिरता जा रहा है। प्राकृतिक जलस्रोत सूखने के कारण ट्यूबवेल और कुएं सूख रहे हैं। इस साल पर्याप्त बारिश होने के बाद भी भूमिगत जलस्रोत भर नहीं पाए। इससे अभी से मार्च जैसे हालात बनने लगे हैं। सीहोर में तो भूमिगत जल स्तर 300 फीट से भी नीचे चला गया है। इस कारण शहरी क्षेत्र के सैंकड़ों और पीएचई द्वारा कराए गए करीब 60 प्रतिशत बोर सूख चुके हैं। बीते 15 दिनों में पीएचई के द्वारा जिले भर में कराए करीब 60 प्रतिशत बोर सूख चुके हैं। इसका कारण तेजी से जल स्तर का गिरना है। शहर में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। शहर के बोर और कुएं सीवन नदी व सीटू नाले से होते हैं। हर साल सीवन और सीटू में फरवरी माह के अंत तक पानी रहता था, लेकिन इस वर्ष अभी से नदी की तलहटी दिखने लगी है। जिससे भूमिगत जल स्तर भी गिर रहा है। हर साल मार्च में शहर व जिले का भूमिगत जल स्तर 300 फीट के नीचे चला जाता है, जबकि इस बार अभी से भूमिगत जल स्तर 300 फीट से नीचे चला गया है। पन्ना, रीवा, सीधी, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, कटनी, टीकमगढ़, सिवनी, सिंगरौली, श्योपुर, छतरपुर और भिंड जिलों में 50 फीट से लेकर 150 फीट तक जल स्तर गिरा है। इस वर्ष अच्छी बारिश होने के बाद भी जल संकट बना हुआ है। इसका कारण भूमिगत जलस्रोतों का रिचार्ज न होना बताया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि धरती में अंदर जो वाटर बेयर फार्मेशन हैं। लगातर हो रही कम बारिश के कारण वे खाली हो गए हैं और इस वर्ष अच्छी बारिश होने के बाद वे भर नहीं पाए हैं। इससे अभी से भूमिगत जल स्तर गिर रहा है। साथ ही जल स्रोतों के पास हो रहे खनन के कारण भी भूमिगत जल स्तर गिर रहा है। जबलपुर, सागर, दमोह में बीते पांच वर्षो में कम बारिश होने के बाद भी भूमिगत जल स्तर इस वर्ष की तुलना में कम गिरता था। पीएचई के अनुसार इस वर्ष इन जिलों में फिलहाल जल स्तर 30 फीट से 200 तक गिर गया है।  यही कारण है कि हैंडपंपों में पानी आना कम हो गया है। हालांकि विभागीय अधिकारी इस गिर रहे भू- जल स्तर के बाद में कृषि पंपों से सिंचाई बंद होने के बाद फिर से ऊपर आने की बात भी कह रहे हैं। खनन पर भी पाबंदी नहीं प्रदेश के करीब ढ़ाई दर्जन जिलों में हर साल भयंकर जलसंकट होता है। जलअभाव की परिस्थितियों मे मध्यप्रदेश पेयजल परीक्षण अधिनियम 1986 के संशोधित अधिनियम 2002 की धारा 9, 4 एवं 6 के तहत जल अभावग्रस्त क्षेत्रों में नलकूप खनन पर पाबंदी रहती है, फिर भी नियमों को नजरअंदाज कर ऐसे क्षेत्रों में धड़ल्ले से नलकूप खनन किया जा रहा है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत राजस्व अधिकारियों को कार्रवाई करने के अधिकार है। लेकिन प्रशासन की मिलीभगत से सभी जिलों में धड़ाधड़ नलकूप खनन हो रहा है। -विशाल गर्ग
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