03-Mar-2017 09:27 AM
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देश के सबसे संपन्न नगर निकाय के चुनाव हो चुके हैं और नतीजे सामने है- बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) का त्रिशंकू सदन। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। महाराष्ट्र के राजनीतिक खेल का भविष्य उसके नतीजे पर निर्भर था। इतना कि राज्य सरकार की नियति भविष्य में लटकी हुई थी, जैसा कि शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा था। उन्होंने कहा था कि वह नोटिस पीरियड में थी, जो बाद में वेंटीलेटरÓ पर रख दी गई।
लगता है, एमसीजीएम चुनाव के नतीजों ने राज्य सरकार को अशांति के दौर से बाहर निकाल दिया है। नतीजे स्लो बट स्टेडी विंस द रेसÓ का श्रेष्ठ उदाहरण है। एमसीजीएम की 227 सीटों में शिव सेना ने 84, भाजपा ने 81, कांग्रेस ने 31, नेशनल कांग्रेस पार्टी ने 9, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने 7, स्वतंत्र और अन्यों ने 14 सीटें जीतीं। अगर भाजपा की मुंबई शहर की इकाई के अध्यक्ष और विधायक आशीष शेलार के दावे पर यकीन करें, तो चार और स्वतंत्र सीटें भाजपा के समर्थन में आ गई हैं। इससे भाजपा की सीटें 85 हो जाती हैं, जो शिव सेना से 1 ज्यादा है।
शिव सेना नेतृत्व के बड़े दावे धरे रह गए। शिवसेना ने मुंबई को हमेशा अपना बताया है। एमसीजीएम के पूरे कैंपेन में, 16 जनवरी को जबसे उद्धव ठाकरे ने भाजपा से अलग होने की घोषणा की थी, उन्होंने मुंबई और मराठी मानुषों के लिए शिव सैनिकों के त्याग और बलिदान की याद दिलाई। उन्होंने मुंबई में 2005 की बाढ़, 2008 के आतंकी हमले और अन्य प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं के दौरान शिव सैनिकों के कामों की लंबी फेहरिस्त गिनाई। मुंबई वालों से भाजपा को हराने की अपील की, दावा करते हुए कि शिवसेना को ढाई दशकों के गठबंधन में नुकसान हुआ है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि शिवसेना भविष्य में किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। अपने शब्दों पर कायम रहने के लिए उद्धव ठाकरे ने अलग हुए अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के गठबंधन का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। वे पार्टी काडर और मतदाता को बताना चाहते थे कि शिवसेना में एमसीजीएम के चुनाव अपने दम पर जीतने की क्षमता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार नोटिस पीरियड में थी और जब भी वे चाहेंगे, उसे किसी भी समय गिरा सकते हैं। इसके मद्देनजर शिवसेना मंत्रियों ने घोषणा की कि वे अपनी जेबों में इस्तीफे रखते हैं और जब भी उनके नेता आदेश करेंगे, वे किसी भी क्षण सरकार छोड़ देंगे।
मतदाता और मराठी मानुषों से भावात्मक अपील, पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल और मुंबई में गुजराती समुदाय के कई आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावी नेताओं को अपने साथ लेने की दीवानगी के हद तक की कोशिशों के बावजूद लगता है कि उद्धव ठाकरे बहुमत जीतने में विफल रहे। अब यदि शिवसेना एमसीजीएम पर शासन करना चाहती है, तो उसे किसी राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन करना पड़ेगा। ऐसे में उद्धव के सामने भाजपा से अच्छा विकल्प कोई नहीं है।
114 का मैजिक अंक नहीं छू पाई
शिवसेना को गिरगांव और दक्षिण मुंबई के अन्य हिस्सों में बहुमत मिला, जबकि भाजपा का उपनगरों, खासकर गुजराती वर्चस्व वाले पश्चिमी उपनगरों में वर्चस्व रहा। हालांकि शिवसेना की सीटों की संख्या में 9 की वृद्धि हुई है, पर सत्ता में आने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। भाजपा की सीटें पिछले सदन से 50 बढ़ीं। भाजपा शिव सेना से आगे रहने में विफल रही, पर राज्य के अन्य हिस्सों में विजेता के रूप में उभरी है। वह राज्य में नंबर वन पार्टी के रूप में उभरी है। शिवसेना और भाजपा के बड़े दावे धरे रह गए। एमसीजीएम में दोनों में से कोई भी पार्टी सत्ता में आने की स्थिति में नहीं है। हालांकि शिव सेना एमसीजीएम में 114 के मैजिक अंक तक नहीं पहुंच पाई, पर नगर निकाय के चुनावी नतीजों ने तय कर दिया है कि फिलहाल राज्य सरकार सुरक्षित है। भाजपा को मुंबई और थाने छोड़कर राज्य में शानदार जीत मिली है, इसलिए शिव सेना सरकार से बाहर नहीं निकलेगी, जैसाकि कयास था।
-मुंबई से ऋतेन्द्र माथुर