03-Mar-2017 09:17 AM
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हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव में अभी 10 माह का वक्त बाकी है, लेकिन यूपी में जैसे-जैसे चुनाव का दौर खत्म होता जा रहा है वैसे-वैसे गुजरात की राजनीति गरमाती जा रही है। दरअसल इस साल के अंत तक गुजरात में भी चुनाव होना है। भाजपा विभिन्न झांझावातों में फंसी हुई है। उधर हार्दिक पटेल भाजपा के लिए सिरदर्द बने हुए हैं और उन्होंने शिवसेना के साथ दोस्ती कर भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
ऐसे में इस बार सत्ता में आने का सपना देखने वाली कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री बनने की होड़ अभी से ही लग गई है। यही नहीं अपने बीच के इस खींचतान को कांग्रेसी नेता खुलेआम जाहिर भी कर रहे हैं। उनकी ये चाहत सोशल मीडिया और पोस्टरों पर साफ दिखाई दे रही है। अहमदाबाद से महज 90 कि.मी. दूर मेहसाणा से बहुचराजी हाईवे पर लगे ये पोस्टर कांग्रेस के वर्तमान गुजरात अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी के हैं। केन्द्र में मंत्री रह चुके भरत सिंह सोलंकी को इन पोस्टरों में गुजरात का भावी मुख्यमंत्री बताया गया है। साथ ही लिखा गया है कि भावी मुख्यमंत्री का यहां पर स्वागत है।
मुख्यमंत्री बनने की कांग्रेस नेताओं की ये लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती। इस लडाई में सब से आगे गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता शंकरसिंह वाघेला भी हैं। शंकरसिंह को यहां बापू के नाम से जाना जाता है। बापू की उम्र तो वैसे 75 साल हो गई है। लेकिन वो आज भी मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। यही नहीं फेसबुक पर बाकायदा शंकर सिंह बापू फॉर सीएम के नाम से एक पेज भी बनाया गया है। इस पेज को अब तक 85 हजार से भी ज्यादा लोग लाईक कर चुके हैं। कांग्रेस में सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल की भूमिका भी गुजरात कांग्रेस में काफी अहम है। भरत सिंह सोलंकी के अध्यक्ष बनने के बाद, शहरी लेवल पर काफी अहम माने जाने वाले हिम्मतसिंह पटेल, जगदीश ठाकोर, कुंवरजी बावलिया जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भरतसिंह के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था। हालांकि माना ये भी जा रहा है की ये नेता अहमद पटेल के काफी खास हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगर ये वरिष्ठ नेता भरत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं तो शायद अहमद पटेल का हाथ इनके ऊपर हो सकता है। हालांकि गुजरात कांग्रेस के लिए ये भी कहा जाता है कि अगर कांग्रेस के सभी पांच नेता एक हो जाते हैं तो इस साल का विधानसभा चुनाव वो आसानी से जीत सकते हैं। लेकिन पांचो नेता अपनी-अपनी राजनीति को छोड़, एक होंगे या नहीं ये तो 2017 के चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।
गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन चुनाव से पहले राजनीति का स्तर गिरता हुआ नजर आ रहा है। वैसे तो गुजरात में यूपी की तरह चार-पांच राजनीतिक पार्टियां नहीं बल्कि सिर्फ दो पार्टियां ही हमेशा यहां आमने-सामने होती हैं- कांग्रेस ओर बीजेपी। बीजेपी पिछले 20 साल से गुजरात में एक तरफा शासन में है, जिसमें पिछले 12 साल शासन किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने। इस दौरान नरेन्द्र मोदी ने अपना कद इतना बढ़ा लिया था कि उनके गुजरात से जाने के बाद, गुजरात बीजेपी में नेतृत्व को लेकर ऐसी कमी आई, जिसे गुजरात बीजेपी का कोई भी हालिया नेता पूरी नहीं कर पाया। ऐसे में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस को सत्ता वापसी की उम्मीद दिख रही है।
चार दावेदार
पिछले दो दशक से सत्ता से बाहर रहने वाली गुजरात कांग्रेस को अब काफी उम्मीदें हैं। इस बार उन्हें आस है गुजरात की सत्ता पर वही काबीज होगी। नरेन्द्र मोदी के केन्द्र में जाने के बाद जिस तरह भाजपा की एक के बाद एक राजनीतिक गलतियां बड़ा रूप ले रही है और नरेन्द्र मोदी की गैरहाजरी भी गुजरात में भाजपा की स्थिति को और खस्ताहाल कर रही है। ऐसे में कांग्रेस को अंधेरे में सत्ता की रोशनी नजर आ रही है। यही वजह है की कांग्रेस के नेता सत्ता में आने से पहले ही मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब में खोने लगे हैं। खुलकर तो नहीं लेकिन बंद शब्दों में कांग्रेस के चार नेता दबी जुबान में खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रहे हैं। इस लिस्ट में भरत सिंह सोलंकी, शंकर सिंह वाधेला, शक्ति सिंह गोहील ओर अर्जुन मोढवाडिया का नाम शामिल है।
द्यआर.के. बिन्नानी