पाक आतंकी देश क्यों नहीं?
03-Mar-2017 09:04 AM 1235038
सनातन संस्कृति में यह बात प्रचलित है कि सांप को कितना भी दूध पिलाओगे, मौका पाते ही वह डंस लेगा। ठीक वैसा की हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमारे साथ कर रहा है। 1947 के बाद से पाकिस्तान भारत के खिलाफ कभी सैनिक कार्रवाई तो कभी आतंकी कार्रवाई कर जन-धन की हानि पहुंचा रहा है और भारत उसे मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देकर उसे उसका मान बढ़ाए हुए है। जब भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है हम खौल पड़ते हैं और परा मुल्क चिल्ला उठता है... हम वतन परस्तों की ये धरती है, बस गर्व से यह कहती है... दूध मांगोगे तो खीर देंगे कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे। यह गूंज सुन-सुन के कान पक गए हैं। लेकिन पाकिस्तान की भारत विरोधी आतंकी गतिविधियां कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में एक बार फिर से देश में आवाज उठी है कि क्यों न पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित किया जाए। दरअसल, पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने  के लिए निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने आतंकवाद प्रायोजक देश की घोषणा विधेयक, 2016Ó नामक एक प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया था। चंद्रशेखर ने इसके साथ ही पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म करने की भी मांग की थी। लेकिन हाल ही में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संबंध खराब होने का हवाला देकर इस बिल का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। यह सभी जानते हैंं कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने में जख्म होंगे लेकिन, जब शरीर के किसी अंग में संक्रमण हो जाता है और जहर फैल जाता है तो आप मरहम पट्टी नहीं करते, आपको उसे काटकर अलग करना पड़ता है। अब वक्त आ गया है कि हम कोई कसर न छोड़ते हुए पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करें। तभी हम दुनिया से ऐसा कदम उठाने का आग्रह कर पाएंगे। खतरनाक आतंकवादी सरगनाओं की पनाहगाह पाकिस्तान यह सर्व विदित है कि पाकिस्तान आतंकियों की पनाहगाह बन गया है। पाकिस्तान में न केवल आतंक को पैदा किया जा रहा है, बल्कि उसे पोषित भी किया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े और खतरनाक आतंकवादी सरगनाओं की जड़ें पाकिस्तान में ही मिलती हैं। वह सरगना चाहे अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का हत्यारा हो, न्यूयॉर्क के वल्र्ड ट्रेड सेंटर के जुड़वा टावर पर हमला करवाने वाला मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन हो, जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक अजहर मसूद हो या भारत का ही कुख्यात अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम या लश्कर-ए-तैयबा का हाफीज सईद हो। ये मुट्ठीभर आतंकी ही आतंकवाद के कुख्यात सुपरस्टार हैं। सारे के सारे पाकिस्तान की उर्वर भूमि में पाले, पोसे और बढ़ाए गए। इसके बाद भी हम पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने के पहले सैकड़ों बार सोचते हैं, बहस करते हैं। आखिर ऐसा क्यों। जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी और जब भी पाकिस्तान पोषित आतंकी भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते थे या सीमा पर गोलीबारी में भारतीय सैनिक हताहत होते तो भाजपा और नरेंद्र मोदी दोनों पाकिस्तान से कठोरता से निपटने की बात करते थे। लेकिन अब तो वे सत्ता में हैं ऐसे में क्यों न 30 साल से जख्म देते आ रहे इस पड़ोसी को सबक सीखाया जाए। समझदारी नहीं है पड़ोसी को आतंकी देश घोषित करना केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिल का विरोध करते हुए संसदीय सचिवालय को लिखा कि इससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय का कहना है कि हमारे पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संबंध हैं, जिसमें व्यापार और उच्चायोग भी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के तहत किसी भी पड़ोसी देश को आतंकी देश घोषित करना समझदारी नहीं होगी। अगर गृह मंत्रालय की माने तो पाकिस्तान भले ही भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां संचालित कर क्षति पहुंचाता रहे, हमारे सैनिकों को मौत के घाट उतारता रहे, लेकिन हम पड़ोसी धर्म पर कायम रहेंगे। लेकिन यह कैसा पड़ोसी धर्म है? ऐसे में सवाल उठता है कि करीब तीस साल से लगातार जारी हिंसक शत्रुता, हजारों सैनिकों की शहादत और कमोबेश उतने ही नागरिकों की हत्या, अंग-भंग और परिवारों का विनाश होने के बाद भी हम पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र कहने के पहले सैकड़ों बार विचार क्यों करते हैं। पाकिस्तान के साथ रिश्ते बनाए रखने के लिए व्यापार के नाम पर, संस्कृति के नाम पर और मानवीयता की दुहाई देकर हमने हमारे आत्म-सम्मान, हमारी गरिमा की बलि चढ़ा दी है। दशकों से भारतीय ऐसे देश के झूठ, धोखाधड़ी और हिंसा का शिकार बना है, जिसकी दुनिया में ख्याति यही है कि वह आतंकवाद का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी उसने इसी को भुनाने की कोशिश की है। यह सार्वभौमिक सत्य है कि हम दोस्त तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं। पड़ोसी के साथ ही हमें रहना सीखना होगा। ऐसे में अगर आपका पड़ोस खुशहाल और तरक्की पसंद है तो निश्चित रूप से आपको उन्नति करने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन प्रतिकूल स्थिति में असर आप पर आना लाजिमी है। बीमार पड़ोसी अपने आसपास के लोगों को संक्रमित करता है। लिहाजा खुद को स्वस्थ रखते हुए यह जरूरी है कि पड़ोसी को भी स्वस्थ रखने के हर संभव प्रयास किए जाएं। हमें पाकिस्तान के रूप में एक प्रतिकूल पड़ोस विरासत में मिला है। रह-रहकर यह देश अशांत हो उठता है। लोकतंत्र को लील लेने वाली घटनाएं होने लगती हैं। कई बार तो इसकी परिणीति हिंसक और डरावनी बन चुकी है। जिन आतंकियों को पाकिस्तान ने पोषित किया है वे पाकिस्तान में ही खून-खराबा कर रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में दो सौ से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। भन्नाएं पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई कर करीब सौ से अधिक आतंकियों को मौत की नींद सुला दी। लेकिन उसके बाद भी यह देश भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां संचालित किए हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। सीमा पर पाकिस्तान की ओर से निरंतर गोली-बारी हो रही है। ऐसे में ऐसे पड़ोसी से निबाह कैसे हो सकता है। फिर क्या यह उचित नहीं है कि उसे आतंकी देश घोषित कर दिया जाए? सांसद चंद्रशेखर का तर्क इस मामले में राज्यसभा में पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत करने वाले सांसद राजीव चंद्रशेखर का तर्क है कि दशकों से भारत और इस क्षेत्र के अन्य देश पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के हमले का शिकार होते रहे हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भारत, अफगानिस्तान, बंग्लादेश और दुनिया के कई हिस्सों में निर्दोष लोगों की जान गई है। वहीं, उड़ी हमले का जिक्र करते हुए कहते हैं कि 18 सितंबर 2016 को हुए आतंकी हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे। यह भारत के खिलाफ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा था। जहां तक मेरे जेहन में बात आ रही है तो मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि पाकिस्तान वर्षों से जो हरकत कर रहा है, उसके लिए उसे एक आतंकवाद प्रयोजकÓ देश कह सकते हैं।Ó इसीलिए इस विधेयक को राज्यसभा में रखा गया है, ताकि पाकिस्तान पर जिम्मेदारी तय की जा सके। चंद्रशेखर ने इसके साथ ही पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म करने की मांग भी करते हैं। लाख टके का सवाल है कि भारत के हम लोग पाकिस्तान को आतंकवादी देश मानते है या नहीं? और यदि मानते है तो क्या उसे आधिकारिक तौर पर हमें आतंकी देश घोषित नहीं कर देना चाहिए? भारत के लोग चाहते है कि अमेरिका और दुनिया के देश पाकिस्तान को वैसे ही अछूत, अलग-थलग बनाए जैसे उत्तर कोरिया को बनाया हुआ है। केंद्र की मोदी सरकार की कूटनीति का फोकस आज पाकिस्तान को दुनिया का आतंकी देश करार देना है। तब पहले क्यों न भारत की संसद प्रस्ताव पास कर पाकिस्तान को आतंकी देश करार दे? हिसाब से उरी पर आतंकी हमले के बाद संसद का विशेष सत्र बुला कर सर्वानुमति से पाकिस्तान पर विचार होना चाहिए। उसे सर्वदलीय राय से आतंकी देश घोषित किया जाना चाहिए। राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य राजीव चंद्रशेखर ने इस बारे में जो प्राइवेट बिल नोटिस दिया है उसे लपक कर सरकार को अपना प्रस्ताव बनाना चाहिए। इस बिल में राजीव चंद्रशेखर ने जो लिखा है, वैसी बातें भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दलों ने बोली है। हम सभी जानते हैं कि जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद चलता रहेगा, तब तक भारत के लोगों पर खतरा मंडराता रहेगा। क्या यह पूरे भारत का विधेयक नहीं होना चाहिए? संदेह नहीं कि भारत को पाकिस्तान पर दो टूक कूटनीतिक स्टैंड लेने की जरूरत है। अगर भारत दुनिया के मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत उसे खुद से करनी होगी। पहले भारत उसे अलग-थलग करे। उसके साथ कूटनीतिक संबंधों का स्तर घटाए और उसको दिया गया सबसे तरजीही मुल्क का दर्जा वापस ले। विडंबना है कि भारत सरकार अपने आधिकारिक बयानों में तो पाकिस्तान को आतंकवादी देश बताती है, मगर उसने उससे राजनयिक संबंध बना रखे हैं। यहां तक कि भारत ने पाकिस्तान को कारोबार में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे रखा है। उरी हमले के बाद सरकार की तरफ से सफाई दी गई कि इस श्रेणी से पाकिस्तान को हटाने का उसका कोई इरादा नहीं है। ऐसा नहीं है तो फिर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई क्या होगी? अमेरिका या दुनिया के दूसरे देशों से पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की अपील करना, मगर खुद ऐसा कदम ना उठाना न सिर्फ विचित्र है, बल्कि एक तरह का पाखंड भी है। अब राजीव चंद्रशेखर के बिल का बेलाग समर्थन कर तमाम दल अपने दोहरेपन से उबर सकते हैं। वरना यही समझा जाएगा कि पाकिस्तान के खिलाफ उनके तमाम बयान खोखले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को मिले एमएफएन दर्जे की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन इसे टाल दिया गया और उसी दिन सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के शिविर नष्ट करने की जानकारी दी। उसके बाद पूरी राजनीति सेना की कार्रवाई पर सिमट गई। लेकिन यह ध्यान रखने की बात है कि सेना की कार्रवाई एक विकल्प है, जिसे भारतीय सैनिकों की मौत का बदला लेना और सीमा को सुरक्षित रखने के लिए आजमाया गया। लेकिन उसके साथ ही पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव भी जरूरी है। भारत ने इस सर्जिकल स्ट्राइल के बाद जो कूटनीति की, उसके अच्छे नतीजे आए हैं। अमेरिका और रूस से लेकर यूरोपीय संघ ने भारतीय सेना की कार्रवाई को सही ठहराया और कहा कि हर देश को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। उरी हमले के बाद भारत ने दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को अलग थलग किया। भारत की पहल से सार्क शिखर सम्मेलन टला, जो इस्लामाबाद में होने वाला था। भारत ने बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, भूटान, नेपाल आदि देशों को आतंकवाद का विरोध करने के लिए तैयार किया। यह भारत की बड़ी सफलता रही। लेकिन आतंकवाद के इस विरोध को आगे बढ़ाते हुए भारत को पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने की पहल भी करनी चाहिए। दोस्ती की और कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी पिछले दशकों में भारत ने इस सामरिक संयम के लिए भारी कीमत चुकाई है। विभिन्न आतंकवादी हमलों में हमारे सुरक्षा बलों के सैकड़ों बहादुर जवान और दूसरे अन्य नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। दक्षिण एशिया यानी अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की भारी कीमत चुकाई है। पाकिस्तान आतंकवाद को अपनी बेतुकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करता है अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में हुए अधिकांश आतंकवादी हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े रहे हैं। इस सबके बावजूद पाकिस्तान और खासकर पाकिस्तानी सेना को कभी भी इसके लिए जवाबदेह नहीं ठहराया गया। दरअसल वह पश्चिमी ताकतों की चापलूसी करके खुद को बचाता रहा है और चीन के समर्थन की आड़ लेता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबंध सुधारने के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद हाल के महीनों में पाकिस्तान ने भारत में आतंकवादी हमलों की नई लहर पैदा करने के लिए सोची-समझी रणनीति बनाई है। इसकी शुरुआत उसने जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने के लिए वहां सुनियोजित तरीके से आग भड़काने के साथ की है। इस बात के ढेरों सबूत हैं कि पाकिस्तान धन और दूसरे साजोसामान के साथ जम्मू-कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और इस प्रकार जम्मू-कश्मीर में हुई सभी मौतों का एकमात्र जिम्मेदार वही है। उड़ी हमले ने पाकिस्तान के इस लगातार अस्वीकार्य आचरण और व्यवहार के प्रति भारत के सब्र के चरम बिंदु को छू लिया। पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की जरूरत यह सच है कि पाकिस्तान आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। बता दें कि अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के बढ़ते दबाव के कारण पाकिस्तान ने हाल ही में जमात-उद-दावा के सरगना और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को 31 जनवरी को अपने देश में नजरबंद कर दिया है। चंद्रशेखर का कहना है कि मुझे लगता है कि हमें पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की जरूरत है ताकि उसे आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए रोक लगाई जा सके। पाकिस्तान अलग-अलग नामों से 1947, 1999 में भारत में आतंकी भेज हम पर हमले करता रहा है।Ó वह कहते हैं कि दुनिया में किसी भी देश या समूह को निर्दोष लोगों के खिलाफ आतंक फैलाने की छूट नहीं दी जा सकती है। आज स्थिति इतनी विकट है कि पाकिस्तान लगातार भारत के साथ युद्ध की स्थिति में है। उसने हमारे समाचार-माध्यमों यानी मीडिया में घुसपैठ कर ली है। हमारे प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों में पैठ बना ली है। हमारी नौकरशाही, हमारी संस्कृति, हमारा सिनेमा सब में उसकी किसी न किसी रूप में मौजूदगी है। सच तो यह है कि आज साम्यवाद हमारे यहां पाकिस्तान के मिथ्या प्रचार का दूसरे नाम जैसा हो गया है। पाकिस्तान ये सारी हरकतें करके हमारे देश की सिर्फ इस पीढ़ी को पंगु बनाना नहीं चाहता बल्कि भावी पीढ़ी भी उसके निशाने पर है। आज दिल्ली स्थित ख्यात जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र भारत की बर्बादी..Ó जैसे नारे लगाने में गर्व महसूस करते हैं। भारतीय संसद में हमारे ही ऐसे लोग हैं, जो किसी आतंकी के मारे जाने पर गला फाड़कर भारतीय सेना के खिलाफ चीख-पुकार मचाते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक होने पर वे भारतीय सेना की सच्चाई और निष्ठा पर सवाल उठाते हैं। जब कोई खतरनाक आतंकी फांसी पर चढ़ाया जाता है तो वे अपने फेफड़ों की पूरी ताकत लगाकर उसका विरोध करते हैं। ऐसे में अगर भारत पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करता है तो इसमें कोई हानि नहीं है। सामरिक संयम का गान कब तक भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के अलावा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया। इस दुखद अकर्मण्यता को लेकर केवल हायतौबा मचाई गई और हमारा एक पड़ोसी देश पाकिस्तान कितना बुरा है, इसकी शिकायत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की दौड़ लगाई गई। दरअसल संप्रग के शासनकाल के दौरान आतंकवाद के खिलाफ कुछ नहीं किया गया। इस निष्क्रिय चुप्पी को एक सुरक्षा सिद्धांत का नाम दिया है, जिसे सामरिक संयम कहा गया। यदि यह बहुत ज्यादा गंभीर और शर्मनाक नहीं था तब भी इसे एक मजाक से कम नहीं कहा जा सकता। हमारा पूरा सुरक्षा दृष्टिकोण इसी अकर्मण्यता के सिद्धांत के आसपास घूमता रहा और इसका परिणाम ये रहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ न सिर्फ आतंकवाद प्रायोजित करता रहा, बल्कि आतंकवादी हमले भी कराता रहा। हालांकि नरेंद्र मोदी द्वारा देश का नेतृत्व संभालने के साथ ही लोगों को लगा था कि कम से कम पाकिस्तान से तो आर-पार का निपटारा हो जाएगा। लेकिन मोदी ने पड़ोसी धर्म को तरजिह दी, लेकिन पाकिस्तान इसे भारत की कमजोरी मान बैठा। लेकिन उरी हमले के बाद लगा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के प्रति सामरिक संयम के विकल्प के दिन लद गए। पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और आर्थिक कदम तेजी से बढ़ाए गए और दुनिया में पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने के लिए जनमत तैयार होने लगे। पाकिस्तान शत्रु देश नहीं है बल्कि आतंकी देश है। युद्ध तो हमेशा सीमाओं पर लड़े जाते हैं लेकिन, पाकिस्तान और उसके आतंकी गुर्गों ने भारत में घुसपैठ करके विश्व इतिहास के जघन्यतम आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। यह सूची बहुत लंबी और बहुत कष्टदायक हो सकती है। किन्हीं देशों के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद को द्विपक्षीय वार्ताओं में विचार-विमर्श के द्वारा सुलझाया जाता है। बहुत ही बुरी हालत हो तो सीमा पर सैन्य कार्रवाई करनी पड़ सकती है। लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा समाधान के लिए पीठ में छूरा घोंपने और आतंकी करतूतें करने का रस्ता चुना है।
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