16-Feb-2017 07:17 AM
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मप्र देश का हृदय प्रदेश होने के कारण सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है, क्योंकि चारों तरफ से घिरे इस प्रदेश को देश और प्रदेश की सरकार सबसे सुरक्षित मानती है। सरकारों की इसी गलतफहमी का फायदा उठाकर सिमी, आतंकी, नक्सली और सटोरिए मप्र को अपना सेंटर बनाने की कोशिश करते रहते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इसी मंसा से मप्र के युवाओं को लॉटरी, हवाला और जासूसी के कॉकटेल से मदहोश करना शुरू कर दिया है। पैसे की चकाचौंध में युवा अनजाने में आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। ऐसे ही 19(11+8) युवाओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में प्रदेश की आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की टीम ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया है। इन 19 गिरफ्तार संदिग्धों में 7 ग्वालियर ( कुश पंडित, जितेन्द्र ठाकुर, रीतेश खुल्लर, जितेन्द्र सिंह यादव, त्रिलोक सिंह भदौरिया, प्रभात और मयंक), 5 भोपाल (ध्रुव सक्सेना, मनीष गांधी, मोहित अग्रवाल, आशिया और राजेश गौड़), 2 जबलपुर (संदीप गुप्ता, मनोज भारती), 3 सतना (बलराम, राजेश जायसवाल, राजीव) और इंदौर का 1 व्यक्ति (जादिल परवाज) शामिल है। भोपाल में एटीएस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यहां ये जासूस एमपी में एक-दो नहीं बल्कि 13 समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चला रहे थे। कॉल सेंटर की आड़ में इस पूरे काम को अंजाम दिया जा रहा था। इन 13 में से सबसे ज्यादा छह तो सिर्फ भोपाल में ही चल रहे थे। दो एमपी नगर, एक बीयू के सामने, एक अशोका गार्डन, एक मिनाल और एक साकेत नगर से चलाया जा रहा था। आरोपी कॉल सेंटर और इसके जरिए नौकरी और लॉटरी की आड़ में सूचनाओं का लेन-देन करते थे। इनके पास से पुलिस ने सेना से जुड़े नक्शे, फोटोग्राफ, फर्जी सिम काड्र्स, फर्जी बैंक एकाउंट, आईडी सहित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं। इसके साथ ही पुलिस ने फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का भी पर्दाफाश किया हैं, जहां से इन सारी गतिविधियों को संचालित किया जा रहा था। अब मामला उजागर होने के बाद युवाओं के होश उड़ गए हैं। दरअसल इन युवाओं में से अधिकांश यह नहीं जानते थे कि वह जो कर रहे हैं वह देशद्रोही गतिविधियां हैं।
लॉटरी, हवाला और जासूसी के इस नेटवर्क में युवाओं को लव, सेक्स और धोखा से जोड़ा जा रहा था। यह नेटवर्क इतने सुनियोजित तरीके से चल रहा था कि किसी को इसकी भनक भी नहीं थी। लेकिन इसका भंडाफोड़ उस समय हुआ जब नवंबर 2016 में जम्मू पुलिस ने थाना आरएस पुरा क्षेत्र से सतविंदर और दादू नाम के 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। वे दोनों सेना और सैन्य प्रतिष्ठानों की जानकारियां जुटा रहे थे। उन्होंने बताया था कि मध्य प्रदेश का रहने वाला बलराम उन्हें इस काम के पैसे देता है। इसके बाद जनवरी 2017 में उत्तर प्रदेश में 11 लोग अवैध टेलीकॉम सेंटर चलाते पकड़े गए थे। इन सभी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने संयुक्त रूप से अभियान चलाया। गिरफ्तार व्यक्तियों के पास से ढेर सारे उपकरण मिले हैं, जिसमें टेलीफोन एक्सचेंज, मोबाइल फोन, सैकड़ों सिम समेत कई अन्य सामान शामिल है। इन सभी पर हवाला के जरिए पैसा मंगाने और भेजने का भी आरोप है।
पाकिस्तानी एजेंसी के लिए खड़े किए गए जासूसी नेटवर्क में फंड का इंतजाम भारत से ही होता था। आईटी एक्सपर्ट साइबर फ्रॉड और लॉटरी का झांसा देकर आम लोगों के अकाउंट में सेंध लगाते और रुपयों का बंदोबस्त करते थे। अलग-अलग अकाउंट में ये पैसे ट्रांसफर करवाकर इसे दिल्ली स्थित दो बैंकों के खातों में ट्रांसफर करवाया जाता था। फिर इसी पैसे का इस्तेमाल देश में आईएसआई के नेटवर्क को बढ़ाने में किया जाता था। बॉर्डर पार से हवाला के जरिए से भी रकम पहुंचती थी। शुरुआती जांच में ऐसे 44 अकाउंट का पता चला है, जिसमें जालसाजी करके रकम मंगाई गई है। इस रकम को यहां से पाकिस्तान में बैठे आकाओं के अकाउंट में ट्रांसफर करने के सबूत मिले हैं।
बलराम है मास्टर माइंड
एटीएस ने जिन युवाओं को गिरफ्तार किया है उनमें सतना निवासी बलराम इस नेटवर्क का मास्टर माइंड है। दो महीने पहले सतविंदर और दादू से जम्मू पुलिस ने पूछताछ की थी, तभी आईबी ने एमपी पुलिस को बलराम के बारे जानकारी दे दी थी। बलराम बार-बार पाकिस्तान बात कर रहा था। खुफिया एजेंसियों ने उसकी कॉल की भी लगातार निगरानी की थी। जब यह साबित हो गया कि बलराम ने 100 से ज्यादा फर्जी अकाउंट खुलवा रखे हैं और बदल-बदलकर नंबरों से पाकिस्तान बात कर रहा है तो उसकी घेराबंदी कर ली गई। बलराम मददगारों को पैसा पहुंचाने के जनधन खातों का भी इस्तेमाल करता था। एटीएस की पूछताछ में इस काम में उसकी मदद करने वाले उसके दोस्त रज्जन उर्फ राजीव तिवारी को एटीएस जल्द हिरासत में लेगी। रज्जन गांजा तस्करी के मामले में मैहर जेल में बंद है। बलराम के साथ काम करने वाला रज्जन पैसे जमा करने के लिए ग्रामीणों के बैंक खाते खुलवाता था। बताया जा रहा है कि जनधन खातों में भी उसने कई ग्रामीणों के खाते खुलवाए और उनकी पासबुक और एटीएम खुद रख लिए। इसके बदले खाता धारकों को कुछ रुपए भी देता था। इन खातों में आने वाले पैसों को पाकिस्तानी हैंडलर्स के कहने पर ऑनलाइन या सीधे संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने की बात सामने आई है।
बलराम के कनेक्शन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से भी है। बताया जा रहा है कि यहां उसने 18 एकड़ की जमीन भी खरीद रखी है। जिसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। इसके अलावा अब तक हुई पूछताछ में बलराम ने उसके साथ शामिल कुछ लोगों का नाम बताया है जो कि रीवा में है। करीब 100 से ज्यादा खातों के जरिए आईएसआई एजेंट व हैंडलर्स के कहने पर जानकारियां भेजने वालों को पैसे भिजवाने व लॉटरी फ्रॉड के पैसों को जमा करने के लिए उनसे अपने परिचितों के नाम पर भी खाते खुलवाए थे।
तलासा जा रहा पठानकोट व उरी हमलों का कनेक्शन
मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले 19 लोगों से एटीएस ने सख्त पूछताछ शुरू कर दी है। एटीएस को शक है कि पठानकोट और उरी में इंडियन आर्मी के बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले के तार कहीं न कहीं इन जासूसों से जुड़े हुए हैं। पकड़े गए आरोपियों द्वारा मप्र में सैन्य ठिकानों की जानकारी देने की आशंका को खंगाल रही मप्र एटीएस ने अब देश में हुए इन दो बड़े हमलों के तार कहीं इस रैकेट से तो नहीं जुड़े है इसे लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। एटीएस इस दिशा में जांच पर जोर इसलिए भी दे रही है, क्योंकि पिछले तीन सालों में ही मप्र में आईएसआई ने अपना नेटवर्क जिस तेजी से बढ़ाया वह कई सवाल खड़े कर रहा है। आईएसआई का नेटवर्क मप्र में तीन शहरों में फैलाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि जबलपुर में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, ग्वालियर में वायुसेना के महाराजपुरा एयरबेस है तो भोपाल में थ्री ईएमई जैसे महत्वपूर्ण आर्मी यूनिट हैं। ऐसे में यहां की जानकारी देने को लेकर आशंकाएं हैं।
एटीएस का दावा है, जासूसी के लिए सर्वाधिक फोन इस्लामाबाद से आए थे। इस्लामाबाद में ही आईएसआई का मुख्यालय है। उधर, इंदौर में बहन के घर से सिमी गुर्गे जादिल परवाज को मुंबई एटीएस पकड़ कर ले गई है। एटीएस के हत्थे चढ़ा जादिल महाराष्ट्र के 7 शहरों में सिमी के गुर्गे तैयार कर इंदौर आया था। यहां भी वह इसी काम को अंजाम देने में लगा था। बहन के घर रहकर वह परिचित के ऑफिस से इस काम में लगा था। उन्हेल का रहने वाला जादिल 10वीं पास है और एम्ब्रॉयडरी का काम करता था। मां-पिता की मौत हो चुकी है। परिवार में भाई आमिल, कामिल, आजिल व दो बहने हैं। आमिल साबरमती जेल में है। आजिल पर एक केस दर्ज है। जादिल भी इसी दौरान तबरेज के संपर्क में आया था। उससे वह सोशल मीडिया व ईमेल के जरिए संपर्क में रहा। तबरेज व साथी अली को महाराष्ट्र पुलिस को देशद्रोह के मामले में तलाश है।
तीन साल से इंटेलिजेंस को हवा तक नहीं लगी
प्रदेश में आईएसआई एजेंट का नेटवर्क पिछले तीन साल से चल रहा था लेकिन मप्र की इंटेलिजेंस को इसकी भनक तक नहीं लगी। पिछले साल यदि जम्मू में सतविंदर एवं दादू नहीं पकड़े जाते तो शायद प्रदेश में फैल चुका आईएसआई एजेंट का यह नेटवर्क भी सामने नहीं आ पाता। हालांकि मप्र एटीएस द्वारा की गई पड़ताल के चलते तीन महीने के अंदर ही पूरे रैकेट का खुलासा व मुख्य सरगना को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इंटेलिजेंस क्यों फेल हो रही है। यह पहला मामला नहीं है बल्कि भोपाल में नक्सलियों द्वारा हथियारों की फैक्ट्री को संचालन, सिमी आतंकियों के पहले खंडवा जेल ब्रेक और फिर भोपाल जेल ब्रेक जैसी इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बनाने के दौरान भी इंटेलिजेंस को इसकी भनक तक नहीं लगी। वहीं खंडवा जेल से फरार होने के बाद भी सिमी आंतकी कई घटनाओं को अंजाम देते व प्लानिंग करते रहे। ओडिसा एटीएस ने उन्हें राऊलकेला से पकड़ा। प्रदेश के बाहर सिमी आतंकियों को पड़कने में पुलिस नाकाम रही। पिछले साल भी भोपाल से आईएसआई का एक एजेंट सक्रिय था जिसकी खबर इंटेलिजेंस को नहीं लगी और एनआईए की टीम ने उसे पकड़ा।
राजनीति भी गर्माई
एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी जासूसों के मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। दरअसल इनमें से दो जासूसों में एक ग्वालियर में भाजपा पार्षद का रिश्तेदार है, जबकि दूसरा भोपाल जिला भाजपा युवा मोर्चा का जिला संयोजक है। दोनों ही भाजपा से संबंध रखने वालों को पुलिस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी का काम करने के आरोप में देश द्रोह के मुकदमे के तहत गिरफ्तार किया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके लिए संघ और भाजपा पर सवाल उठाया है। वहीं एमपी सरकार पर कांग्रेस ने बड़ा हमला बोला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग की है कि इस मामले में भाजपा नेताओं के नाम सामने आए है। ऐेसे में इसकी जांच अब एटीएस से नहीं बल्कि सीबीआई से कराई जाए। उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि पकड़ाए युवाओं में से किसी का संबंध भाजपा से नहीं है।
आतंकियों के स्लीपिंग सेल का पनाहगार मध्यप्रदेश
क्या मध्यप्रदेश, आतंकियों के स्लीपिंग सेल पनाहगाह बनता जा रहा है? मध्य प्रदेश एटीएस द्वारा कॉल सेंटर की आड़ में मिलिट्री की सीक्रेट इन्फॉर्मेशन पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेजने वाले रैकेट का पर्दाफाश किए जाने व सिमी समेत अन्य आतंकी संगठनों की गतिविधियों को देखकर तो ऐसा ही लगता हैं। संगठनों से जुड़े लोग भले ही मध्य प्रदेश में वारदात को अंजाम न देते हों, लेकिन वे यहां से अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं या फिर आराम करने या फरारी काटने के लिए मध्य प्रदेश को महफूज जगह जरूर मानते हैं। वैसे आतंकवाद का मप्र से बराबर जुड़ाव रहा है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के विदिशा में रहने वाले मुनव्वर सलीम के पीए फरहत को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने फरवरी 2016 में भोपाल से आईएसआई के संदिग्ध एजेंट अजहर इकबाल को गिरफ्तार किया था। हाल ही में शेख मुनीर को भोपाल पुलिस ने पकड़ा है। सितंबर 2016 में लखनऊ एटीएस ने आईएसआई एजेंट जमालुद्दीन महज को गिरफ्तार किया था। जमालुद्दीन ने भोपाल की एक नामी होटल में एक साल काम किया था। वायुसेना के बर्खास्त अधिकारी रंजीत केके ने दिल्ली पुलिस के सामने ये बात कबूल की है कि उसने ग्वालियर के महाराजपुरा वायुसेना स्टेशन पर संचालित 10-टेट्रा ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दस माह की ट्रेनिंग ली थी। इस दौरान उसने एयरबेस की रेकी की थी। भोपाल पुलिस ने 1 जनवरी 2011 को शाहजहांनी पार्क तलैया से आतंकवादी शौकत अहमद हकीम और मेहराजउद्दीन शेरगुजरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। भोपाल प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्यों की शरणस्थली के रूप में खासा चर्चित हो चुका है। पुलिस ने अहमदाबाद बम धमाके के आरोपी इरफान करेली को जुलाई 2009 में भोपाल के करोंद इलाके से पकड़ा था।
राजधानी में पुलिस की नाक के नीचे गोविंदपुरा में नक्सली हथियारों की अवैध फैक्ट्री चला रहे थे। जिसे वर्ष 2007 में पकड़ा गया। 2005 में सिमी का प्रमुख इमरान भोपाल में पकड़ा गया था। पुलिस रिकार्ड के अनुसार दाऊद का शूटर बाबी और उसके साथी को भोपाल रेलवे स्टेशन के पास एक होटल से पकड़ा गया था। सिमी के सरगना सफदर नागौरी सहित 13 लोगों की इंदौर के निकट एक साथ गिरफ्तारी कर इनके पास से चौंकाने वाले दस्तावेज जब्त किए जा चुके हैं।
हाजी मस्तान का भोपाल आना जाना लगा रहता था। गुलशन कुमार के शूटर अनिल शर्मा उर्फ अब्दुल्ला की लाश अंग्रेजन के भोपाल स्थित बंगले में मिली थी। सीबीआई ने पुराने भोपाल से लश्कर-ए-तोयबा के सदस्य आसिफ को गिरफ्तार किया था। दिलावर खान को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का राइट हैंड बुधवारा में गिरफ्तार हुआ था। शहीद नगर में अन्ना हाफिज नामक आतंकी फर्जी बैंक चलाते हुए गिरफ्तार हुआ था। यही नहीं अबू सलेम, मोनिका बेदी, मुंबई के एक ईरानी का फर्जी पासपोर्ट भोपाल में बना था। भोपाल पुलिस ने 2004 में आईएएस एजेंट साजिद मुनीर को पकड़ा था। इसके अलावा 2003 में बंजारा होटल में अबु सलेम के दो शूटर पकड़ाए थे जो शिराज को मारने आए थे। गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 2003 के कथित जेहादी षड्यंत्र मामले में दो फरार आरोपियों शकील और रज्जाक को पिछले साल बुरहानपुर से गिरफ्तार किया था। 2002 में आकिब नामक आतंकी श्यामला हिल्स क्षेत्र में पनाह लिए हुए था। जब गुजरात पुलिस उसे उठा ले गई तब हमारी पुलिस को पता लगा। ये सारे मामले यह दर्शाते हैं कि मप्र आतंकियों के लिए पनाहगाह बन गया है। वे यहां छुपकर अपनी गतिविधियों का विस्तार करते हैं। हालांकि आईबी
की सतर्कता से आतंकियों को हर बार मुंह की खानी पड़ती है।
लॉटरी के नाम पर आते थे पैसे
सतना के बलराम के खाते में बाहर से पैसा आता था। हवाला और लॉटरी के नाम पर ठगी कर बलराम के अलग-अलग बैंक खातों में रुपए आते थे। इन पैसों को वह जम्मू भेजता था। जहां सतविंदर जासूसी में रुपए खर्च कर सेना की जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था। नवंबर 2016 में सतविंदर के पकड़े जाने के बाद बलराम का नाम सामने आया था। जानकारी के मुताबिक सभी एक समानांतर टेलिकॉम एक्सचेंज चला रहे थे, जो आईएसआई की मदद से उन्होंने तैयार किया था। इसमें वह जम्मू-कश्मीर में पदस्थ सेना के कर्मचारियों को वरिष्ठ अधिकारी बनकर फोन करते थे और उनसे ऑपरेशन, तैनाती और अन्य जानकारियां हासिल करते थे। एटीएस के अधिकारियों ने इनसे कई चाइनीज उपकरण और मोबाइल फोन, सिम बॉक्स, विभिन्न टेलिकॉम कंपनियों के प्री पेड सिम कार्ड, लैपटॉप और डाटा कार्ड बरामद किए हैं।
सरकार व टेलिकॉम कंपनियों को लगा करोड़ों का चूना
मप्र पुलिस ने न सिर्फ गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान में भेजने वालों की मदद करने वालों के रैकेट को उजागर किया बल्कि सरकार व टेलिकॉम कंपनियों को फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए लग रही करोड़ों की चपत का खेल भी सामने ला दिया। अब तक हुई पड़ताल में यह सामने आया कि पांच शहरों में यह एक्सचेंज 24 घंटे लगातार चल रहे थे जिससे सरकार व टेलिकॉम कंपनियों को हर दिन एक एक्सचेंज से 38 हजार 880 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा था। दो साल में यह राशि दो करोड़ 81 लाख रुपए से ज्यादा होती है। ऐसे 30 एक्सचेंज चल रहे थे जिसके हिसाब से ये राशि 84 करोड़ से ज्यादा होती है।
10 साल पहले भी पकड़ाया था टेलीफोन एक्सचेंज
राजधानी के कोहेफिजा इलाके में एक दशक पहले भी इसी तरह समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चलाते हुए एक गिरोह पकड़ाया था। इस गिरोह के भी तार पाकिस्तान से जुड़े थे। वह इसी तरह सेना की खुफिया जानकारी भेजता था। इसके बाद जबलपुर से दो जासूसों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। प्रदेश में आईएसआई के नेटवर्क के भंडाफोड़ के बाद निजी टेलीफोन एक्सचेंज का किन-किन शहरों में इस्तेमाल हो रहा है इसका पता स्पेशल वेपन्स एंड ट्रेकटिक्स (स्वात) टीम लगाएगी। मालूम हो कि प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ पिछले महीने डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला के निर्देश पर एसटीएफ के चुनिंदा ऑफिसरों को मिलाकर स्वात टीम गठित हुई है। डीजीपी ने स्वात टीम को इस तरह के समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के निर्देश दिए हैं। स्वात इस काम में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (डीओटी) की मदद लेगी। राजधानी के सायबर एक्पर्ट भी मानते हैं कि सिर्फ राजधानी के एमपी नगर में ही ऐसे दस अवैध एक्सचेंज चल रहे हैं। प्रदेश भर में इनकी संख्या सैकड़ों हो सकती है। पूरे नेटवर्क का खुलासा करने के बाद चारों शहरों में किन एक्सचेंज से कहां बात हुई, इसकी जानकारी जुटाने के लिए डीओटी के अधिकारियों को भी एटीएस ने बुलवा लिया है। यह टीम पाकिस्तान के अलावा अन्य देशों जहां से कॉल भारत में की गई या यहां से वहां ट्रांसफर की गई का पता लगाने में एटीएस की मदद करेंगे।
जासूसी के लिए बीओआईसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
आईएसआई के एजेंट जिस मशीन का उपयोग कर रहे थे, उसमें बीओआईसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था। इस टेक्नॉलॉजी के जरिए उन विदेशी कॉल्स को देश के सर्वर पर पहुंचने के पहले मशीन एडॉप्ट कर लेती थी, जो मशीन की मेमोरी में सेव हुआ करते थे। इंटरनेट के जरिए चलने वाली इस मशीन की हेंडलिंग भी आईएसआई एजेंट्स मोबाइल के जरिए कर लेते थे। ये मशीनें पाकिस्तान और चाइना से सीधे बलराम के पास आती थीं। इसके बाद बलराम इन्हें अपने स्लीपर सेल्स को सौंपता था। जिन विदेशी कॉल्स की दर 100 रुपए होती थी, यदि वही कॉल्स मशीन के जरिए देश में किए गए हों, तो कॉल करने वाले को महज 15 से 20 रुपए चार्ज होता था। इसमें किसी का भी डाटा सेव नहीं होता था। इसलिए विदेशों में बैठे हवाला व अन्य अवैध कारोबारी भी खुलकर इसका इस्तेमाल करते थे। एक अवैध एक्सचेंज मशीन में 32 सिमकार्ड लगते थे। सिमकार्ड फर्जी आईडी पर लिए जाते थे। जब भी कोई विदेशी देश में किसी को कॉल करता, तो मशीन में आने तक तो वह विदेशी नंबर रहता। इसके बाद वह सिमकार्ड में पहुंचता और लोकल नंबर बनकर उस मोबाइल तक पहुंचता, जिस पर कॉल किया गया था। मशीन की खासियत यह है कि इसमें आने और इससे जाने वाले कॉल न तो किसी खुफिया एजेंसी द्वारा ट्रैक किए जा सकते थे, न ही उनके कॉल रिकॉर्ड निकाले जा सकते थे।
आईएसआई का नया पैतरा हिंदू, लव, सेक्स और धोखा
भारत में अपना जाल बिछाने के लिए आईएसआई ने नया पैतरा चला है। आईएसआई के एजेंट अपने नेटवर्क में अब हिंदुओं को शामिल कर रहे हैं, ताकि किसी को जासूसी पर शक न हो। यही नहीं अपने नेटवर्क में अधिक से अधिक युवाओं को जोडऩे के लिए हसीनाओं को माध्यम बनाया जा रहा है। इसका खुलासा आशिया नामक युवती की गिरफ्तारी से हुआ है। बताया जा रहा है, वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करती है। रोजगार और अच्छे पैकेज का लालच देकर पढ़े-लिखे युवाओं को अपने जाल में फंसाना इसका मुख्य पेशा है। आशिया पहले तो फेसबुक पर लड़कों से दोस्ती बनाती है, फिर उन पर अपने हुस्न का जादू चलाकर उनसे ऐसी सूचनाएं एकत्रित करवाती है, जो देश की सुरक्षा के लिए घातक हैं। 24 वर्षीय आशिया ध्रुव सक्सेना के साथ रामपुर निवासी संदीप गुप्ता और मनोज भारती से भी फेसबुक पर जुड़ी थी। आशिया हर युवा की रोजगार की जरूरत वाली कमजोर नब्ज को भी पकड़ती थी। वह लालच देती थी, थोड़ा काम करके घर बैठे लाखों की कमाई की जा सकती है। रोजगार व अच्छे पैकेज के नाम पर वह पढ़े-लिखे युवाओं को अपने ग्रुप के अन्य सदस्यों से जोड़ देती थी। इनमें सभी सदस्यों की आईडी फर्जी रहती थी। आशिया के लोग छद्म नाम आशिया के बताए हुए नए युवकों से जुड़ जाते थे। इनमें लड़कियां भी होती थीं। इसके बाद आशिया का जासूसी का काला खेल शुरू हो जाता था। पुलिस अधिकारियों का मानना है आईएसआई से जुड़े मास्टर माइंड लोग यह समझ गए हैं कि वर्ग विशेष के युवाओं को अच्छे पैसों और पैकेज का लालच देकर, अपना काम आसानी से कराया जा सकता है। आशिया के साथ और भी लड़कियां इस काले कारनामे में शामिल हो सकती हैं। ये लड़कियां फेसबुक, वॉट्सएप व सोशल मीडिया के माध्यम से लड़कों को फंसाती थी। योजनाबद्ध तरीके से उन्हें गु्रप के अन्य सदस्यों से मिलवाया जाता था, जो उन्हें जासूसी के अंदाज सिखाते थे। पकड़ा गया फर्जी हाईटेक एक्सचेंज इस बात का प्रमाण है कि युवाओं को कई दिन की ट्रेनिंग के बाद खास तौर पर इसी काम के लिए तैयार किया जाता था।