03-Mar-2017 08:55 AM
1234769
प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल समाप्ति की ओर है। केंद्र में भाजपा पूरे बहुमत के साथ काबिज है। जाहिर है इस बार राष्ट्राध्यक्ष भाजपा की ही पसंद का होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं चाहता। खबर है कि खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा नेतृत्व को इस बाबत संघ की इच्छा से अवगत करा दिया है। सार्वजनिक जीवन में अपनी बेदाग छवि, बौद्धिकता और संघनिष्ठ वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारतीय गणराज्य का नया राष्ट्रपति देखना चाहता है।
जुलाई में देश को नया राष्ट्रपति मिलना तय है। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होने जा रहा है। हालांकि लंबे अर्से से चर्चा चल रही थी कि मुखर्जी एक कार्यकाल और चाहते हैं। एनडीए की मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति उनकी नरमी इस चर्चा को बल देती नजर आ रही थी। अब किंतु स्पष्ट हो चला है कि प्रणब मुखर्जी दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने जा रहे। केंद्र सरकार ने उन्हें उनकी मनपसंद का आवास नंबर 10, राजाजी मार्ग भी आवंटित कर दिया है।
उधर संघ ने जोशी का नाम राष्ट्रपति के लिए आगे बढ़ा दिया है। ज्ञातव्य है कि अस्सी में जनता सरकार के गिरने और इंदिरा गांधी की सत्ता वापसी के बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के तीन दिग्गज नेताओं में एक डॉ. जोशी थे। जब एक ही नारा भाजपा कार्यकर्ता की जुबान पर हुआ करता था भाजपा की तीन धरोहर, अटल- आडवाणी-मुरली मनोहर। डॉ. जोशी का पूरा जीवन भारतीय जनता पार्टी को स्थापित करने और संघ की नीतियों को मूर्त रूप देने में बीता। 1991-93 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते मुरली मनोहर जोशी ने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की एकता यात्रा निकाली। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रहते संघ की विचारधारा के अनुरूप डॉ. जोशी ने शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के भी प्रयास किए। इन प्रयासों का भारी विरोध भी उस दौरान देखने को मिला था। उनका जोर शिक्षा के भारतीयकरण राष्ट्रीयकरण और आध्यात्मिककरण पर रहा। जाहिर है अपनी नीतियों के प्रति पूरी तरह समर्पित कार्यकर्ता को ही संघ भारत के सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित करना चाहेगा। डॉ. मुरली मनोहर जोशी का नाम इसी निष्ठा के चलते संघ ने आगे बढ़ाया है। संघ के सूत्र बताते हैं कि संगठन के सभी शीर्ष पदाधिकारी इस विषय पर एकमत हैं। सरसंघचालक मोहन भागवत सह सरसंघचालक भैयाजी जोशी दत्तात्रेय होसबोले और कूष्ण गोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से इस विषय पर मंत्रणा शुरू कर दी है।
संघ उतरा समर्थन में
लुटियंस दिल्ली के गलियारों से लेकर नागपुर में संघ मुख्यालय तक इन दिनों नए राष्ट्रपति को लेकर जबरदस्त कयास बाजियों का दौर चालू है। आजादी के बाद पहली बार ऐसी संभावना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नीति और सिद्धांत को मानने वाला भारतीय गणराज्य का राष्ट्रपति बन सकता है क्योंकि संघ का शिशु संगठन इस समय केंद्र की सत्ता पर बहुमत के साथ कायम है। जाहिर है अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाना वाला संघ इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं चाहता। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी संघ के राष्ट्रपति पद के लिए पसंद बनकर उभरे हैं। संघ यह भी चाहता है कि उपराष्ट्रपति किसी दलित को बनाया जाए ताकि जातिगत समीकरण भाजपा के पक्ष में रहें। जिन तीन नामों पर संघ और भाजपा के बीच बातचीत चल रही है उनमें केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्यसभा सांसद नरेंद्र जाद्घव और लोकसभा सांसद उदितराज शामिल हैं। देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह तो भविष्य की कोख में छिपा है। इतना तय है कि यदि पांच राज्यों में हो रहे आमचुनाव में से दो या तीन राज्यों में भाजपा के पक्ष में नतीजे आते हैं तो एनडीए के लिए
अपने प्रत्याशी को राष्ट्रपति बनाने की राह आसान हो जाएगी।
-नवीन रघुवंशी