कलिखो पुल का 60 पन्नों का सुसाइड नोट
03-Mar-2017 08:45 AM 1234786
कलिखो पुल की आत्महत्या को एक हारे हुए नेता की आत्मगिलानी मानी जा रही थी। लेकिन पुल के 60 पन्नों के सुसाइड नोट ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इसमें देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के कई नेताओं के नाम हैं। उन्होंने कई मशहूर वकीलों और जजों के नाम भी लिखे हैं, जिनकी ओर से उनसे संपर्क किया गया था और फैसले बदलवा देने के बदले में मोटी रकम मांगी गई थी। उन्होंने दिन, तारीख और समय के साथ पूरा ब्योरा लिखा है। 60 पन्नों का नोट हिंदी में लिखा गया है और टाइप किए गए हर पन्ने पर पुल ने बाकायदा दस्तखत किए हैं। इसलिए इसे बनाया हुआ याकि फर्जी दस्तावेज भी करार नहीं दिया जा सकता है। यानी नोट जांच का पक्का आधार बनता है। कलिखो पुल के मुख्यमंत्री बनने की कहानी कम रोचक नहीं है। राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार नबम टुकी के नेतृत्व में चल रही थी, जिसमें वे मंत्री थे। उन्होंने टुकी सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी और कांग्रेस के 21 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे। बाद में राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगा और फिर राज्यपाल जेपी राजखोवा ने कलिखो पुल को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिलाई। टुकी और कांग्रेस ने इस मामले को अदालत में चुनौती दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पुल की सरकार को हटा कर टुकी सरकार बहाल करने का निर्देश दिया। हालांकि टुकी भी ज्यादा समय सीएम नहीं रह सके। कांग्रेस आलाकमान की पहल पर समझौता फार्मूला निकला और टुकी की जगह दिवंगत दोरजी खांडू के बेटे पेमा खांडू को सीएम चुना गया। पुल इस समझौते पर तैयार हो गए और उनके समर्थक भी कांग्रेस में लौट आए। लेकिन खांडू ने बाद में टुकी और पुल दोनों को किनारे कर दिया। इसके कुछ ही दिन बाद पुल ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। बाद में पेमा खांडू भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में चले गए और अब वे अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में यानी टुकी की सरकार हटने से लेकर पुल के बनने और हटने तक जो कुछ भी हुआ, पुल ने उसका पूरा ब्योरा अपने सुसाइड नोट में लिखा है। उन्होंने एक जगह लिखा है -और जज भी भ्रष्ट हैं, मेरा न्याय से भरोसा उठ गया है। पुल ने अपने नोट में लिखा है कि कैसे दोरजी खांडू ने गेगोंग अपांग की सत्ता पलट कर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की। पुल के नोट के मुताबिक खांडू जब ऊर्जा मंत्री बने थे, तब ही उन्होंने पनबिजली परियोजनाओं के लिए नदियों और दूसरे जलस्रोतों की नीलामी करके बड़ी रकम इक_ा की। पुल ने लिखा है कि खांडू ने तवांग, इटानगर, गुवाहाटी, दिल्ली, कोलकाता और कई जगहों पर बड़े घर बनवाए, होटल खरीदे और कारोबारी इमारतें खरीदीं और फार्म हाउस बनाए। पुल के मुताबिक खांडू ने 17 सौ करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई। खांडू की एक विमान दुर्घटना में 2011 में मृत्यु हो गई। राज्य में हुए राजनीतिक संकट के बारे में पुल ने लिखा है कि उन्होंने संवैधानिक तरीके से शपथ ली थी और विधानसभा में बहुमत साबित किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने टुकी की सरकार बहाल करवा दी। पुल का दावा है कि इस मामले में फैसला उनके पक्ष में करने के लिए उनसे 86 करोड़ रुपए मांगे गए थे। ये रुपए उनसे 49 और 37 करोड़ रुपए की किश्त में मांगे गए थे। बड़ा खुलासा एक बड़ा खुलासा करते हुए पुल ने लिखा है कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद नबम टुकी और पेमा खांडू दोनों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ा। पुल के मुताबिक इस मुकदमे पर 90 करोड़ रुपए खर्च हुए, जो खर्च टुकी और खांडू ने मिलकर उठाया। कहने की जरूरत नहीं है कि फैसला पुल के खिलाफ गया। एंट्री नंबर 9.8 में पुल ने लिखा है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान उनसे संपर्क किया गया और उनके पक्ष में फैसला देने के लिए 86 करोड़ रुपए की मांग की गई थी। लेकिन उनका दावा है कि उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2005 के बाद से राज्य में हुए घोटालों और भ्रष्टाचार का विस्तार से ब्योरा पेश किया है। पनबिजली और पीडीएस घोटाले का उन्होंने खास तौर से जिक्र किया है। इसमें उन्होंने गेगोंग अपांग, दोरजी खांडू और नबम टुकी व पेमा खांडू चारों के बारे में लिखा है। पुल ने लिखा है कि वित्त मंत्री के नाते उन्होंने पीडीएस में गड़बड़ी वाले भुगतान को रोक रखा था, लेकिन खांडू ने उनको वित्त मंत्री से हटाकर पैसे का भुगतान कराया। पुल ने लिखा है कि पहली बार ऐसा देखा कि पीडीएस इनवॉयस की फोटो कॉपी पर करीब छह सौ करोड़ रुपए रिलीज किए गए। पुल ने अपने नोट में लिखा है कि टुकी ने कैसे अथाह संपत्ति इक_ा की। -इन्द्र कुमार
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