16-Feb-2017 08:46 AM
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यह अटकलें जोरों पर हैं कि अमरीका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने प्रचण्ड चुनावी अभियान के दौरान जो वादे किए थे, वे उन वादों को हकीकत में कैसे बदलेंगे। कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि ट्रम्प प्रशासन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से किस तरह निपटेगा। वह धीरे-धीरे और दृढ़तापूर्वक अपने पत्ते खोलते जा रहे हैं।
ट्रम्प को लेकर यह कहने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने गूढ़ सवालों की पहेली को छुपाकर या किसी आवरण में लपेटकर रखा है। उन्होंने एक झटके में अपनी नीतियों के रोडमैप का आभास दे दिया है। पद संभालने के तुरन्त बाद ही उन्होंने संवेदनशील मुद्दों पर 10 एक्जीक्यूटिव ऑडर्स जारी कर दिए। इन आदेशों में अप्रवास नीति, सीमा पर दीवार बनाना, स्वास्थ्य सुविधाएं और व्यापार की नीतियां शामिल हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर सात मुस्लिम बहुल देश, जिसमें पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देश हैं, से अमरीका आने वाले शरणार्थियों और अप्रवासियों पर अस्थाई रोक लगा दी है। उनके इस आदेश से अमरीका के हवाईअड्डों पर अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई। अस्पष्ट आदेशों के चलते हवाईअड्डे के अधिकारियों ने पर्यटकों का भी प्रवेश रोक दिया। एक्जीक्यूटिव ऑर्डर में अधिकांश मुस्लिम देशों से आने वाले रिफ्यूजियों पर भी शिकंजा कसा गया है। ट्रम्प ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों का नाम लेकर कहा है कि इन देशों से अमरीका आने वाले नागरिकों को वीजा जारी करने में कठोर मानक अपनाए जाएंगे। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि ये देश अपने इलाके से आतंकियों का नेटवर्क चला रहे हैं या आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहे हैं। उनके इस कार्यकारी आदेश की अमरीकी जनता, उद्योग और अदालतों में कड़ी आलोचना हुई है। हॉलीवुड, अकादमिक क्षेत्र और आईटी की बड़ी कम्पनियां जैसे गूगल, फेसबुक कर माइक्रोसॉफ्ट सभा ने इस कार्यकारी आदेश की कड़ी आलोचना की है। नई अप्रवासी नीति और और मुस्लिमों के प्रवेश को कड़ा करने के खिलाफ सड़कों पर व्यापक प्रदर्शन भी हुए हैं। कई संघीय अदालतों ने कार्यकारी आदेशों के प्रावधानों, जिसमें वैध वीजा रखने वालों ग्रीनकार्ड धारकों और पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है, पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस स्थिति से हवाईअड्डों पर संदेह, तकलीफ, उथल-पुथल और अराजकता का माहौल उत्पन्न हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस आदेश की व्यापक प्रतिक्रिया हुई है। हालांकि, यूरोप के देशों और आस्ट्रेलिया के कई दक्षिणपंथी समूहों ने ट्रम्प के इस कदम को अपना समर्थन दिया है। इन देशों ने मांग की है कि उनके देश में आने की कोशिश करने वाले मुसलमानों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएं। पद संभालने के तुरन्त बाद ट्रम्प ने जो कार्यकारी आदेश जारी किए है, वह उनके 100 दिन के विजन को परिलक्षित करते हैं जो उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में जारी किए थे कि वे अपने कार्यकाल के पहले सौ दिनों में क्या करेंगे। अब तक उन्होंने जिन कार्यकारी आदेशों पर अपने दस्तखत किए हैं, उसमें मैकिस्को सीमा पर दीवार बनाना शामिल है ताकि मैकिस्को के रास्ते से अवैध प्रवासी उनके देश में न आ सकें। दीवार बनाने के वादे को अपने चुनाव अभियान में वह बार-बार दोहराते रहे हैं। इन आदेशों में कर्मचारियों की और ज्यादा सीधी भर्ती करना शामिल है। इस आदेश से और ज्यादा सरकारी नौकरियां पैदा होंगी।
आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर भी ट्रम्प ने नियामकों पर पुनर्विचार करने के आदेश जारी किए है। इसमें सैन्य और जनसुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़कर मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस, पाइप लाइनों में अमरीका निर्मित स्टील का उपयोग, ढांचागत परियोजनाओं (गैस और ऑयल पाइप लाइन समेत) पर पुनर्विचार की बात कही गई है। अन्य घरेलू मुद्दों में गर्भपात के लिए सरकारी फंडिंग, ओबामा के हेल्थकेयर प्रोग्राम को वापस लेना आदि शामिल है। ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) यानी सामरिक भागीदारी से जुड़ा समझौता भी अस्वीकार कर दिया गया है और अमरीका ने सभी संधियों से अपने हाथ खींच लिए है। अमरीका अब किसी भी नई संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। बताते चलें कि टीपीपी एक मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें 12 देश ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर, अमरीका और वियतनाम शामिल हैं। व्यापार मुद्दों और मैकिस्को पर दीवार बनाने के मुद्दे पर आग भड़क उठी है।
सवाल यह है कि क्या यह उथलपुथल सोची-समझी चाल है? क्या ट्रम्प जानबूझकर विचार कर के यह अराजकता, गड़बड़ी और तकलीफें पैदा कर रहे हैं ताकि उनका प्रशासन व्यापार और अप्रवास मुद्दों पर नई संधियां कर सके? कई लोगों का मानना है कि यह उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
भारत पर असर
ट्रम्प की नीतियों से रीजनल कम्प्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप जिसमें एशिया प्रशान्त क्षेत्र के 16 देश को बढ़ावा मिलेगा। भारत और चीन टीपीपी में नहीं हैं और अमरीका रीजनल कम्प्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप से अलग हो गया है। भारत को सेवा क्षेत्र में बेहतर लाभ मिल सकता है और वह इसकी आस में भी है। हालांकि, भारत ट्रम्प के राडार स्क्रीन पर नहीं है। जहां तक सेवा क्षेत्र में विपरीत व्यापार असंतुलन का सवाल है तो भारत आईटी और बीपीओ क्षेत्र में सीधे निशाने पर रहेगा। पिछले दशक में अमरीका-भारत सम्बंध चढ़ाव पर रहे हैं। भारत की रक्षा जरूरतें तेजी से बढ़ती जा रही हैं।
-अक्स ब्यूरो