16-Feb-2017 07:56 AM
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पाकिस्तान पर अमेरिका के यात्रा प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है। व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रीन्स प्रीएबस ने इसके साफ संकेत दिए हैं कि यात्रा प्रतिबंध झेलने वाले 7 देशों में से एक पाकिस्तान भी हो सकता है। उधर यूनाईटेड नेशन्स द्वारा नामित आतंकवादियों और आतंकी समूहों को बैन करने की फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की डेडलाइन भी नजदीक आ गई है। इन सभी के कारण पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को नजरबंद करने की घोषणा कर दी है।
लेकिन असलियत में पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे के लिए सीरियस नहीं दिख रहा है। और भारत केन्द्रित आतंकवाद को खत्म करने की बात तो दूर की है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने जो हाफिज सईद को नजरबंद करने का ढोंग रचा उसके पर्दे के पीछे की असलियत कुछ और ही है। नजरबंदी का पाट खेलने के पहले सईद ने एक नया आतंकवादी संगठन बना लिया। नाम है- तहरीक-ए-आजादी कश्मीर! उधर पाकिस्तान सरकार जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को बंद करने का स्वांग रच रही थी, इधर सईद इन संस्थाओं के अकांउट से फंड निकालने में बिजी था।
हाफिज सईद के साथ चार और लोग नजरबंद किए गए हैं- लश्कर-ए-तैयबा का को-फाउंडर प्रो. जफर इकबाल, जमात-उत-दावा का मुफ्ती अब्दुर रहमान अबिद, शुदा-ए-वुरसा (जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों के संगठन) का इंचार्ज अब्दुल्लाह उबैद और आतंकी ग्रुप के माउथपीस का एडीटर काजी काशिफ नियाज। सईद को 90 दिनों के लिए नजरबंद किया गया है। ये हैरान करने वाली बात है। 9 साल पहले 26/11 के मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान ने हाफिज सईद को नजरबंद किया था। पर उसके नजरबंदी के आदेश में कोई क्लीयरिटी नहीं थी। ना ही उसके खिलाफ लगे चार्जेज साफ तौर पर बताए गए थे। हाफिज सईद के डिटेन्शन ऑर्डर में कहा गया है हाफिज सईद को पाकिस्तान के एन्टी-टेरर एक्ट के सेक्शन 11 ईईई के तहत 90 दिनों के लिए नजरबंद किया गया है। हाफिज सईद के जोहर टाउन, लाहौर स्थित घर को जेल में तब्दील कर दिया गया है।
हालांकि हाफिज सईद को मुंबई हमलों के बाद भी नजरबंद किया गया था पर उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। जबकि मुंबई हमलों के बाद भारत ने हाफिज के खिलाफ पाक को सबूत भी सौंपे थे और मुंबई में पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने उसका नाम लिया था। साथ ही कराची के कंट्रोल रुम में पकड़े गए अबु जंदाल ने भी सईद का नाम लिया था। लेकिन अब पाकिस्तान खुद को एक साफ-सुथरा देश बताना चाहता है तो उसे 31 जनवरी के पहले हाफिज सईद और प्रतिबंधित संस्थाओं पर नकेल कसने की कार्रवाई का
ढकोसला करना पड़ा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी सीधे-सपाट शब्दों में कह दिया है कि आतंकी संगठनों को पनाह देने वाले देशों से उनका कोई संबंध नहीं रहेगा। हालांकि ये और बात है कि ट्रंप को भी इस बात का अच्छे से पता है कि आतंकी संस्थाओं के तार कहां तक फैले हैं।
अमेरिकी रुख से पाकिस्तान में खलबली
पाकिस्तान का संभ्रांत वर्ग अमेरिका के बैन लिस्ट में आने की खबर से खासा परेशान था। इस कारण से ही पाक सरकार को हाफिद सईद पर कार्रवाई करनी पड़ी। इसके पहले जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान सरकार कहीं दिक्कत में आई है तो भारत से ही मदद की गुहार लगाई है। और भारत सरकार ने कई मौकों पर इनकी मदद भी की है। चाहे वो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या मनमोहन सिंह की। वाजपेयी ने कारगिल युद्ध के कर्ताधर्ता परवेज मुशरर्फ को आगरा बुलाकर और मनमोहन सिंह ने शर्म-अल-शेख में ब्लुचिस्तान का रेफरेन्स देकर पाक को बचाया। लेकिन इस बार भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। साथ ही पठानकोट हमले के मास्टर माइंड मौलान मसूद अजहर को भी सजा दिलाने की कोशिश करेगी। चीन ने पाकिस्तान के आतंकवाद को बहुत सपोर्ट किया है। पर अब मामला इनके हाथ से निकलने वाला है।
-माया राठी