बजट की बाजीगिरी और हंगामा
16-Feb-2017 07:47 AM 1234766
मप्र विधानसभा का बजट सत्र 21 फरवरी से शुरू होकर 31 मार्च तक चलेगा। 39 दिनों के विधानसभा के बजट सत्र में कुल 22 बैठकें होंगी। नोटबंदी के प्रभावों के बीच लोकलुभावन बजट पेश करना सरकर के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। ऐसे में इस सत्र में वित्त मंत्री जयंत मलैया की बाजीगिरी और विपक्ष के आक्रामक रुख के कारण हंगामा देखने लायक होगा। कांग्रेस ने बजट सत्र के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव पर लाठीचार्ज और बाला बच्चन से बदसलूकी को लेकर 22 फरवरी को विधानसभा घेराव की घोषणा की है। नोटबंदी के बाद आने वाले पहले बजट को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। लेकिन वित्त मंत्री जयंत मलैया अधिकारियों के साथ लगातार मैराथन बैठकें करके पूरी मशक्कत कर रहे हैं कि प्रदेश का बजट आम जनता की भावनाओं के अनुरूप हो और किसी भी प्रकार का बोझ आमजन पर न पड़े। प्रदेश के बजट में नगरीय विकास, सड़क, ग्रामीण विकास, बिजली और शिक्षा पर विशेष फोकस रह सकता है। लगातार कर्ज में चल रहे प्रदेश में लोक लुभावन बजट पेश करना किसी बाजीगिरी से कम नहीं है। वित्त मंत्री के रूप में जयंत मलैया ने लगातार एक के बाद एक बेहतर बजट पेश किए और इस बार नोटबंदी के बाद यही माना जा रहा था कि सरकार की आय घट जाएगी। लेकिन स्टाम्प ड्यूटी और आबकारी विभाग को छोड़कर बाकी किसी भी विभाग की आय में अब तक कमी सामने नहीं आई है। पूरी कोशिश की जा रही है कि किसी भी प्रकार के घाटे को कहीं और से पूरा किया जा सके। बहरहाल कैबिनेट में बजट को मंजूरी मिलने के बाद वित्त मंत्री जयंत मलैया अधिकारियों के साथ बजट को लोक लुभावन बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं जिसमें 2017-18 के लिए प्रदेश सरकार 169 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट विधानसभा में पेश करने जा रही है। इसमें पंचायत ग्रामीण विकास और नगरीय विकास, बिजली और शिक्षा पर विशेष फोकस रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 19 हजार करोड़, नगरीय विकास के लिए 14 हजार करोड़ रखे जाने का प्रस्ताव है। केंद्र का बजट आने की वजह से केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि भी बजट में शामिल होगी। वहीं स्कूल शिक्षा के लिए 23 हजार करोड़, बिजली के लिए 20 हजार करोड़ और सिंचाई परियोजनाओं के लिए 9 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है। बजट में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं को पूरा करने का विशेष प्रावधान रखा जा रहा है। कुल मिलाकर मिशन 2018 के मोड पर आ चुकी सरकार के लिए लोक लुभावन बजट देने की कोशिश की जा रही है जिसके लिए वित्त मंत्री जयंत मलैया की टीम लगातार मशक्कत कर रही है। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव पर भोपाल में हुए लाठीचार्ज और बड़वानी में प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन के साथ मंच पर हुई घटना को भी पार्टी जनता के बीच ले जा रही है। कांग्रेस इन दोनों मामलों को लेकर अपनी ताकत दिखाने के लिए बड़ा शो करने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस ने तय किया है कि वह 22 फरवरी को विधानसभा का घेराव करेगी। कांग्रेस का प्रयास है कि इस प्रदर्शन में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी और दिग्विजय सिंह शामिल हो। अब देखना यह है कि विधानसभा का बजट सत्र क्या गुल खिलाता है। वर्षों से लंबित सभी आश्वासनों का होगात्वरित निराकरण विधानसभा की कोशिश है कि वह वर्षों से लंबित आश्वासनों का त्वरित निराकरण करें। विधानसभा आश्वासनों को लेकर जीरो पेंडेसी किए जाने का उद्देश्य है। विधानसभा में करीब 6 हजार आश्वासन लंबित थे जिनमें से अब 1,004 आश्वासन लंबित हैं। लंबित आश्वासनों का त्वरित निराकरण किया जाना है। साथ ही विगत सत्रों के कुल 569 प्रश्न लंबित हैं। जिनका जवाब बजट सत्र के पहले दिन दिया जाना है। साथ ही विभिन्न विभागों की 423 सिफारिशें लंबित हैं जिनका जल्दी से निराकरण करने का निर्देश दिया गया है। बताया जाता है कि विधानसभा में सरकार द्वारा जो भी आश्वासन दिया जाता है उसको लेकर विभागीय अधिकारी लापरवाही बरतते हैं। इस कारण आश्वासनों की पेंडेसी लगातार बढ़ती जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा ने बताया कि सरकार को कहा गया है कि वह आश्वासनों की पेंडेसी खत्म करे। -भोपाल से रजनीकांत पारे
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