16-Feb-2017 07:37 AM
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प्रधानमंत्री मोदी जी आप जब भी भाइयों-बहनों कहकर भाषण देते हैं तो हमें गर्व महसूस होता है। हमें लगता है कि आप जल्द ही हमारे अच्छे दिन ला दोगे। लेकिन इस बार के बजट में भी सरकार आप तो हमें भूल ही गए। लगता है कि आपके कान तक हम महिलाओं की आवाज पहुंचने में अभी और समय लगेगा। जैसे ही बजट भाषण पूरा हुआ, हम महिलाओं ने गूगल पर अपनी मांगों और आवश्यकताओं के बारे में सर्च किया, लेकिन कहीं कुछ नजर नहीं आया। हमें उम्मीद थी की आपके और आपकी सरकार के लिए हमारा अस्तित्व है। पर नहीं आपने भी हमें निराश किया। बल्कि अब तो आपने हमारा भरोसा खो दिया है। मोदी जी अगर आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली विजय माल्या और ललित मोदी जैसे लोगों के लिए पूरा एक कानून ही बना सकते हैं तो क्या हम महिलाओं के लिए कानून में बदलाव या अमेंडमेंट नहीं कर सकते थे! तो क्या महिलाओं के मुद्दों पर आपकी चुप्पी से हम यह मान लें कि देश में हमें डर के साए में ही जीना होगा। हर वक्त हम असुरक्षित महसूस करते रहें! हमें वस्तु से उपर कुछ ना समझा जाए और मुद्रा योजना और सबका साथ सबका विकास जैसी योजनाओं की घोषणाएं सुनकर ही खुश हो जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बजट आंवटन में 100 फीसदी बढ़ोतरी हुई। इस योजना के तहत दलितों, आदिवासियों, पिछड़ा वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं को पैसे दिए जाएंगे। इस लिस्ट में महिलाओं का नंबर सबसे अंत में आएगा। ये आपको और मुझे सभी को पता है। आखिर हम औरतों का इतिहास रहा है कि घर के सारे लोगों को खाना खिलाने के बाद आखिरी निवाला ही हमारे नाम होगा। स्कूल में हमारा नाम भी तभी लिखा जाएगा जब हमारे भाईयों का एडमिशन हो चुका होगा।
मोदी जी हमें लगा था कि आपने इस सोच को बदल दिया है। लेकिन हम गलत थी। कुछ नहीं बदला। ना समाज ना इस समाज में हमारी स्थिति। मनरेगा में आपने औरतों की संख्या 48 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत कर दी। ये एक साहसिक काम था। इसकी मैं तारीफ करती हूं। लेकिन फिर भी हमारे समाज की सच्चाई वो है जो केरल में देखने के लिए मिला। 2016 में केरल सरकार ने कुदुम्स्री योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्राइवेट बसों में कंडक्टर की नौकरी दिलाई थी। क्या हुआ उस योजना का ये तो आपसे छुपा नहीं होगा ना मोदी जी? 90 में से 89 औरतों ने छह महीने के भीतर ही नौकरी छोड़ दी। कारण पता है आपको? अगर नहीं, तो मैं बता देती हूं। पुरुषों के मुकाबले उन्हें आधी से भी कम सैलेरी दी जा रही थी, 12 घंटे लगातार काम करना होता था और महिलाओं के आधारभूत सुविधाएं भी नहीं थी। इसलिए ये कह सकते हैं कि बिना बेसिक सुविधाओं के किसी को कुछ देना वैसे ही है जैसे किसी प्यासे को पानी के जगह आप जहर दे रहे हैं। जैसे अमीर और गरीब की खाई को पाटना जरूरी है वैसे ही कार्य क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या के बीच की खाई को कम करना भी बहुत जरूरी है। महिला व्यापारियों को कुछ एक्स्ट्रा छूट देनी चाहिए थी। खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म में काम करने वाली महिलाओं के लिए। आखिर हम डिजिटल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे हैं। काम करने वाली महिलाओं के लिए घर और ऑफिस को एक साथ मैनेज करना एक युद्ध के समान है। और अगर बच्चे हों तो फिर उनकी ये लड़ाई और पेचीदा हो जाती है। सरकार को ऑफिसों में क्रेच की सुविधा देने के लिए कुछ उपाय लाने चाहिए थे। उनका ये कदम हमारे लिए वरदान से कम नहीं होता।
प्रधानमंत्री जी आपकी सरकार ने तो महिलाओं की बुनियादी सुरक्षा के लिए भी कोई उपाय नहीं किया। ना सीसीटीवी कैमरा, महिला पुलिस, महिलाओं के लिए स्पेशल कैब आदि ऐसी कई चीजें थी जिनका उल्लेख कम से कम होना चाहिए था। मोदी जी, जो एक इकलौती उपलब्धि आपके इस बजट में मुझे दिखी वो थी- पिछली बार बजट में जेटली जी ने पूरे बजट भाषण में 8 बार महिला शब्द का प्रयोग किया था जबकि इस बार 16 बार!
महिलाओं को क्या मिला
अपने बजट में आपने गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपए देने की घोषणा की है। ये तो आप पहले कर चुके थे, इसमें नया क्या था? आपने वर्किंग महिलाओं का कुछ सोचा? उनके प्रेग्नेंट होने के बाद कोई सुविधा देने का ध्यान आया आपको? और कुछ नहीं तो 6 महीने की पेड लीव ही दे देते। अगर इस सेक्टर में आप कुछ फंड देते तो कितना अच्छा होता। हमारे देश में महिलाएं को हर कदम पर संघर्ष ही करना होता है चाहे करियर हो या घर। आज के बजट ने मुझ जैसी महिलाओं को बहुत उदास किया है। मैंने आपसे बड़ी उम्मीदें लगा ली थी। आपने मेरी उम्मीदों पर घड़ो पानी फेर दिया है। हम औरतों के लिए इस देश में कोई जगह ही नहीं। हम सिर्फ वस्तु होते हैं, माल या फिर टोटा। एक इंसान तो हैं ही नहीं। क्या हमारे लिए टैक्स स्लैब में कुछ फायदे नहीं देने चाहिए थे? आपने लेबर लॉ तो बना दिया और ये एक अच्छा आइडिया भी है। लेकिन पुलिस, बस ड्राइवर, कैब ड्राइवर, कंडक्टर ऐसे कामों के लिए महिलाओं को ट्रेन करने और उनके लिए फंड जारी करने के बारे में क्यों नहीं सोचा आपने? इन जगहों पर महिलाओं के लिए काम करना चुनौतियों से भरा होता है। और जब तक हम इन्हें सुरक्षा नहीं देंगे सफलता नहीं मिल सकती।
-ज्योत्सना अनूप यादव