16-Feb-2017 07:04 AM
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संघ यह भलिभांति जानता है कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण देश के अन्य राज्यों में आसानी से भाजपा का विस्तार किया जा सकता है। इसलिए संघ हमेशा मप्र पर नजर रखे हुए है। पिछले साल प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनता देख संघ ने सरकार और संगठन दोनों को चेताया था। लेकिन उसके बाद से संघ के स्वयंसेवकों को और नौकरशाहों के बीच अनहोनी घटनाएं घटित हुई। इन घटनाओं से संघ में चिंता बढ़ गई है। इसकी वजह से संघ के अलावा भाजपा संगठन में भी चिंता देखी जा सकती है। इन घटनाओं को संघ अपने चाल, चेहरे एवं चरित्र के लिहाज से उचित नहीं मानता है। इस तरह की घटनाओं के कारण कई बार बीते साल राज्य सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। लिहाजा संघ के नेता ऐसे मामलों को लेकर अपने ही स्वयंसेवकों व राज्य सरकार से खफा है।
इसी सिलसिले में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विभिन्न आयोजनों के माध्यम से जहां सरकार और भाजपा संगठन के प्रति स्वयंसेवकों से फीडबैक लिया वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस संदर्भ में चर्चा भी की। भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो इसके लिए संघ के आला पदाधिकारियों और सरकार के बीच खुलकर बात भी हुई। गौरतलब है कि बालाघाट के एक संगठन मंत्री के साथ पुलिस का विवाद सबसे ज्यादा चर्चित रहा है। जिसमें उनके साथ पुलिस ने घर में घुसकर जमकर मारपीट की थी। यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि उसके बाद धार, झाबुआ तथा छिंदवाड़ा जिलों में भी स्वयंसेवकों और स्थानीय प्रशासन के आला अफसरों के बीच खुलकर टकराहट की घटनाएं हुई थीं। हालांकि इसके बाद अफसरों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी।
संघ के नेता नौकरशाही पर लगाम तो चाहते हैं पर यह नहीं चाहते कि संघ बनाम नौकरशाही जैसा कोई माहौल प्रदेश में न बने इसलिए सबसे पहले अपने स्वयंसेवकों को नसीहत देने की योजना पर काम हो रहा है। संघ के प्रमुख नेता लगभग हर अनुषांगिक संगठन के कार्यक्रम में जा रहे हैं और बता रहे हंै कि उन्हें क्या करना है। उनका कर्तव्य क्या है और उनकी किन हरकतों के कारण संघ के चाल, चरित्र और चेहरे पर बट्टा लग रहा है। प्रदेश में कई अनुषांगिक संगठनों के कार्यक्रमों तथा उनमें संघ के प्रमुख नेताओं के हिस्सा लेने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
उधर संघ और संगठन की मंशा के विपरीत काम करने वाले भाजपा के कुछ संभागीय संगठन मंत्री इन दिनों निशाने पर हैं। पार्टी इनकी कभी भी छुट्टी कर सकती है। यह वे संगठन मंत्री हैं जिनकी कार्यप्रणली को लेकर आए दिन शिकायतें मिल रही हैं। दरअसल संगठन की जगह इन पदाधिकारियों द्वारा प्रशासनिक कामों में रुचि लेने के कारण इनसे मंत्रियों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। इनमें से अधिकांश वे संभागीय संगठन मंत्री हैं जिन्हें जिन्हें पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन ने तैनात किया था। इन संगठन मंत्रियों से औबेदुल्लागंज स्थित रातापानी अभ्यारण्य के गेस्ट हाउस में हुई बैठक में जवाब मांगा गया ।
बदल रहा है संघ, अब कट्टरता नहीं एकता की बात
आरएसएस के स्टैंड में अब परिवर्तन आ रहा है। इस बात का अंदाजा मध्य प्रदेश दौरे पर आए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों से लगाया जा सकता है। अब वह सर्वधर्म समभाव की बात कर रहे हैं। होशंगाबाद के बनखेड़ी के पास गोविंदनगर में भाऊसाहब भुस्कुटे ट्रस्ट के रजत जयंती समारोह में आए मोहन भागवत ने दुनिया में बढ़ रही कट्टरता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर आईएसआईएस जैसे संगठनों को रोकने की कोशिश की जाती है तो कट्टरता और बढ़ती है। दुनिया भर में खून खराबा बढ़ रहा है और किसी के पास इसका कोई इलाज नहीं है। भागवत ने कहा कि इस समय दुनिया के सामने तीन अहम समस्याएं हैं। पहली समस्या कट्टरता, दूसरी बिगड़ता पर्यावरण और तीसरी समस्या विज्ञान की बेलगाम प्रगति है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। आरएसएस प्रमुख ने अपने आठ दिनों के मध्य प्रदेश के दौरे में सामाजिक आयोजनों में शामिल होकर यह संकेत भी दिया कि संघ समाज की एक कड़ी है। इसी तरह बैतूल में भागवत ने भारत में रह रहे सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा था कि हम भले ही किसी धर्म का पालन करते हों लेकिन हमारी राष्ट्रीयता हिन्दू है। बिना किसी धर्म या जाति का नाम लिए बिना भागवत ने कहा, भारत का स्वभाव कट्टरता का नहीं है। हमारे संतों ने मिलजुल कर रहने को कहा है। संत चाहे किसी भी धर्म के हों उन्होंने यही संदेश दिया है कि सारे मतभेद भुला कर एकता की ओर बढऩा है।
-नवीन रघुवंशी