16-Feb-2017 06:45 AM
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मप्र के अमरकंटक पहाड़ी से निकली सोन नदी उत्तर प्रदेश, झारखंड की पहाडिय़ों से गुजरते हुए वैशाली जिले के सोनपुर में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। 784 किमी लंबी इस नदी में जितना अवैध खनन मप्र में होता है उतना और किसी राज्य में नहीं। सुनहरे पानी और सुनहरे रेत वाली सोन नदी के मप्र के हिस्से में खनन प्रतिबंधित है। इसके बावजूद घडिय़ालों के इस रहवास को माफिया द्वारा रौंदा जा रहा है। आलम यह है की सीधी में तो इस नदी के किनारे धारा 144 लगी हुई है, लेकिन माफिया सब पर भारी पड़ रहा है।
मीठे पानी की यह नदी मप्र में घडिय़ालों के लिए जानी जाती है। सोन नदी देश की उन चुनिंदा नदियों में है, जहां घडिय़ाल पलते हैं। 1980-81 में वन विभाग ने घडिय़ालों की प्रचुरता को देखते हुए घडिय़ाल सेंचुरी घोषित कर दिया। तब से सोन नदी के 44 किमी के हिस्से व सहायक गोपद, बनास नदी से रेत निकासी पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इस नदी में अवैध खनन रोकने के लिए सरकार और जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन माफिया सब पर भारी पड़ रहा है।
सोन नदी का प्रतिबंधित क्षेत्र रीवा संभाग के तीन जिलों सतना, सीधी और सिंगरौली की पांच तहसीलों में आता है। माफिया मिलीभगत से इस नदी में से मशीनों से रेत निकालते हैं। इसका असल सोन घडिय़ाल सेंचुरी पर भी पड़ता है। इसको देखते हुए इस नदी में खनन प्रतिबंधित है। प्रतिबंध के बाद भी हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए सशस्त्र बल की तैनाती और धारा 144 लगाई गई है। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन रेत का अवैध खनन और परिवहन रोकने में नाकाम रहा है। तमाम सख्ती के दावों के बावजूद बेखौफ रेत माफिया सोन नदी के किनारों को ध्वस्त कर सड़क बना दी। जिसके जरिए सीधी के साथ ही विंध्य के पांच जिलों रीवा, सतना, सिंगरौली और उमरिया में रेत भेजी जा रही है। रेत माफिया ने भितरी (कलचा) घाट पर नदी द्वारा बनाए गए ऊंचे बीहड़ों को ढहाकर सपाट कर दिया गया। ताकि उनकी पहुंच सोन नदी पर आसान हो सके। घाट से लेकर नदी के बेड एरिया तक पहियों के निशान को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस बेरहमी से सोन नदी की कोख में पलने वाले घडिय़ाल के रहवास को रौंदा जा रहा है।
सोन नदी में माफिया अवैध खनन पुलिस और प्रशासन के साथ मिलीभगत करके कर रहा है। रेत माफिया का खौफ ऐसा है कि कोई बोलने की हिम्मत ही नहीं करता। रात के वक्त वाहनों की रेलमपेल ऐसी की कोई घर से निकलने की हिम्मत ही नहीं करता। रात 11 बजे से लेकर तड़के 5 बजे तक सतना जिले के सरिया से लेकर सिहावल तक रेत की अवैध निकासी होती है। यह सब इतना संगठित और सुनियोजित है कि कुछ ही घंटों में ट्रक और डंपर भर ही नहीं बल्कि भारी मशीनें भी नदी में पहुंच जाती हैं। सोन घडिय़ाल सेंचुरी का प्रबंधन संजय टाइगर रिजर्व के हाथ है, जो पहले ही सुरक्षा को लेकर हाथ उठा चुका है। वन अधिकारियों का कहना है कि जितना अमला उनके पास है, उससे इतने लंबे नदी के हिस्से की निगरानी नहीं की जा सकती है। सोन नदी की रेत के काले कारोबार को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त है। वह पिछले तीन साल से लगातार सुनवाई कर रहा है और आदेश भी जारी कर रहा है। एनजीटी के निर्देश पर ही कुछ दिनों के लिए नौंवी बटालियन का सशस्त्र बल तैनात किया गया था। लेकिन वर्तमान में रेत माफिया ने भंवरसेन, बुरासिन, खैरा, सजहा, घुंघुटा, भितरी, हुनमानगढ़, दुअरा, कुर्रवाह, अमरवाह, डेम्हा, देवघटा, खड़बड़ा, सोनवर्षा, लिलवार, पमरिया, बमुरी, रामपुर, गेरूआ, केतकिन, मेढ़ौली, बघोर, नकझर, कुंकरांव आदि घाट रेत के अवैध खनन और परिवहन कर रहा है।
सरपंच को जान से मारने की धमकी
सोन नदी में अवैध खनन करने वाले इस कदर बेखौफ हैं कि उन्हें न पुलिस का भय है न ही प्रशासनिक कार्रवाई का। अभी हाल ही में सीधी जिले के रामपुर नैकिन थाना क्षेत्र के घुंघुटा गांव के सरपंच दुर्गा प्रसाद कोल ने अवैध रेत निकासी रोकने के लिए थाने में शिकायत की तो माफिया ने उनको हत्या की धमकी दी है। सरपंच ने यह शिकायत कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के साथ एजीटी भोपाल में भी दर्ज कराई है। सरपंच ने बताया कि घुंघुटा, सजहा में सोन नदी से रात-दिन रेत की अवैध निकासी होती है। आरोप लगाया कि इसमें पुलिस की भी मिलीभगत है। प्रदेश की किसी भी नदी से जेसीबी लगाकर अवैध उत्खनन न करने दिया जाए पर सीएम के इस निर्देश की उमरिया जिले में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रशासनिक अमले की उदासीनता के कारण खनिज माफिया खुलेआम नदी नालों से जेसीबी लगाकर रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं। इस बारे में खनिज अमले का कहना है कि पुलिस का सहयोग न मिलने के कारण वे कार्रवाई नहीं करते क्योंकि कई बार उन पर भी अटैक हो जाता है। बरहाल जो भी जिले में रेत और कोयले का अवैध उत्खनन कर धरती का सीना छलनी करने वालों की चांदी है और वे डंके की चोट पर कोयला एवं रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं।
-राजेश बोरकर