मौत का डैम
02-Feb-2017 10:41 AM 1234848
प्रदेश की औद्योगिक नगरी सिंगरौली हमारे विकास का प्रतीक है वहीं हमारी अव्यवस्था का अभिशाप भी है। कोयले की खदानों के बूते प्रदेश के खनिज राजस्व में 36 प्रतिशत से अधिक की सहभागिता वाले सिंगरौली के लोगों की जान हमेशा खतरे में रहती है और इस खतरे को कंपनियों की मनमानी और बढ़ा देती है। जिले में इनदिनों एस्सार कंपनी की मनमानी से लोगों की जान पर बन आई है। दरअसल, जिला मुख्यालय बैढऩ से करीब 35 किमी दूर एस्सार पॉवर प्लांट बधौरा में संचालित है। कंपनी यहां प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर राख से फ्लाईएश डैम बना रही है। पहले से ही घूल, घुआं, धुंध और कालिख से परेशान सिंगरौली जिले के लोगों के लिए यह डैम हजारों लोगों की मौत का कारण बन सकता है। जबकि इससे पहले भी कंपनी का डैम दो बार फूट चुका है। एस्सार पॉवर प्लांट को खुले भारी वाहनों से कोयले की सप्लाई के चलते यहां के खेतों में कोयले की परतें जम गई हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण के चलते लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। इसको लेकर स्थानीय लोग पहले से विरोध कर रहे हैं। इसी बीच मानक को दरकिनार कर एस्सार प्रबंधन राखड़ से ही फ्लाईएश डैम बनाकर पुरानी गलती को एक बार फिर दोहराने जा रहा है। एस्सार प्रबंधन पॉवर प्लांट से महज 500 मीटर की दूरी पर फ्लाईएश डैम बना रहा है। फैक्ट्री से निकली फ्लाईएश को किसी दूसरे काम में लगवाने की बजाए प्रबंधन उसे प्लांट के पास ही ड़ंप कर रहा है। लेकिन इसके लिए उसने राखड़ की दीवार बनाई है। जिसमें फ्लाईएश को भरा जा रहा है। उसके बाद ऊपर से उसे मिट्टी से दबा दिया जाएगा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी दो बार ऐसा किया गया और दोनों बार बांध फूट गए। लोगों का कहना है कि दो बार डैम फूट जाने के बाद भी प्रबंधन नहीं चेता। नए फ्लाईएश नोटिफिकेशन के मुताबिक, फ्लाईएश का 100 फीसदी इस्तेमाल सड़क निर्माण, ईंट निमाण आदि में किया जाना चाहिए न कि डैम निर्माण किया जाना चाहिए। लेकिन एस्सार प्रबंधन नियमों और मानक को दरकिनार कर राखड़ का डैम बना रहा है। नियमानुसार, बांध की सतह पर कांक्रीट बिछाई जानी चाहिए, लेकिन कंपनी ने ऐसा कुछ नहीं किया है। मानक के अनुसार, डैम के चारों ओर घना वृक्षारोपण कराया जाना चाहिए, ताकि राख उड़कर खेतों और घरों में न जाने पाए। डैम की सतह पर प्लास्टिक कोटेट पन्नी बिछाई जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। सबसे बड़ी विसंगति यह है की यह जानलेवा डैम गांव के बीच में बनाया जा रहा है। इसके फूटने से आबादी की जान पर तो खतरा है ही क्षेत्र का भू-जल प्रदूषित होने की संभावना है। वैसे भी पूरा क्षेत्र राख से ढ़का हुआ है। जानकारों का कहना है कि करीब दो साल पहले राखड़ से बना फलाईएश डैम रात में अचानक फूट गया था। उससे राख चारो ओर बहकर फैल गई। आसपास के लोगों के घरों व खेतों में राख फैल गई। वह भी डैम राख से ही बना था। फिर सितम्बर 2016 में दोबारा डैम फूट गया। अब तीसरी बार भी राख के ऊपर मिट्टी डालकर डैम बनाया जा रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि एस्सार पॉवर प्लांट के कारण बधौरा के आसपास की हवा जहरीली होती जा रही है। प्लांट के लिए प्रतिदिन औसतन 700 टन कोयले की ढुलाई सड़क के जरिए की जा रही है। आलम यह है कि सड़क में जगह-जगह कोयला बिछा मिल जाएगा। प्लांट से करीब पांच किमी पहले ही खेतों में राख की कालिख नजर आने लगती है। एक ओर खेतों में कोयले की परतें जम गई हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण के चलते लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। परसौना-रजमिलान रोड कोयले की कालिख से रंग गई है। प्लांट से पांच किमी दायरे में तो स्थिति और खतरनाक हो गई है। सड़क के आसपास के घरों पर कोयले की परत जमी है और फसलों पर कोयले की परत जमी है। खेत की मिट्टी कोल डस्ट से काली हो गई है। बधौरा ग्राम पंचायत के सरपंच आशीष शुक्ल कहते हैं कि हमने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई है। कोयले की धूल से फसलें खराब हो जाती हैं। सांस में कोयला भर रहा है। अब तो इस क्षेत्र में रहना मुश्किल हो गया है। अगर प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता है तो हमें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। लगातार बढ़ रहा जहरीला पारा हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में जहरीले पारे के बढऩे के संकेत मिल चुके हैं। आदमी और मछली दोनों के खून की जांच में उच्च स्तर का पारा पाया गया था। पारा नियुरोओक्सिसिटी के साथ जुड़ा एक भारी धातु है और यह फ्लाई ऐश के गठन की प्रमुख घटकों में से एक है। कोयले के जलने से फ्लाई एश उत्पादित होता है और इसके वातावरण में जाने से यह पानी और वायु दोनों को दूषित करता है। सिंगरौली विधायक राम लल्लू वैश्य का कहना है कि कोयला विद्युत संयंत्रों से फ्लाई ऐश सिंगरौली के निवासियों के लिए एक बारहमासी समस्या हो गई है। फ्लाईएश में भारी धातु जैसे आर्सेनिक, पारा होता हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को सीधा नुकसान पहुंच सकता है। सिंगरौली के निवासी अस्थमा, तपेदिक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से पीडि़त हैं। दरअसल बधौरा में सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किया जा रहा है इस कारण वहां कोयले की राख खेतों में पसर रही है। मैं पूरे जिले में कोयले की राख फैलने के मामले में विधानसभा में आवाज उठाऊंगा। -धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया
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