02-Feb-2017 10:24 AM
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एक तरफ प्रधानमंत्री की पहल पर देश में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने नोटबंदी कर कई घरों के चूल्हे कुछ दिनों तक ठंडे कर दिए थे, वहीं दूसरी तरफ कालेधन को बढ़ावा देने के चुनावी चंदे पर सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। आलम यह है कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा जो चंदा लिया जाता है उसका हिसाब-किताब कभी भी जगजाहिर नहीं होता है। आखिर ऐसी गोपनीयता क्यों?
एशोसिएशन फॉर डेमाक्रेटिक रिफॉर्म यानि एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने एक विश्लेषण में दावा किया है कि 2015-16 में अकेले शिवसेना को जितना डोनेशन मिला है, वह उसी अवधि में 15 क्षेत्रीय पार्टियों को मिले कुल डोनेशन के चार गुना से भी अधिक है। महाराष्ट्र की इस पार्टी ने कुल 86.84 करोड़ की राशि 20,000 से अधिक की राशि में 143 डोनेशन से मिलने की घोषणा की है। ध्यान देने की बात यह है कि शिवसेना को कॉरपोरेट हाउसेज से भी सर्वाधिक 86.16 करोड़ का डोनेशन मिला है। जबकि सिर्फ 0.68 करोड़ निजी दानदाताओं से मिला है। रिपोर्ट के अनुसार इसमें भी 85 करोड़ तो शिवसेना को अकेले वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज समूह की ओर से मिले हैं, जो कि किसी भी क्षेत्रीय दल को किसी एक दाता से मिला सबसे बड़ा डोनेशन है। शिवसेना के बाद नंबर आता है आम आदमी पार्टी का। आम आदमी पार्टी को 1187 डोनर्स से 6,605 करोड़ दान के रूप में मिले। साथ ही आप एक मात्र ऐसा दल है जिसे अपने डोनेशन का 14.84 प्रतिशत विदेशों से मिला है। इस रिपोर्ट में सिर्फ उन्हीं 21 दलों के डोनेशन का विश्लेषण किया गया है जिन्होंने 2015—16 में 20 हजार से अधिक की राशि में डोनेशन मिलने की घोषणा की है। सभी राजनीतिक दलों को इस प्रकार के डोनेशन की जानकारी देना चुनाव आयोग की अनिवार्यता होती है।
रिपोर्ट के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को कुल 107.62 करोड़ का दान 2246 दानदाताओं से मिला है। मजेदार बात यह है कि एआईएडीएमके, बीजेडी, जेएमएम, एनपीएफ और आरएलडी को एक भी डोनेशन 20 हजार रुपये से अधिक राशि के रूप में नहीं मिला। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस अवधि में कुल डोनेशन की राशि में पिछले साल की तुलना में 20.20 प्रतिशत की गिरावट आई है। केवल पांच दलों शिवसेना, पीएमके, एआईयूडीएफ, डीएमडीके और जेडीएस ने इस अवधि में डोनेशन की राशि को बढ़ा हुआ मिलना बताया है। शिवसेना की तुलना में एमएनएस ने भी इस अवधि में अपने डोनेशन में 95.36 फीसदी गिरावट की घोषणा की है। पिछले साल एमएनएस को जहां 6.08 करोड़ का डोनेशन मिला था वहीं 2015—16 में यह गिरकर 28 लाख रह गया है। वहीं सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिले डोनेशन में भी 91.86 प्रतिशत की गिरावट आई है।
आपको बता दें कि 2014 में चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी कर यह अनिवार्य कर दिया था किसी भी व्यक्ति या कंपनी द्वारा राजनीतिक दलों को नकदी के रूप में दिए गए किसी भी डोनेशन पर टैक्स की छूट नहीं दी जाएगी। यह नोटिफिकेशन सिर्फ 2014—15 वित्त वर्ष के बाद मिले डोनेशन पर ही लागू होना था। इसके बावजूद 2014—15 और 2015—16 में राजनीतिक दलों को मिले चंदे में नकदी की मात्रा में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में जिन क्षेत्रीय दलों को मिले चंदे का विश्लेषण किया गया है, उसके अनुसार वर्ष 2014—15 में मात्र 30 लाख के नकद चंदे को 20 हजार से अधिक की मात्रा में मिलना बताया गया था, जो कि कुल चंदे का मात्र 0.22 प्रतिशत ही ठहरता है। सभी राज्यों में तमिलनाडू के दाताओं ने सर्वाधिक 2.46 करोड़ और उसके बाद पंजाब के दाताओं ने 14.11 लाख नकद चंदा दिया है। इस विश्लेषण में एक और बात जो उभर कर सामने आती है, वह यह है कि 20 हजार से अधिक की राशि में मिला कुल दान का 84.85 प्रतिशत कॉरपोरेट हाउसेज से 202 चंदों के रूप में आया है जबकि बाकी चंदा निजी दान दाताओं से मिला है। जबकि इस दौरान मिले 59 प्रतिशत चंदे का इन राजनीतिक दलों ने कोई ब्योरा नहीं दिया।
दान दाताओं के पैन
कार्ड गायब
इतना ही नहीं, कुल 16 राजनीतिक दलों को मिले 20 हजार की राशि से अधिक के चंदे में नौ राजनीतिक दलों शिवसेना, आप, पीएमके, वाईएसआर—कांग्रेस, एआईयूडीएफ, आईयूएमएल, एमएनएस, एसएडी और डीएमडीके ने ऐसे 1567 दानदाताओं के पैन कॉर्ड का कोई ब्योरा नहीं दिया है जिनसे कि इन दलों ने 6.79 करोड़ का दान प्राप्त किया। यह भी ध्यान देने की बात है कि पीएमके ने किसी भी चंदा देने वाले के पैन कॉर्ड का ब्योरा नहीं दिया है, जबकि पार्टी को 2.646 करोड़ रुपये 571 डोनेशन से मिले। इसी तरह से आप पार्टी ने भी 468 दानदाताओं के पैन कॉर्ड का ब्योरा नहीं दिया है जिनसे की पार्टी ने 842 चंदों के रूप में 2.89 करोड़ का चंदा प्राप्त किया। रिपोर्ट में भी बताया गया है कि 26 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को वर्ष 2014-15 तथा 15-16 में अपने चंदे का ब्योरा जमा नहीं किया है। इन 26 पार्टियों में से 21 ने दोनों ही वित्त वर्ष में अपने चंदे का ब्योरा नहीं दिया है जबकि 5 ने पिछले वर्ष तो ब्योरा जमा किया था पर इस वर्ष जमा नहीं किया है।
द्यअक्स ब्यूरो